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सीतापुर: ओडीएफ घोषित होने के बाद 111 गांवों पर लगे दाग, फिर से होगी जांच - सीतापुर न्यूज

केंद्र और प्रदेश की सरकार ने शौचालय बनाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए. इसके साथ ही लोगों को जागरूक करने के लिए करोड़ों रुपये विज्ञापन में खर्च किए गए. अब इस योजना को लागू करने की बारी आई तो अधिकारियों ने इसमें खेल कर दिया. कागज पर तो सभी घरों में शौचालय बनवा दिए, लेकिन हकीकत में 111 गांव में यह योजना पूरी तरह लागू भी नहीं हो पाई.

हकीकत में 111 गांव में यह योजना पूरी तरह लागू भी नहीं पाई.
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Published : Feb 27, 2019, 12:02 AM IST

सीतापुर: गांव में किसी को शौच के लिए खेतों में न जाना पड़े, इसके लिए केंद्र सरकार ने स्वच्छता अभियान की शुरूआत की. अब इस अभियान को यूपी में बैठे अधिकारी पलीता लगा रहे हैं. सीतापुर के गांवों को ओडीएफ घोषित किया जा चुका था. अब इसके 111 गांवों की जांच फिर से की जा रही है.


केंद्र और प्रदेश की सरकार ने शौचालय बनाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए. इसके साथ ही लोगों को जागरूक करने के लिए करोड़ों रुपये विज्ञापन में खर्च किए गए. अब इस योजना को लागू करने की बारी आई तो अधिकारियों ने इसमें खेल कर दिया. कागज पर तो सभी घरों में शौचालय बनवा दिए, लेकिन हकीकत में 111 गांव में यह योजना पूरी तरह लागू भी नहीं हो पाई.


सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन अभियान के अंतर्गत गांवों को खुले में शौच से मुक्त कराने का लक्ष्य तय किया था. हर घर में शौचालय बने और बहू-बेटियों को शौच के लिए घर से बाहर न जाना पड़े. इसके लिए बजट जारी किया था. शौचालय के लिए प्रोत्साहन राशि जारी करने में अधिकारियों-कर्मचारियों ने खेल किया. सरकार ने 30 नवम्बर तक ओडीएफ घोषित करने की तारीख तय की तो यहां भी जिले को ओडीएफ घोषित करने का प्रमाणपत्र जारी कर दिया गया.

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111 गांवों में यह योजना पूरी तरह लागू भी नहीं पाई.

सीतापुर के 111 गांव ओडीएफ घोषित करने को लेकर अब सवाल खड़े किये जा रहे हैं. निदेशक स्वच्छ भारत मिशन तुलसीराम विश्वकर्मा ने तमाम गांवों को मानक पर खरा न उतरने के कारण 111 गांवों का दोबारा सत्यापन कराने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने बताया कि जिले में कुल 2307 राजस्व गांव हैं. गांवों की संख्या अधिक होने के कारण यहां इस योजना के तहत भारी बजट भी जारी किया गया था.

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सीतापुर: गांव में किसी को शौच के लिए खेतों में न जाना पड़े, इसके लिए केंद्र सरकार ने स्वच्छता अभियान की शुरूआत की. अब इस अभियान को यूपी में बैठे अधिकारी पलीता लगा रहे हैं. सीतापुर के गांवों को ओडीएफ घोषित किया जा चुका था. अब इसके 111 गांवों की जांच फिर से की जा रही है.


केंद्र और प्रदेश की सरकार ने शौचालय बनाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए. इसके साथ ही लोगों को जागरूक करने के लिए करोड़ों रुपये विज्ञापन में खर्च किए गए. अब इस योजना को लागू करने की बारी आई तो अधिकारियों ने इसमें खेल कर दिया. कागज पर तो सभी घरों में शौचालय बनवा दिए, लेकिन हकीकत में 111 गांव में यह योजना पूरी तरह लागू भी नहीं हो पाई.


सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन अभियान के अंतर्गत गांवों को खुले में शौच से मुक्त कराने का लक्ष्य तय किया था. हर घर में शौचालय बने और बहू-बेटियों को शौच के लिए घर से बाहर न जाना पड़े. इसके लिए बजट जारी किया था. शौचालय के लिए प्रोत्साहन राशि जारी करने में अधिकारियों-कर्मचारियों ने खेल किया. सरकार ने 30 नवम्बर तक ओडीएफ घोषित करने की तारीख तय की तो यहां भी जिले को ओडीएफ घोषित करने का प्रमाणपत्र जारी कर दिया गया.

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111 गांवों में यह योजना पूरी तरह लागू भी नहीं पाई.

सीतापुर के 111 गांव ओडीएफ घोषित करने को लेकर अब सवाल खड़े किये जा रहे हैं. निदेशक स्वच्छ भारत मिशन तुलसीराम विश्वकर्मा ने तमाम गांवों को मानक पर खरा न उतरने के कारण 111 गांवों का दोबारा सत्यापन कराने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने बताया कि जिले में कुल 2307 राजस्व गांव हैं. गांवों की संख्या अधिक होने के कारण यहां इस योजना के तहत भारी बजट भी जारी किया गया था.

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Intro:सीतापुर-सरकार ने खुले में शौच जाने से लोगो को रोकने के लिए ओडीएफ लागू किया,युद्धस्तर पर गांवों में शौचालय बनवाने के लिए लंबा-चौड़ा बजट जारी किया,इस योजना के प्रचार प्रसार पर भी खूब पैसा खर्च किया गया और आखिरकार जिले को ओडीएफ भी घोषित कर दिया गया लेकिन जमीनी हकीकत यह कि यह योजना भी दूसरी योजनाओं की तरह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई और खुले में शौच जाने की प्रथा को इसके बावजूद नही रोका जा सका.

वीओ-सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन अभियान के अंतर्गत गांवों को खुले में शौच से मुक्त कराने का लक्ष्य तय किया था, हर घर मे शौचालय यानी इज़्ज़तघर बने और बहू-बेटियों को शौच के लिए घर से बाहर न जाना पड़े.इसके लिए ओडीएफ को लागू किया गया था, इस योजना के तहत सरकार ने भारी भरकम बजट जारी किया था,शौचालय के लिए प्रोत्साहन राशि जारी करने में अधिकारियों-कर्मचारियों ने जमकर कमीशनखोरी की और दलालो के जरिए इस योजना में लाभार्थियों का चयन किया गया.सरकार ने 30 नवम्बर तक ओडीएफ घोषित करने की तारीख तय की तो यहां भी जिले को ओडीएफ घोषित करने का प्रमाणपत्र जारी कर दिया गया,लेकिन यहां के ओडीएफ घोषित करने को लेकर अब सवाल खड़े किये जा रहे हैं,निदेशक स्वच्छ भारत मिशन ने तमाम गांवो को मानक पर खरा न उतरने के कारण 111 गांवो का दुबारा सत्यापन कराने के निर्देश दिए हैं.

बाइट-तुलसीराम विश्वकर्मा (डीपीआरओ)

बाइट- जिले में कुल 2307 राजस्व गांव है,गांवो की संख्या अधिक होने के कारण यहां इस योजना के तहत भारी बजट भी जारी किया गया था चूंकि इस पूरी योजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी जिलाधिकारी को सौंपी गई थी इसलिए उनके निर्देश पर ही ज्यादातर कार्यों को संचालित किया गया.

पीटीसी-नीरज श्रीवास्तव

सीतापुर से नीरज श्रीवास्तव की रिपोर्ट,9415084887


Body:दुबारा सत्यापन के आदेश से अफसरों के उड़े होश


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