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सीतापुर: सांसद अंजूबाला का कटा टिकट, अशोक रावत होंगे भाजपा उम्मीदवार

सीतापुर की चार लोकसभा सीटों के लिए प्रत्याशियों के नाम जारी हो रहे हैं. सभी पार्टियां अपने-अपने उम्मीदवारों के नाम सामने ला रही हैं. इस बीच भाजपा ने जो सूची जारी की है, उसमें इस बार अंजूबाला का नाम नहीं है. उनकी जगह अशोक रावत को टिकट दिया गया है.

सांसद अंजूबाला का कटा लोकसभा टिकट.
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Published : Mar 23, 2019, 10:52 PM IST

सीतापुर: चार लोकसभा सीटों के लिए चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही सियासी सरगर्मियां तेज हो गयी हैं. प्रमुख राजनीतिक दलों ने भी अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा शुरू कर दी है. जिन सीटों के लिए अभी उम्मीदवार घोषित नहीं हुए हैं उन पर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.

राजधानी से सटे सीतापुर जिले को सियासत का बड़ा अखाड़ा माना जाता है. यहां से चुने गए जनप्रतिनिधियों को राज्य से लेकर केंद्र सरकार में मंत्री पदों की जिम्मेदारी सौंपी जा चुकी है, जिससे यह जिला हमेशा से राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र रहा है. सीतापुर की नौ विधानसभा सीटें, चार लोकसभा क्षेत्रों में बंटी हुई हैं.

बीजेपी ने सांसद राजेश वर्मा पर फिर लगाया दांव
सीतापुर संसदीय सीट के अंतर्गत महमूदाबाद, लहरपुर, बिसवां, सेवता और सदर विधानसभा सीट आती है, जबकि सिधौली विधानसभा मोहनलालगंज संसदीय सीट, मिश्रित सीट मिश्रित लोकसभा सीट और हरगांव तथा महोली विधानसभा सीट धौरहरा लोकसभा सीट के अंतर्गत आती है. सीतापुर लोकसभा सीट पर बीजेपी ने मौजूदा सांसद राजेश वर्मा पर एक बार फिर दांव लगाया है.

कांग्रेस ने कैसरजहां को बनाया है उम्मीदवार
राजेश वर्मा 2014 से पहले बीएसपी के टिकट पर सांसद चुने जा चुके हैं. 2009 के चुनाव में राजेश वर्मा को बीएसपी ने धौरहरा सीट से चुनाव लड़ाया था, जिसमें पराजय का स्वाद चखने के बाद उन्होंने खिन्न होकर बीएसपी से इस्तीफा दे दिया था. फिर बीजेपी में शामिल होकर सीतापुर सीट से सांसद बनने में कामयाब रहे. इस बार दोबारा वह बीजेपी के सिम्बल पर लोकसभा का सफर तय करने की कोशिशों में जुटे हैं. इस सीट पर कांग्रेस ने बीएसपी से वर्ष 2009 में सांसद रह चुकी कैसरजहां को अपना उम्मीदवार घोषित किया है.

सांसद अंजूबाला का कटा लोकसभा टिकट.

सांसद अंजूबाला का टिकट कटा
मिश्रित संसदीय सीट पर बीजेपी ने मौजूदा सांसद को झटका दे दिया है. बीजेपी ने मौजूदा सांसद अंजूबाला का टिकट काटकर उनकी जगह बीएसपी से आये पूर्व सांसद अशोक रावत को अपना उम्मीदवार बनाया है. अशोक रावत पहले मिश्रित संसदीय सीट से बीएसपी के टिकट पर सांसद रह चुके हैं. वर्ष 2014 में बीएसपी के टिकट पर चुनाव हारने के बाद उन्होंने बीजेपी ज्वाइन की और टिकट पाने में सफल रहे. कांग्रेस ने इस सीट पर राजनीति के पुरोधा पूर्व केंद्रीय मंत्री रामलाल राही की पुत्रवधू मंजरी राही को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. सपा-बसपा गठबंधन ने इन दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवार अभी तक घोषित नहीं किये हैं.

धौरहरा संसदीय सीट पर मौजूदा समय में बीजेपी का कब्ज़ा है और रेखा वर्मा बीजेपी की सांसद हैं. लेकिन पार्टी ने इस सीट पर अभी तक अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है. कांग्रेस से जितिन प्रसाद संभावित उम्मीदवार हैं, पर इसकी घोषणा अभी अधर में है. बीएसपी ने बाजी मारते हुए अपने उम्मीदवार की घोषणा जरूर कर दी है. मोहनलालगंज सीट पर बीजेपी ने मौजूदा सांसद कौशल किशोर पर एक बार फिर भरोसा जताया है, जबकि दूसरे दलों के उम्मीदवारों की घोषणा अभी बाकी है.

सीतापुर: चार लोकसभा सीटों के लिए चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही सियासी सरगर्मियां तेज हो गयी हैं. प्रमुख राजनीतिक दलों ने भी अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा शुरू कर दी है. जिन सीटों के लिए अभी उम्मीदवार घोषित नहीं हुए हैं उन पर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.

राजधानी से सटे सीतापुर जिले को सियासत का बड़ा अखाड़ा माना जाता है. यहां से चुने गए जनप्रतिनिधियों को राज्य से लेकर केंद्र सरकार में मंत्री पदों की जिम्मेदारी सौंपी जा चुकी है, जिससे यह जिला हमेशा से राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र रहा है. सीतापुर की नौ विधानसभा सीटें, चार लोकसभा क्षेत्रों में बंटी हुई हैं.

बीजेपी ने सांसद राजेश वर्मा पर फिर लगाया दांव
सीतापुर संसदीय सीट के अंतर्गत महमूदाबाद, लहरपुर, बिसवां, सेवता और सदर विधानसभा सीट आती है, जबकि सिधौली विधानसभा मोहनलालगंज संसदीय सीट, मिश्रित सीट मिश्रित लोकसभा सीट और हरगांव तथा महोली विधानसभा सीट धौरहरा लोकसभा सीट के अंतर्गत आती है. सीतापुर लोकसभा सीट पर बीजेपी ने मौजूदा सांसद राजेश वर्मा पर एक बार फिर दांव लगाया है.

कांग्रेस ने कैसरजहां को बनाया है उम्मीदवार
राजेश वर्मा 2014 से पहले बीएसपी के टिकट पर सांसद चुने जा चुके हैं. 2009 के चुनाव में राजेश वर्मा को बीएसपी ने धौरहरा सीट से चुनाव लड़ाया था, जिसमें पराजय का स्वाद चखने के बाद उन्होंने खिन्न होकर बीएसपी से इस्तीफा दे दिया था. फिर बीजेपी में शामिल होकर सीतापुर सीट से सांसद बनने में कामयाब रहे. इस बार दोबारा वह बीजेपी के सिम्बल पर लोकसभा का सफर तय करने की कोशिशों में जुटे हैं. इस सीट पर कांग्रेस ने बीएसपी से वर्ष 2009 में सांसद रह चुकी कैसरजहां को अपना उम्मीदवार घोषित किया है.

सांसद अंजूबाला का कटा लोकसभा टिकट.

सांसद अंजूबाला का टिकट कटा
मिश्रित संसदीय सीट पर बीजेपी ने मौजूदा सांसद को झटका दे दिया है. बीजेपी ने मौजूदा सांसद अंजूबाला का टिकट काटकर उनकी जगह बीएसपी से आये पूर्व सांसद अशोक रावत को अपना उम्मीदवार बनाया है. अशोक रावत पहले मिश्रित संसदीय सीट से बीएसपी के टिकट पर सांसद रह चुके हैं. वर्ष 2014 में बीएसपी के टिकट पर चुनाव हारने के बाद उन्होंने बीजेपी ज्वाइन की और टिकट पाने में सफल रहे. कांग्रेस ने इस सीट पर राजनीति के पुरोधा पूर्व केंद्रीय मंत्री रामलाल राही की पुत्रवधू मंजरी राही को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. सपा-बसपा गठबंधन ने इन दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवार अभी तक घोषित नहीं किये हैं.

धौरहरा संसदीय सीट पर मौजूदा समय में बीजेपी का कब्ज़ा है और रेखा वर्मा बीजेपी की सांसद हैं. लेकिन पार्टी ने इस सीट पर अभी तक अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है. कांग्रेस से जितिन प्रसाद संभावित उम्मीदवार हैं, पर इसकी घोषणा अभी अधर में है. बीएसपी ने बाजी मारते हुए अपने उम्मीदवार की घोषणा जरूर कर दी है. मोहनलालगंज सीट पर बीजेपी ने मौजूदा सांसद कौशल किशोर पर एक बार फिर भरोसा जताया है, जबकि दूसरे दलों के उम्मीदवारों की घोषणा अभी बाकी है.

Intro:सीतापुर:चार लोकसभा सीटो के लिए अपने सांसदों का चुनाव करने वाले सीतापुर में चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही सियासी सरगर्मियां तेज़ हो गयी हैं.प्रमुख राजनीतिक दलों ने भी अपने अपने उम्मीदवारों की घोषणा शुरू कर दी है,जिन सीटों के लिए अभी उम्मीदवार घोषित नही हुए हैं उन पर तरह तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.


सूबे की राजधानी से सटे सीतापुर जिले को सियासत का बड़ा अखाड़ा माना जाता है. यहां से चुने गए जनप्रतिनिधियों को राज्य से लेकर केंद्र सरकार में मंत्री पदों की जिम्मेदारी सौंपी जा चुकी है जिससे यह जिला हमेशा से राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र रहा है.सीतापुर की नौ विधानसभा सीटे चार लोकसभा क्षेत्रों में बंटी हुई है. सीतापुर संसदीय सीट के अंतर्गत महमूदाबाद, लहरपुर, बिसवां, सेवता और सदर विधानसभा सीट आती है जबकि सिधौली विधानसभा मोहनलालगंज संसदीय सीट,मिश्रित सीट मिश्रित लोकसभा सीट और हरगांव तथा महोली विधानसभा सीट धौरहरा लोकसभा सीट के अंतर्गत आती है.

सीतापुर लोकसभा सीट पर बीजेपी ने मौजूदा सांसद राजेश वर्मा पर एक बार फिर दांव लगाया है, राजेश वर्मा 2014 से पहले बीएसपी के टिकट पर सांसद चुने जा चुके हैं,2009 के चुनाव में राजेश वर्मा को बीएसपी ने धौरहरा सीट से चुनाव लड़ाया था जिसमें पराजय का स्वाद चखने के बाद उन्होंने खिन्न होकर बीएसपी से इस्तीफा दे दिया था और फिर बीजेपी में शामिल होकर सीतापुर सीट से सांसद बनने में कामयाब रहे.इस बार दुबारा वे बीजेपी के सिम्बल पर लोकसभा का सफर तय करने की कोशिशों में जुटे हैं. इस सीट पर कांग्रेस ने बीएसपी से वर्ष 2009 में सांसद रह चुकी कैसरजहां को अपना उम्मीदवार घोषित किया है.

मिश्रित संसदीय सीट पर बीजेपी ने मौजूदा सांसद को झटका दे दिया है, बीजेपी ने मौजूदा सांसद अंजुबाला का टिकट काटकर उनकी जगह बीएसपी से आये पूर्व सांसद अशोक रावत को अपना उम्मीदवार बनाया है. अशोक रावत पहले मिश्रित संसदीय सीट से बीएसपी के टिकट पर सांसद रह चुके हैं, वर्ष 2014 में बीएसपी के टिकट पर चुनाव हारने के बाद उन्होंने बीजेपी ज्वाइन की और टिकट पाने में सफल रहे. कांग्रेस ने इस सीट पर राजनीति के पुरोधा पूर्व केंद्रीय मंत्री रामलाल राही की पुत्रवधू मंजरी राही को अपना उम्मीदवार घोषित किया है,सपा-बसपा गठबंधन ने इन दोनों सीटो पर अपने उम्मीदवार अभी तक घोषित नहीं किये हैं.

धौरहरा संसदीय सीट पर मौजूदा समय में बीजेपी का कब्ज़ा है और रेखा वर्मा बीजेपी की सांसद हैं लेकिन पार्टी ने इस सीट पर अभी तक अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है.कांग्रेस से जितिन प्रसाद संभावित उम्मीदवार है पर उसकी घोषणा अभी अधर में है, हां बीएसपी ने बाजी मारते हुए अपने उम्मीदवार की घोषणा जरूर कर दी है.

मोहनलालगंज सीट पर बीजेपी ने मौजूदा सांसद कौशल किशोर पर एक बार फिर भरोसा जताया है.जबकि दूसरे दलों के उम्मीदवारों की घोषणा अभी बाकी है.कुल मिलाकर देखा जाय तो अब तक जिन नामो की घोषणा की जा चुकी है उसे देखकर इतना तो कहा ही जा सकता है कि चाहे कांग्रेस हो या बीजेपी, लोकसभा के इस चुनावी समर में फतेह हासिल करने के लिए किसी को भी दलबदलुओं से कोई परहेज नहीं है.

पीटीसी-नीरज श्रीवास्तव

सीतापुर से नीरज श्रीवास्तव की रिपोर्ट,9415084887


Body:दलबदलुओं को टिकट में इस बार भी मिला महत्व


Conclusion:
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