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सीतापुर: कृषि वैज्ञानिक ने दी जानकारी, कैसे करें टिड्डी दल के आक्रमण से बचाव - टिड्डी दल से बचाव के तरीके

उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के अम्बरपुर कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों का कहना है कि टिड्डियों का दल जिले में प्रवेश कर चुका है. वैज्ञानिक विनोद कुमार सिंह ने खेतों की फसलों को टिड्डी दल से बचाने के उपाय साझा किए..जानिए क्या हैं उपाय.

कृषि वैज्ञानिक विनोद कुमार सिंह.
कृषि वैज्ञानिक विनोद कुमार सिंह.
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Published : Jul 11, 2020, 12:40 PM IST

सीतापुर: जिले के कृषि विज्ञान केन्द्र अम्बरपुर के वैज्ञानिकों ने टिड्डी दल के हमले से फसलों के बचाव हेतु किसानों के साथ जानकारी साझा की है. साथ ही किसानों से अपील की है कि किसी भी क्षेत्र में यदि टिड्डी दल दिखाई दे, तो तत्काल अपने क्षेत्र के उद्यान विभाग एवं कृषि विभाग के अधिकारियों, प्राविधिक सहायकों और सलाहकारों से संपर्क करें.

कृषि केंद्र ने साझा किए टिड्डी दल नियंत्रण उपाय.
कृषि केंद्र ने साझा किए टिड्डी दल से बचाव के उपाय.

टिड्डी दल से रहें सजग
कृषि विज्ञान केन्द्र अम्बरपुर के वैज्ञानिक विनोद कुमार सिंह ने किसानों के मोबाइल पर भेजी जा रही जानकारी में कहा कि जनपद हरदोई-सीतापुर बार्डर से सटे पिसावां विकास खण्ड के जलालनगर, बहुकुरहा गांव से बीती रात रात्रि 5-6 किलोमीटर के क्षेत्र में टिड्डियों का भयानक हमला हुआ.

शनिवार को यह टिड्डी दल उड़ान भरकर मिश्रिख होते हुए सिधौली की तरफ बढ़ रहा है. साथ ही सीतापुर के अन्य क्षेत्रों से होते हुए लखनऊ बाराबंकी की ओर भी जा सकता है. टिड्डी दल के अटैक को देखते हुए सभी कृषक बंधुओं से अनुरोध किया गया कि सजग रहें एवं टिड्डी दल की लोकेशन विभिन्न माध्यमों से ज्ञात करते रहें.

टिड्डी दल के आक्रमण से कैसे करें बचाव

  • टिड्डी दल का समूह जब भी आकाश में दिखाई पड़े, तो घास-फूस का उपयोग करके धुआं करना चाहिए. आग जलाना चाहिए, जिससे टिड्डी दल खेत में न बैठकर आगे निकल जाएगा.
  • ध्वनि विस्तारक यंत्रों के उपयोग से टिड्डी दल को भगाया जा सकता है. खेतों मे पटाखे फोड़कर, थाली बजाकर, ढोल-नगाड़े बजाकर आवाज करें या ट्रैक्टर के साइलेसंर को निकाल कर भी तेज ध्वनि कर सकते हैं.
  • प्रकाश प्रपंच लगाकर एकत्रित करके नष्ट कर सकते हैं.
  • कल्टीवेटर या रोटावेटर चलाकर टिड्डी दल को व उनके अंडों को नष्ट किया जा सकता है.

आक्रमण से बचने के रासायनिक उपाय

टिड्डी दल शाम के 6 से 7 बजे के आसपास जमीन पर बैठ जाता है और फिर सुबह 8-9 बजे के करीब उड़ान भरता है. इसी अवधि में खेतों में शक्ति (ट्रैक्टर) चालित स्प्रेयर की मदद से कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव किया जा सकता है. रसायन के छिड़काव का सबसे उपयुक्त समय रात्रि 11 बजे से सुबह 8 बजे तक होता होता है.

टिड्डी दल पर नियंत्रण के लिए क्लोरपाइरीफास 20% ईसी या बेन्डियोकार्ब 80% ईसी, 1200 मिली या क्लोरपाइरीफास 50% ईसी, 480 मिली या डेल्टामेथरिन 2.8% ईसी, 625 मिली या डेल्टामेथरिन 1.25% ईसी, 1400 मिली या डाईफ्लूबेनज्यूरॉन 25% ईसी, डब्ल्यूपी 120 ग्राम या लैम्ब्डा-साईहेलोथ्रिन 5% ईसी, 400 मिली या लैम्ब्डा-साईहेलोथ्रिन 10% ईसी, डब्ल्यूपी 200 ग्राम प्रति हैक्टेयर कीटनाकों का उपयोग किया जा सकता है.

मैलाथियान 5% धूल अथवा फेनवेलरेट धूल की 25 किलो मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से डस्टर की मदद से छिड़काव करें. इसके लिए प्रातः काल का समय अधिक उपयुक्त होता है, क्योंकि इस समय पत्तियों पर ओस पड़ी रहती है. जिससे धूल पत्तियों पर चिपक जाती है. छिड़काव को खेत के बाहरी हिस्से से प्रारंभ करते हुए अंदर की तरफ करना चाहिए.

सीतापुर: जिले के कृषि विज्ञान केन्द्र अम्बरपुर के वैज्ञानिकों ने टिड्डी दल के हमले से फसलों के बचाव हेतु किसानों के साथ जानकारी साझा की है. साथ ही किसानों से अपील की है कि किसी भी क्षेत्र में यदि टिड्डी दल दिखाई दे, तो तत्काल अपने क्षेत्र के उद्यान विभाग एवं कृषि विभाग के अधिकारियों, प्राविधिक सहायकों और सलाहकारों से संपर्क करें.

कृषि केंद्र ने साझा किए टिड्डी दल नियंत्रण उपाय.
कृषि केंद्र ने साझा किए टिड्डी दल से बचाव के उपाय.

टिड्डी दल से रहें सजग
कृषि विज्ञान केन्द्र अम्बरपुर के वैज्ञानिक विनोद कुमार सिंह ने किसानों के मोबाइल पर भेजी जा रही जानकारी में कहा कि जनपद हरदोई-सीतापुर बार्डर से सटे पिसावां विकास खण्ड के जलालनगर, बहुकुरहा गांव से बीती रात रात्रि 5-6 किलोमीटर के क्षेत्र में टिड्डियों का भयानक हमला हुआ.

शनिवार को यह टिड्डी दल उड़ान भरकर मिश्रिख होते हुए सिधौली की तरफ बढ़ रहा है. साथ ही सीतापुर के अन्य क्षेत्रों से होते हुए लखनऊ बाराबंकी की ओर भी जा सकता है. टिड्डी दल के अटैक को देखते हुए सभी कृषक बंधुओं से अनुरोध किया गया कि सजग रहें एवं टिड्डी दल की लोकेशन विभिन्न माध्यमों से ज्ञात करते रहें.

टिड्डी दल के आक्रमण से कैसे करें बचाव

  • टिड्डी दल का समूह जब भी आकाश में दिखाई पड़े, तो घास-फूस का उपयोग करके धुआं करना चाहिए. आग जलाना चाहिए, जिससे टिड्डी दल खेत में न बैठकर आगे निकल जाएगा.
  • ध्वनि विस्तारक यंत्रों के उपयोग से टिड्डी दल को भगाया जा सकता है. खेतों मे पटाखे फोड़कर, थाली बजाकर, ढोल-नगाड़े बजाकर आवाज करें या ट्रैक्टर के साइलेसंर को निकाल कर भी तेज ध्वनि कर सकते हैं.
  • प्रकाश प्रपंच लगाकर एकत्रित करके नष्ट कर सकते हैं.
  • कल्टीवेटर या रोटावेटर चलाकर टिड्डी दल को व उनके अंडों को नष्ट किया जा सकता है.

आक्रमण से बचने के रासायनिक उपाय

टिड्डी दल शाम के 6 से 7 बजे के आसपास जमीन पर बैठ जाता है और फिर सुबह 8-9 बजे के करीब उड़ान भरता है. इसी अवधि में खेतों में शक्ति (ट्रैक्टर) चालित स्प्रेयर की मदद से कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव किया जा सकता है. रसायन के छिड़काव का सबसे उपयुक्त समय रात्रि 11 बजे से सुबह 8 बजे तक होता होता है.

टिड्डी दल पर नियंत्रण के लिए क्लोरपाइरीफास 20% ईसी या बेन्डियोकार्ब 80% ईसी, 1200 मिली या क्लोरपाइरीफास 50% ईसी, 480 मिली या डेल्टामेथरिन 2.8% ईसी, 625 मिली या डेल्टामेथरिन 1.25% ईसी, 1400 मिली या डाईफ्लूबेनज्यूरॉन 25% ईसी, डब्ल्यूपी 120 ग्राम या लैम्ब्डा-साईहेलोथ्रिन 5% ईसी, 400 मिली या लैम्ब्डा-साईहेलोथ्रिन 10% ईसी, डब्ल्यूपी 200 ग्राम प्रति हैक्टेयर कीटनाकों का उपयोग किया जा सकता है.

मैलाथियान 5% धूल अथवा फेनवेलरेट धूल की 25 किलो मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से डस्टर की मदद से छिड़काव करें. इसके लिए प्रातः काल का समय अधिक उपयुक्त होता है, क्योंकि इस समय पत्तियों पर ओस पड़ी रहती है. जिससे धूल पत्तियों पर चिपक जाती है. छिड़काव को खेत के बाहरी हिस्से से प्रारंभ करते हुए अंदर की तरफ करना चाहिए.

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