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जरूरतमन्दों के लिए 'मसीहा' बने सीतापुर के दीपक, 53 बार कर चुके हैं रक्तदान - यूपी न्यूज

उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के दीपक अब तक करीब 53 बार रक्तदान कर चुके हैं. उनका कहना है कि रक्तदान करके उन्हें सुख की अनुभूति होती है.

सीतापुर के दीपक 53 बार कर चुके हैं रक्तदान.
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Published : Aug 3, 2019, 4:31 PM IST

सीतापुर: सत्य की विजय और परमार्थ के लिए अपनी अस्थियों तक का दान करने वाले महर्षि दधीचि की कर्मभूमि आज भी दानियों से अछूती नहीं है. यहां के एक शख्स ने अब तक 53 बार रक्तदान करके अपनी नई पहचान है. इसके चलते जिले के लोग उन्हें 'बल्ड डोनेटर' के रूप में जानने लगे हैं.

सीतापुर के दीपक 53 बार कर चुके हैं रक्तदान.

रक्तदान कर जरुरतमद की बचाई जान-

  • शहर के मोहल्ला लोहरबाग निवासी दीपक मेहरोत्रा की पढ़ाई भोपाल में हुई थी.
  • एक बार अपने जन्मदिन के अवसर पर वह भोपाल के ब्लड बैंक में रक्तदान करने पहुंच गए.
  • ब्लड ग्रुप चेक कराया तो वह 'ए पॉजिटिव' निकला, जो कि कम लोगों का ही होता है.
  • रक्तदान करके उन्हें सुखद अनुभूति हुई तो मन में दोबारा रक्तदान करने का विचार आया.
  • इसके बाद उन्होंने किसी जरूरतमंद को अपना ब्लड देकर उसकी जान बचाई.
  • यह सिलसिला लगातार बढ़ता रहा जो अभी भी जारी है.

ईटीवी से बातचीत में उन्होंने बताया कि वह हर जरूरतमंद को अपना खून देने के लिए तत्पर रहते हैं. यदि तीन चार महीने में उन्हें कोई जरूरतमंद नहीं मिला तो वे ब्लड बैंक या फिर किसी रक्तदान शिविर में जाकर अपना रक्तदान करते हैं.

किसी की जान बचाने से बड़ा कोई पुण्य नहीं होता है और अक्सर रक्त के अभाव में लोगो की जान चली जाती है. इसीलिए मैं जरूरतमंदों को रक्त देना अपना कर्तव्य समझता हूं और लोगों को भी इस बात के लिए प्रेरित करता हूं कि वे समाज मे फैली भ्रांतियों की अनदेखी करके रक्तदान करें.
- दीपक मेहरोत्रा, रक्तदाता

दीपक मेहरोत्रा हम सबके प्रेरणास्रोत हैं, इतनी अधिक बार रक्तदान करके उन्होंने रक्तदान के बारे में फैली भ्रंतियों को दूर कर दिया है. उनका कहना है कि रक्तदान करके दिल समेत कई गम्भीर बीमारियों से बचा जा सकता है.
-आकाश अग्रवाल, संस्थापक, संजीवन संस्था

सीतापुर: सत्य की विजय और परमार्थ के लिए अपनी अस्थियों तक का दान करने वाले महर्षि दधीचि की कर्मभूमि आज भी दानियों से अछूती नहीं है. यहां के एक शख्स ने अब तक 53 बार रक्तदान करके अपनी नई पहचान है. इसके चलते जिले के लोग उन्हें 'बल्ड डोनेटर' के रूप में जानने लगे हैं.

सीतापुर के दीपक 53 बार कर चुके हैं रक्तदान.

रक्तदान कर जरुरतमद की बचाई जान-

  • शहर के मोहल्ला लोहरबाग निवासी दीपक मेहरोत्रा की पढ़ाई भोपाल में हुई थी.
  • एक बार अपने जन्मदिन के अवसर पर वह भोपाल के ब्लड बैंक में रक्तदान करने पहुंच गए.
  • ब्लड ग्रुप चेक कराया तो वह 'ए पॉजिटिव' निकला, जो कि कम लोगों का ही होता है.
  • रक्तदान करके उन्हें सुखद अनुभूति हुई तो मन में दोबारा रक्तदान करने का विचार आया.
  • इसके बाद उन्होंने किसी जरूरतमंद को अपना ब्लड देकर उसकी जान बचाई.
  • यह सिलसिला लगातार बढ़ता रहा जो अभी भी जारी है.

ईटीवी से बातचीत में उन्होंने बताया कि वह हर जरूरतमंद को अपना खून देने के लिए तत्पर रहते हैं. यदि तीन चार महीने में उन्हें कोई जरूरतमंद नहीं मिला तो वे ब्लड बैंक या फिर किसी रक्तदान शिविर में जाकर अपना रक्तदान करते हैं.

किसी की जान बचाने से बड़ा कोई पुण्य नहीं होता है और अक्सर रक्त के अभाव में लोगो की जान चली जाती है. इसीलिए मैं जरूरतमंदों को रक्त देना अपना कर्तव्य समझता हूं और लोगों को भी इस बात के लिए प्रेरित करता हूं कि वे समाज मे फैली भ्रांतियों की अनदेखी करके रक्तदान करें.
- दीपक मेहरोत्रा, रक्तदाता

दीपक मेहरोत्रा हम सबके प्रेरणास्रोत हैं, इतनी अधिक बार रक्तदान करके उन्होंने रक्तदान के बारे में फैली भ्रंतियों को दूर कर दिया है. उनका कहना है कि रक्तदान करके दिल समेत कई गम्भीर बीमारियों से बचा जा सकता है.
-आकाश अग्रवाल, संस्थापक, संजीवन संस्था

Intro:सीतापुर: सत्य की विजय और परमार्थ के लिए अपनी अस्थियों तक का दान करने वाले महर्षि दधीचि की यह कर्मभूमि आज भी दानियों से अछूती नही है. यहां के एक शख्स ने अब तक 53 बार रक्तदान करके अपनी नई पहचान कायम की है.उन्हें लोग रक्तदाता के रूप में जानने लगें हैं.


Body:शहर के मोहल्ला लोहरबाग निवासी दीपक मेहरोत्रा की पढ़ाई भोपाल में हुई थी. एक बार अपने जन्मदिन के अवसर पर वह वहां के ब्लड बैंक में रक्तदान करने पहुंच गए. ब्लड ग्रुप चेक कराया तो वह ए पॉजिटिव निकला,जो कि कम लोगो का ही होता है.रक्तदान करके उन्हें सुखद अनुभूति हुई तो मन मे दुबारा रक्तदान करने का विचार आया.जिसके बाद उन्होंने किसी जरूरतमंद को अपना ब्लड देकर उसकी जान बचाई जिसके बाद यह सिलसिला लगातार बढ़ता रहा जो अभी भी जारी है. ईटीवी से बातचीत में उन्होंने बताया कि वह हर जरूरतमंद को अपना खून देने के लिए तत्पर रहते हैं. यदि तीन चार महीने में उन्हें कोई जरूरतमंद नहीं मिला तो वे ब्लड बैंक या फिर किसी रक्तदान शिविर में जाकर अपना रक्तदान करते हैं.


Conclusion:रक्तदाता दीपक मेहरोत्रा ने बताया कि किसी की जान बचाने से बड़ा कोई पुण्य नही होता है और अक्सर खून के अभाव में लोगो की जान चली जाती है इसीलिए रक्त के जरूरतमंद को वे रक्त देना अपना कर्तव्य समझते हैं और लोगो को भी इस बात के लिए प्रेरित करते हैं कि वे समाज मे फैली भ्रांतियों की अनदेखी करके रक्तदान करे.रक्तदान के लिए संजीवन संस्था चलाने वाले आकाश अग्रवाल का कहना है कि दीपक मेहरोत्रा हम सबके प्रेरणास्रोत हैं इतनी अधिक बार रक्तदान करके उन्होंने रक्तदान के बारे में फैली भ्रंतियो को दूर कर दिया है. उनका यह भी कहना है कि रक्तदान करके दिल समेत कई गम्भीर बीमारियों से बचा जा सकता है.

बाइट-दीपक मेहरोत्रा (रक्तदाता)
बाइट- आकाश अग्रवाल (अध्यक्ष-संजीवन संस्था)

सीतापुर से नीरज श्रीवास्तव की रिपोर्ट,9415084887
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