सीतापुर: सत्य की विजय और परमार्थ के लिए अपनी अस्थियों तक का दान करने वाले महर्षि दधीचि की कर्मभूमि आज भी दानियों से अछूती नहीं है. यहां के एक शख्स ने अब तक 53 बार रक्तदान करके अपनी नई पहचान है. इसके चलते जिले के लोग उन्हें 'बल्ड डोनेटर' के रूप में जानने लगे हैं.
रक्तदान कर जरुरतमद की बचाई जान-
- शहर के मोहल्ला लोहरबाग निवासी दीपक मेहरोत्रा की पढ़ाई भोपाल में हुई थी.
- एक बार अपने जन्मदिन के अवसर पर वह भोपाल के ब्लड बैंक में रक्तदान करने पहुंच गए.
- ब्लड ग्रुप चेक कराया तो वह 'ए पॉजिटिव' निकला, जो कि कम लोगों का ही होता है.
- रक्तदान करके उन्हें सुखद अनुभूति हुई तो मन में दोबारा रक्तदान करने का विचार आया.
- इसके बाद उन्होंने किसी जरूरतमंद को अपना ब्लड देकर उसकी जान बचाई.
- यह सिलसिला लगातार बढ़ता रहा जो अभी भी जारी है.
ईटीवी से बातचीत में उन्होंने बताया कि वह हर जरूरतमंद को अपना खून देने के लिए तत्पर रहते हैं. यदि तीन चार महीने में उन्हें कोई जरूरतमंद नहीं मिला तो वे ब्लड बैंक या फिर किसी रक्तदान शिविर में जाकर अपना रक्तदान करते हैं.
किसी की जान बचाने से बड़ा कोई पुण्य नहीं होता है और अक्सर रक्त के अभाव में लोगो की जान चली जाती है. इसीलिए मैं जरूरतमंदों को रक्त देना अपना कर्तव्य समझता हूं और लोगों को भी इस बात के लिए प्रेरित करता हूं कि वे समाज मे फैली भ्रांतियों की अनदेखी करके रक्तदान करें.
- दीपक मेहरोत्रा, रक्तदाता
दीपक मेहरोत्रा हम सबके प्रेरणास्रोत हैं, इतनी अधिक बार रक्तदान करके उन्होंने रक्तदान के बारे में फैली भ्रंतियों को दूर कर दिया है. उनका कहना है कि रक्तदान करके दिल समेत कई गम्भीर बीमारियों से बचा जा सकता है.
-आकाश अग्रवाल, संस्थापक, संजीवन संस्था