सिद्धार्थनगर: डुमरियागंज तहसील मुख्यालय से आठ किमी दूरी पर स्थित प्रसिद्ध धार्मिक तीर्थ स्थल भारतभारी अपने इतिहास में कई काल खंडों का रहस्य समेटे हुए है. पौराणिक महत्व के अलावा ऐतिहासिक धरोहर के रूप में विख्यात इस स्थल पर कार्तिक पूर्णिमा को लगने वाले मेले में क्षेत्रीय लोगों के अलावा प्रदेश के अन्य जनपदों से भी लोग आते हैं और पवित्र सरोवर में स्नान कर पूजा पाठ करते है.
यहां स्थित भरतकुंड जलाशय (हनुमान सरोवर), शिव मंदिर, राम जानकी मंदिर, मां दुर्गा और हनुमान जी का भव्य मंदिर धार्मिक स्थल की शोभा बढ़ाने के साथ श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करने में कोई कसर बाकी नहीं रखते. भरतकुंड सरोवर का पानी हमेशा स्वच्छ व निर्मल बना रहता है. इस सरोवर में घास-फूस तक नहीं उगते न ही सरोवर की मछलियों को मारने की ही अनुमति है.
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पुरातत्वविदों का मत
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास के प्रो. सतीश चंद्र व एस.एन. सिंह सहित गोरखपुर विश्वविद्यालय के कृष्णानंद त्रिपाठी ने भारतभारी का स्थलीय निरीक्षण करके मूर्तियों, धातुओं, पुरा अवशेषों के अवलोकन के बाद टीले के नीचे एक समृद्ध सभ्यता होने की बात कही. प्राचीन टीले व कुएं के नीचे दीवालों के बीच में कहीं-कहीं लगभग आठ फिट लंबे नर कंकाल मिलते है, जो इतने पुराने हैं कि छूते ही राख जैसे बिखर जाते हैं. कृष्णानंद त्रिपाठी द्वारा ले जाये गये अवशेषों को गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास विभाग के संग्रहालय में देखा जा सकता है.
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