सीतापुर: गांव में किसी को शौच के लिए खेतों में न जाना पड़े, इसके लिए केंद्र सरकार ने स्वच्छता अभियान की शुरूआत की. अब इस अभियान को यूपी में बैठे अधिकारी पलीता लगा रहे हैं. सीतापुर के गांवों को ओडीएफ घोषित किया जा चुका था. अब इसके 111 गांवों की जांच फिर से की जा रही है.
केंद्र और प्रदेश की सरकार ने शौचालय बनाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए. इसके साथ ही लोगों को जागरूक करने के लिए करोड़ों रुपये विज्ञापन में खर्च किए गए. अब इस योजना को लागू करने की बारी आई तो अधिकारियों ने इसमें खेल कर दिया. कागज पर तो सभी घरों में शौचालय बनवा दिए, लेकिन हकीकत में 111 गांव में यह योजना पूरी तरह लागू भी नहीं हो पाई.
सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन अभियान के अंतर्गत गांवों को खुले में शौच से मुक्त कराने का लक्ष्य तय किया था. हर घर में शौचालय बने और बहू-बेटियों को शौच के लिए घर से बाहर न जाना पड़े. इसके लिए बजट जारी किया था. शौचालय के लिए प्रोत्साहन राशि जारी करने में अधिकारियों-कर्मचारियों ने खेल किया. सरकार ने 30 नवम्बर तक ओडीएफ घोषित करने की तारीख तय की तो यहां भी जिले को ओडीएफ घोषित करने का प्रमाणपत्र जारी कर दिया गया.
सीतापुर के 111 गांव ओडीएफ घोषित करने को लेकर अब सवाल खड़े किये जा रहे हैं. निदेशक स्वच्छ भारत मिशन तुलसीराम विश्वकर्मा ने तमाम गांवों को मानक पर खरा न उतरने के कारण 111 गांवों का दोबारा सत्यापन कराने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने बताया कि जिले में कुल 2307 राजस्व गांव हैं. गांवों की संख्या अधिक होने के कारण यहां इस योजना के तहत भारी बजट भी जारी किया गया था.