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सहारनपुर में दिखी कौमी एकता की मिसाल, आपस में बातचीत कर सुलझाया जमीन विवाद

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में लंबे समय से विवादित चल गुरुद्वारा मस्जिद जमीन मामले को सिख और मुस्लिम समुदाय ने बैठकर आपस में सुलझा लिया. इसके बाद डीएम आलोक कुमार पांडेय ने सहारनपुर वासियों की सराहना की है.

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विवादित जमीन का समझौता.
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Published : Feb 27, 2020, 3:32 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST

सहारनपुर: जिले में लंबे समय से विवादित चल रहे गुरुद्वारा-मस्जिद जमीन विवाद मामले में दो समुदायों ने ऐतिहासिक समझौता किया है. सिख समुदाय ने जिला प्रशासन की मौजूदगी में 200 गज जमीन मुस्लिम इलाके में दी तो वहीं मुस्लिम समुदाय के लोगों ने रजिस्टर्ड समझौते पर हस्ताक्षर कर भाईचारे की नई इबादत लिखी है. इस दौरान सभी धर्मों के लोगों ने एक साथ गुरुद्वारा निर्माण के लिए शिलान्यास कर अमन चैन से रहने का संकल्प लिया. इस मौके पर डीएम आलोक कुमार पांडेय ने सहारनपुर वासियों के समझौते की सराहना की.

दो समुदायों ने बैठकर सुलझाया विवाद.

अंबाला हाईवे के गुरुद्वारा रोड पर खाली पड़ी जमीन को लेकर सिख और मुस्लिम समुदाय के बीच विवाद चला आ रहा था. गुरुसिंह सभा गुरुद्वारा की जगह होने का दावा कर रही थी तो वहीं मुस्लिम समुदाय मस्जिद की जमीन होने की बात कह रहा था. विवादित जमीन को लेकर 26 जुलाई 2014 में दोनों समुदाय के आमने-सामने आने से सहारनपुर में हिंसा हुई थी. इस दौरान उपद्रवियों ने सैकड़ों दुकानों में लूटपाट कर आगजनी कर दी थी. इस दौरान दोनों पक्षों के बीच हुए पथराव और फायरिंग में एक सख्स की मौत हो गई थी, जबकि सैकड़ों लोग गंभीर घायल हो गए थे.

मोहर्रम अली पप्पू पर लगी थी रासुका
मामला बढ़ने से प्रशासन को कर्फ्यू लगाना पड़ा था. मामले में मोहर्रम अली पप्पू को हिंसा के मुख्य आरोपी के रूप गिरफ्तार कर रासुका के तहत जेल भेज दिया गया था. 2014 से गुरुद्वारा मस्जिद का यह मामला अदालत में विचाराधीन चल रहा था. इसी बीच दोनों पक्षों के लोगों ने जिला प्रशासन की मध्यस्थता में मामले को निपटाने का मन बना लिया, जिसके बाद बुधवार को दोनों पक्षकारों ने एक टेबल पर बैठकर डीएम आलोक कुमार पांडेय और एसएसपी दिनेश कुमार पी की मौजूदगी में ऐतिहासिक समझौते को अंजाम दिया.

जशबीर सिंह बग्गा ने दी जानकारी
गुरुसिंह सभा प्रधान सरदार जशबीर सिंह बग्गा और मुस्लिम पक्ष के मोहर्रम अली पप्पू की अगुवाई में दोनों पक्षों के जिम्मेदार लोगों ने पूरी जमीन को गुरुद्वारे के नाम कर दिया, जबकि गुरुसिंह सभा ने मस्जिद के लिए मुस्लिम इलाके में 200 गज जमीन देकर नया इतिहास बनाया. दोनों पक्षों का कहना है कि मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारा सभी ईश्वर, अल्लाह और गुरु ग्रंथ साहब के स्थान हैं. सभी जगह भगवान की इबादत होती है. इसलिए ऐसे मामले में एक टेबल पर बैठकर निपटा लेने चाहिए.

डीएम ने की सराहना
डीएम आलोक कुमार पांडेय ने कहा कि सिख और मुस्लिम समुदाय ने मिलकर 26 फरवरी 2020 को सहारनपुर के लिए ऐतिहासिक दिन बना दिया. आज दोनों समुदायों ने बहुत अच्छी तरीके से एक सुलेहनामा प्रस्तुत किया है. खास बात यह है कि मुस्लिम समुदाय ने सामने से आकर नए गुरुद्वारे को बनाने के लिए नींव खोदकर सेवा खुद की. यह भाईचारे की एक बहुत ही सुंदर मिसाल है.

इसे भी पढ़ें- हिंसाग्रस्त क्षेत्रों का जायजा लेने के बाद गृहमंत्री अमित शाह से मिले डोभाल

इस ऐतिहासिक समझौते से सहारनपुर में सौहार्द की मिसाल पेश हुई है, लेकिन बिना कसूर के दंगे का मुख्य आरोपी बनाया गया, इस बात का हमेशा मलाल रहेगा. यह एक सोची समझी साजिश थी. गुरुद्वारे के निर्माण में हम खुद तसला उठाकर सेवा करेंगे.
-मोहर्रम अली पप्पू, मुस्लिम पक्षकार

सहारनपुर: जिले में लंबे समय से विवादित चल रहे गुरुद्वारा-मस्जिद जमीन विवाद मामले में दो समुदायों ने ऐतिहासिक समझौता किया है. सिख समुदाय ने जिला प्रशासन की मौजूदगी में 200 गज जमीन मुस्लिम इलाके में दी तो वहीं मुस्लिम समुदाय के लोगों ने रजिस्टर्ड समझौते पर हस्ताक्षर कर भाईचारे की नई इबादत लिखी है. इस दौरान सभी धर्मों के लोगों ने एक साथ गुरुद्वारा निर्माण के लिए शिलान्यास कर अमन चैन से रहने का संकल्प लिया. इस मौके पर डीएम आलोक कुमार पांडेय ने सहारनपुर वासियों के समझौते की सराहना की.

दो समुदायों ने बैठकर सुलझाया विवाद.

अंबाला हाईवे के गुरुद्वारा रोड पर खाली पड़ी जमीन को लेकर सिख और मुस्लिम समुदाय के बीच विवाद चला आ रहा था. गुरुसिंह सभा गुरुद्वारा की जगह होने का दावा कर रही थी तो वहीं मुस्लिम समुदाय मस्जिद की जमीन होने की बात कह रहा था. विवादित जमीन को लेकर 26 जुलाई 2014 में दोनों समुदाय के आमने-सामने आने से सहारनपुर में हिंसा हुई थी. इस दौरान उपद्रवियों ने सैकड़ों दुकानों में लूटपाट कर आगजनी कर दी थी. इस दौरान दोनों पक्षों के बीच हुए पथराव और फायरिंग में एक सख्स की मौत हो गई थी, जबकि सैकड़ों लोग गंभीर घायल हो गए थे.

मोहर्रम अली पप्पू पर लगी थी रासुका
मामला बढ़ने से प्रशासन को कर्फ्यू लगाना पड़ा था. मामले में मोहर्रम अली पप्पू को हिंसा के मुख्य आरोपी के रूप गिरफ्तार कर रासुका के तहत जेल भेज दिया गया था. 2014 से गुरुद्वारा मस्जिद का यह मामला अदालत में विचाराधीन चल रहा था. इसी बीच दोनों पक्षों के लोगों ने जिला प्रशासन की मध्यस्थता में मामले को निपटाने का मन बना लिया, जिसके बाद बुधवार को दोनों पक्षकारों ने एक टेबल पर बैठकर डीएम आलोक कुमार पांडेय और एसएसपी दिनेश कुमार पी की मौजूदगी में ऐतिहासिक समझौते को अंजाम दिया.

जशबीर सिंह बग्गा ने दी जानकारी
गुरुसिंह सभा प्रधान सरदार जशबीर सिंह बग्गा और मुस्लिम पक्ष के मोहर्रम अली पप्पू की अगुवाई में दोनों पक्षों के जिम्मेदार लोगों ने पूरी जमीन को गुरुद्वारे के नाम कर दिया, जबकि गुरुसिंह सभा ने मस्जिद के लिए मुस्लिम इलाके में 200 गज जमीन देकर नया इतिहास बनाया. दोनों पक्षों का कहना है कि मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारा सभी ईश्वर, अल्लाह और गुरु ग्रंथ साहब के स्थान हैं. सभी जगह भगवान की इबादत होती है. इसलिए ऐसे मामले में एक टेबल पर बैठकर निपटा लेने चाहिए.

डीएम ने की सराहना
डीएम आलोक कुमार पांडेय ने कहा कि सिख और मुस्लिम समुदाय ने मिलकर 26 फरवरी 2020 को सहारनपुर के लिए ऐतिहासिक दिन बना दिया. आज दोनों समुदायों ने बहुत अच्छी तरीके से एक सुलेहनामा प्रस्तुत किया है. खास बात यह है कि मुस्लिम समुदाय ने सामने से आकर नए गुरुद्वारे को बनाने के लिए नींव खोदकर सेवा खुद की. यह भाईचारे की एक बहुत ही सुंदर मिसाल है.

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इस ऐतिहासिक समझौते से सहारनपुर में सौहार्द की मिसाल पेश हुई है, लेकिन बिना कसूर के दंगे का मुख्य आरोपी बनाया गया, इस बात का हमेशा मलाल रहेगा. यह एक सोची समझी साजिश थी. गुरुद्वारे के निर्माण में हम खुद तसला उठाकर सेवा करेंगे.
-मोहर्रम अली पप्पू, मुस्लिम पक्षकार

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST
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