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शामली: माता-पिता को कांवड़ में बैठाकर धार्मिक यात्रा पर निकला बेटा

जनपद के रहने वाले पप्पन माता-पिता को लेकर धार्मिक यात्रा पर निकले हैं. कलयुग के इस श्रवण ने हरिद्वार में हर की पैड़ी पर गंगाजल भरने के बाद माता-पिता को कांवड़ में बैठाकर यात्रा शुरू की.

मां-बाप को कांवड से यात्रा कराता बेटा
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Published : Jul 28, 2019, 5:59 PM IST

शामली: देश में आज भी ऐसे युवा हैं, जो अपने माता-पिता और बुजुर्गों की सेवा के लिए अलग ही सोच रखते हैं. युवाओं की सोच बदलने निकले 'कलयुग के श्रवण कुमार' पप्पन ने भी कुछ ऐसा ही कर दिखाने का सपना संजोया है. पानीपत के रहने वाले पप्पन माता-पिता को लेकर धार्मिक यात्रा पर निकले हैं. कलयुग के इस श्रवण ने हरिद्वार में हर का पैड़ी में गंगाजल भरने के बाद माता-पिता को कांवड़ में बैठाकर यात्रा शुरू की.

माता-पिता को कांवड़ से यात्रा कराता बेटा.

कलयुग का श्रवण कुमार

  • पानीपत के पप्पन युवाओं के लिए मिशाल बन गए हैं.
  • पप्पन का कहना है कि देश का हर युवा अपने माता-पिता और बुजुर्गों की सेवा करे.
  • उन्होंने यह कदम नई पीढ़ी के युवाओं को संदेश देने के लिए उठाया है.
  • पप्पन हरिद्वार से एक क्विंटल से अधिक वजन लेकर पानीपत के लिए निकले हैं.
  • परिवार का हर शख्श उनकी तारीफ करते हुए यात्रा को सुगम बनाने में उनकी मद्द कर रहा है.

माता-पिता की उंगली थाम के चलना सीखा. हम जो कुछ भी हैं, माता-पिता की वजह से हैं. दुनिया में मां की ममता का कोई मोल नहीं है और पिता की मोहब्बत का कोई तोड़ नहीं है. पप्पन रोजाना तकरीबन 12 से 15 किलोमीटर का सफर तय कर रहे हैं. खास बात यह है कि जब से उन्होंने यात्रा शुरू की है, तभी से महादेव ने मौसम सुहावना करते हुए उनके रास्ते में फूल बिछाने का काम किया है.
-पप्पन, कांवड़िया

शामली: देश में आज भी ऐसे युवा हैं, जो अपने माता-पिता और बुजुर्गों की सेवा के लिए अलग ही सोच रखते हैं. युवाओं की सोच बदलने निकले 'कलयुग के श्रवण कुमार' पप्पन ने भी कुछ ऐसा ही कर दिखाने का सपना संजोया है. पानीपत के रहने वाले पप्पन माता-पिता को लेकर धार्मिक यात्रा पर निकले हैं. कलयुग के इस श्रवण ने हरिद्वार में हर का पैड़ी में गंगाजल भरने के बाद माता-पिता को कांवड़ में बैठाकर यात्रा शुरू की.

माता-पिता को कांवड़ से यात्रा कराता बेटा.

कलयुग का श्रवण कुमार

  • पानीपत के पप्पन युवाओं के लिए मिशाल बन गए हैं.
  • पप्पन का कहना है कि देश का हर युवा अपने माता-पिता और बुजुर्गों की सेवा करे.
  • उन्होंने यह कदम नई पीढ़ी के युवाओं को संदेश देने के लिए उठाया है.
  • पप्पन हरिद्वार से एक क्विंटल से अधिक वजन लेकर पानीपत के लिए निकले हैं.
  • परिवार का हर शख्श उनकी तारीफ करते हुए यात्रा को सुगम बनाने में उनकी मद्द कर रहा है.

माता-पिता की उंगली थाम के चलना सीखा. हम जो कुछ भी हैं, माता-पिता की वजह से हैं. दुनिया में मां की ममता का कोई मोल नहीं है और पिता की मोहब्बत का कोई तोड़ नहीं है. पप्पन रोजाना तकरीबन 12 से 15 किलोमीटर का सफर तय कर रहे हैं. खास बात यह है कि जब से उन्होंने यात्रा शुरू की है, तभी से महादेव ने मौसम सुहावना करते हुए उनके रास्ते में फूल बिछाने का काम किया है.
-पप्पन, कांवड़िया

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देश में आज भी ऐसे युवा मौजूद है, जो अपने माता-पिता और बुजुर्गों की सेवा के लिए अलग ही सोच रखते हैं. युवाओं की सोच बदलने निकले 'कलयुग के श्रवण' पप्पन ने भी कुछ ऐसा ही कर दिखाने का सपना संजोया है। पानीपत के रहने वाले पप्पन ने अपने मां—बाप को लेकर धार्मिक यात्रा पर निकले हैं। कलयुग के इस श्रवण ने हरिद्वार में हर पैड़ी पर गंगाजल भरने के बाद अपने मां—बाप को कांवड़ में बैठाकर यात्रा शुरू की। मां—बाप के प्रति उसकी श्रद्धा को देखते हुए परिवार के लोग और साथी कावड़िया भी उसकी मद्द कर रहे हैं।

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कलयुग का श्रवण: मां—बाप खुश, तो महादेव तो रूठ ही नही सकते

देश में आज भी ऐसे युवा मौजूद है, जो अपने माता-पिता और बुजुर्गों की सेवा के लिए अलग ही सोच रखते हैं. युवाओं की सोच बदलने निकले 'कलयुग के श्रवण' पप्पन ने भी कुछ ऐसा ही कर दिखाने का सपना संजोया है। पानीपत के रहने वाले पप्पन ने अपने मां—बाप को लेकर धार्मिक यात्रा पर निकले हैं। कलयुग के इस श्रवण ने हरिद्वार में हर पैड़ी पर गंगाजल भरने के बाद अपने मां—बाप को कांवड़ में बैठाकर यात्रा शुरू की। मां—बाप के प्रति उसकी श्रद्धा को देखते हुए परिवार के लोग और दोस्त भी उसकी मद्द कर रहे हैं।

शामली: शादी के बाद अधिकांश लोग अपने मां-बाप को अकेले छोड़ देते हैं. लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो युवा पीढ़ी की सोच बदलना चाहते हैं. इसी के तहत पानीपत के पप्पन भी कांवड यात्रा पर निकले है. कि वह पूरे देश के युवाओं को बताना चाहते हैं कि बुजुर्गों की सेवा से बढ़कर कोई धर्म नहीं.

क्विंटल से अधिक वजन, नही थक रहे कदम
. शायद आपको यकीन न हो, लेकिन यह सच है कि कलयुग के श्रवण पप्पन हरिद्वार से एक क्विंटल से अधिक वजन लेकर पानीपत के लिए निकले हैं।

. उनके पिता और मां का वजन सवा क्विंटल के आस—पास है. परिवार का हर शख्श उनकी तारीफ करते हुए यात्रा को सुगम बनाने में उनकी मद्द कर रहा है.

. पप्पन का मानना है कि देश का हर युवा अपने माता-पिता और बुजुर्गों की सेवा करें. उन्होंने यह कदम नई पीढ़ी के युवाओं को संदेश देने के लिए उठाया है.

Conclusion:
महादेव ने यात्रा में बिछाए फूल
पप्पन बताते हैं कि उन्होंने माता-पिता की ऊँगली थाम के चलना सिखा और उनकी मेहनत से पले। हम जो कुछ भी हैं, माता-पिता की वजह से है। दुनिया में माँ की ममता का कोई मोल नहीं है और पिता की मोहब्बत का कोई तोड़ नहीं है। पप्पन ने बताया कि वें रोजाना तकरीबन 12 से 15 किलोमीटर का सफर तय कर रहे हैं. खास बात यह है कि जब से उन्होंने यात्रा शुरू की है, तभी से महादेव ने मौसम सुहावना करते हुए उनके रास्ते में फूल बिछाने का काम किया है.

बाइट: पप्पन, कांवडियां

Reporter:sachin sharma
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