शामलीः जिले की विशेष एमपी एमएलए कोर्ट ने 10 साल पहले हुए गैंगरेप के आरोपियों के गिरफ्तारी के लेकर हुए विवाद में बड़ा फैसला दिया है. मंगलवार को कोर्ट ने यूपी सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा समेत 3 भाजपा नेताओं को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया है. कोर्ट के निर्णय के बाद पूर्व मंत्री ने कहा कि सत्य और न्याय की जीत हुई है.
ये था मामलाः जून 2013 को शामली में उत्तराखंड के हरिद्वार की एक युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म की वारदात सामने आई थी, जिसका आरोप विशेष समुदाय के युवकों पर लगा था. इसी वारदात के विरोध में भाजपा नेता और हिंदू संगठनों के लोगों ने आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर शहर में शिव मूर्ति पर धरना दिया था. इस धरने के दौरान पथराव और आगजनी हो गई थी. इसके बाद पुलिस ने लाठी चार्ज किया था. मामले में पुलिस ने भाजपा नेता सुरेश राणा, घनश्याम पार्चा और उनके भाई राधेश्याम पार्चा को नामजद करते हुए कई अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था. इसके बाद तीनों नामजद आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल कर किया गया था.
कोर्ट ने 30 पन्नों का सुनाया निर्णयः मामले की सुनवाई जिले के कैराना में स्थित अपर जिला सत्र न्यायालय (विशेष न्यायाधीश एमपी/एमएलए कोर्ट) में हुई. अभियोजन पक्ष की ओर से कोर्ट के समक्ष 8 साक्ष्य प्रस्तुत किए गए. मंगलवार को न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार ने दोनों पक्षों की दलील सुनने और पत्रावलियों का अवलोकन करने के बाद 30 पन्नों का अपना निर्णय सुनाया. कोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में प्रदेश सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा सहित उपरोक्त तीनों भाजपा नेताओं को बरी कर दिया है. पूर्व मंत्री के अधिवक्ता ब्रह्मपाल सिंह चौहान और शगुन मित्तल ने बताया कि अभियोजन पक्ष प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों को सिद्ध नहीं कर पाया. जिस पर कोर्ट ने पूर्व मंत्री समेत तीनों को दोषमुक्त करार दिया है.
पूर्व मंत्री बोले, सत्य की हुई है जीतः कोर्ट के निर्णय के बाद पूर्व मंत्री सुरेश राणा ने कहा कि उस समय प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी. सरकार के दबाव में प्रशासन दुष्कर्म के मामले में कार्रवाई को टालना चाहता था. इसीलिए भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ तथ्यहीन व झूठे मुकदमे दर्ज कराए गए. वह कोर्ट के निर्णय का सम्मान करते हैं. यह सत्य और न्याय की जीत हुई है.
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