सीतापुर: लॉकडाउन लागू हुए दो माह से ज्यादा का समय बीत चुका है. लोगों की जीवनचर्या को पटरी पर लाने के लिए सरकार के दिशा-निर्देशों पर स्थानीय प्रशासन ने कुछ शर्तों और समय सारिणी के मुताबिक व्यवसाय शुरू करने की छूट भी दे दी है. इसके चलते लोग घरों से बाहर निकलकर अपनी जरूरत के मुताबिक खरीदारी भी करने लगे हैं. वहीं इस दौर में भी लोगों को उनकी मंजिल तक पहुंचाकर उसकी कमाई से अपने परिवार का जीवन चलाने वाले ऑटो और ई-रिक्शा चालकों की परेशानियों का दौर थमा नहीं है और न ही उससे उबरने के आसार दिखाई दे रहे हैं.
ऑटो चालक परेशान
शहर में करीब डेढ़ हजार से ज्यादा ऑटो और ई-रिक्शा चालक है. ये लोग रोज कमाकर अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम करते हैं. आम जनता को भी इनके इस्तेमाल में धन और समय की बचत होती थी, लेकिन लॉकडाउन लागू होने के साथ इनके वाहनों के पहिये भी थम चुके हैं. लिहाजा इन ऑटो और ई-रिक्शा चालकों की कमाई भी पूरी तरह से बंद हो चुकी है. अपनी गाढ़ी कमाई का जो हिस्सा इन्होंने इकट्ठा किया था, आमदनी बंद होने के बाद पिछले दो महीनों में वह भी खर्च हो चुका है और उधार-व्यवहार से काम चलाने का जरिया भी अब समाप्त हो गया है. वहीं अब इनके सामने रोजी-रोटी का संकट गहराने लगा है. ऐसे ऑटो और ई-रिक्शा चालकों की जीवनचर्या की जब ईटीवी भारत ने पड़ताल की तो उनकी परेशानियों का दर्द छलक उठा.
रोजी रोटी पर संकट
शहर के मोहल्ला आलमनगर में रहने वाले रामू ने बताया कि उन्होंने लोन लेकर ऑटो खरीदा था. ऑटो चलाकर अपने परिवार का पेट पालते थे और उसी से कुछ हिस्सा बचाकर कर्ज की किश्त भी जमा कर देते थे, लेकिन पिछले दो माह से ज्यादा समय से लॉकडाउन लागू होने के कारण उनकी कमाई पूरी तरह से बंद है. वहीं लोन की किश्त जमा करने की बात तो दूर, परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का बंदोबस्त करना भी मुश्किल साबित हो रहा है.
आर्थिक संकट
मोहल्ला गदियाना में रहने वाले सर्वेश कुमार राठौर ने भी कुछ ऐसे ही हालातों का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें भी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. परिवार के लिए जरूरी चीजों की व्यवस्था करने में उन्हें काफी दिक्कतें हो रही हैं, क्योंकि दो माह से एक भी पैसे की कमाई नहीं हुई है. वहीं निकट भविष्य में भी उनका व्यवसाय शुरू होने के आसार नहीं दिखाई दे रहे हैं.
एक ऑटो चालक की पत्नी शांती देवी ने बताया कि उनके परिवार में भुखमरी जैसे हालात आ गए हैं. किसी समय खाने की व्यवस्था हो गई तो किसी समय उसका इंतजाम करना मुश्किल साबित हो रहा है. उनके ऑटो और ई-रिक्शा दो माह से खड़े जंग खा रहे हैं. इस तरह देखा जाए तो प्रशासन ने भले ही समय सारिणी और कुछ शर्तों के साथ बाजार की दुकानें खोलने की अनुमति तो दे दी है, लेकिन बाजार जाने के लिए सड़कों पर रिक्शा और ऑटो या फिर ई-रिक्शा का संचालन न होने से लोगों को अपने साधन या फिर पैदल ही जाने को मजबूर होना पड़ रहा है. अब इस कमाई पर आश्रित परिवारों को कब राहत मिल पाती है. इसका लोगों को बेसब्री से इंतजार है.