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फीस के 100 रुपये कम होने पर इलाज नहीं करने से हुई पत्रकार की मौत, डॉक्टर व स्टॉफ पर मुकदमा दर्ज - शामली में अस्पताल ने इलाज से किया मना

यूपी के शामली में पत्रकार की मौत के मामले में स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के बाद पुलिस ने डॉक्टर और प्राईवेट नर्सिंग होम के एक कर्मचारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है. आरोप है कि इमरजेंसी फीस में 100 रुपये नहीं होने पर अस्पताल में पत्रकार को समय से उपचार नहीं मिल पाया, जिसके चलते उसकी मौत हो गई.

journalist death in Shamli
journalist death in Shamli
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Published : May 24, 2023, 10:36 PM IST

शामली: डॉक्टर को धरती का भगवान कहा जाता है, लेकिन शामली में इस सम्मानित पेशे को दागदार करने वाले एक मामले में पुलिस ने नर्सिंग होम के डॉक्टर और कर्मचारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है. समय से उपचार नहीं मिलने के कारण पत्रकार की मौत के बाद डॉक्टरी पेशे पर उंगलियां उठ रही हैं.
कमला कॉलोनी में रहने वाले 49 वर्षीय पत्रकार अमित मोहन गुप्ता 19 मई को सुबह करीब 7 बजे अपने ऑफिस की सफाई कर रहे थे. इसी बीच अचानक उनकी हालत बिगड़ गई थी. जब अमित की हालत बिगड़ी तो उन्होंने अपने ऑफिस के बाहर से गुजर रहे एक शख्स संजय कुमार को मदद के लिए बुलाया था. शामली के तालाब रोड पर रहने वाले और किराना की दुकान चलाने वाले संजय ने बताया कि वह घर से सब्जी लेने निकला था लेकिन अमित ने उसे बुलाया और डॉक्टर के पास ले जाने को कहा. संजय ने बताया कि पत्रकार के मुंह और नाक से खून निकल रहा था, इसलिए वह पहले उसे शामली के डॉक्टर खुर्शीद के अस्पताल ले गए, लेकिन वहां डॉक्टर उपलब्ध नहीं था. इसके बाद वह अमित को शामली के मुकेश नर्सिंग होम ले गया. उन्होंने बताया कि उनकी जेब में सिर्फ 900 रुपये थे, लेकिन इमरजेंसी फीस 1000 होने के चलते अस्पताल में समय से अमित को उपचार नहीं मिल सका.

भाई ने दर्ज कराया मुकदमा: अमित के भाई अनुराग मोहन ने बताया कि वे बदले की भावना से कोई कार्रवाई नहीं करना चाहते हैं. लेकिन उनका इरादा यह सुनिश्चित करना है कि किसी अन्य सामान्य नागरिक को उनके भाई के समान स्थिति का सामना न करना पड़े. अनुराग ने बताया कि नर्सिंग होम में तैनात स्टाफ ने मरीज को देखने के लिए राजी होने से पहले एक हजार रुपये इमरजेंसी फीस मांगी थी. हालांकि उस समय उनके भाई के पास केवल 900 रुपये थे, जो उसने एक स्थानीय व्यक्ति से उधार लिए थे और वहीं व्यक्ति उन्हें उपचार के लिए अस्पताल लेकर पहुंचा था. लेकिन 100 रुपये की कमी के कारण डॉक्टर या स्टाफ ने मरीज को अटेंड नहीं किया, जिससे उनकी मौत हो गई.

स्थानीय पत्रकारों में आक्रोश: डॉक्टरों की लापरवाही को उजागर करने वाली इस घटना के बाद स्थानीय पत्रकारों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है. इस मामले में 20 मई को मृतक के भाई द्वारा डॉक्टरों की लापरवाही को संबोधित करते हुए शामली कोतवाली थाने में शिकायत दर्ज करायी थी. हालांकि पुलिस ने स्वास्थ्य विभाग से जांच रिपोर्ट मिलने के बाद ही कार्रवाई की.

एएसपी शामली ओपी सिंह ने बताया कि "शामली के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) के नेतृत्व में एक टीम ने अस्पताल का दौरा कर जांच की. पुलिस को जांच रिपोर्ट मिली. जिसके आधार पर आईपीसी की धारा 304 ए के तहत डॉ. अभिषेक गर्ग और मुकेश नर्सिंग होम के कर्मचारी रोहित कुमार के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.

शामली: डॉक्टर को धरती का भगवान कहा जाता है, लेकिन शामली में इस सम्मानित पेशे को दागदार करने वाले एक मामले में पुलिस ने नर्सिंग होम के डॉक्टर और कर्मचारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है. समय से उपचार नहीं मिलने के कारण पत्रकार की मौत के बाद डॉक्टरी पेशे पर उंगलियां उठ रही हैं.
कमला कॉलोनी में रहने वाले 49 वर्षीय पत्रकार अमित मोहन गुप्ता 19 मई को सुबह करीब 7 बजे अपने ऑफिस की सफाई कर रहे थे. इसी बीच अचानक उनकी हालत बिगड़ गई थी. जब अमित की हालत बिगड़ी तो उन्होंने अपने ऑफिस के बाहर से गुजर रहे एक शख्स संजय कुमार को मदद के लिए बुलाया था. शामली के तालाब रोड पर रहने वाले और किराना की दुकान चलाने वाले संजय ने बताया कि वह घर से सब्जी लेने निकला था लेकिन अमित ने उसे बुलाया और डॉक्टर के पास ले जाने को कहा. संजय ने बताया कि पत्रकार के मुंह और नाक से खून निकल रहा था, इसलिए वह पहले उसे शामली के डॉक्टर खुर्शीद के अस्पताल ले गए, लेकिन वहां डॉक्टर उपलब्ध नहीं था. इसके बाद वह अमित को शामली के मुकेश नर्सिंग होम ले गया. उन्होंने बताया कि उनकी जेब में सिर्फ 900 रुपये थे, लेकिन इमरजेंसी फीस 1000 होने के चलते अस्पताल में समय से अमित को उपचार नहीं मिल सका.

भाई ने दर्ज कराया मुकदमा: अमित के भाई अनुराग मोहन ने बताया कि वे बदले की भावना से कोई कार्रवाई नहीं करना चाहते हैं. लेकिन उनका इरादा यह सुनिश्चित करना है कि किसी अन्य सामान्य नागरिक को उनके भाई के समान स्थिति का सामना न करना पड़े. अनुराग ने बताया कि नर्सिंग होम में तैनात स्टाफ ने मरीज को देखने के लिए राजी होने से पहले एक हजार रुपये इमरजेंसी फीस मांगी थी. हालांकि उस समय उनके भाई के पास केवल 900 रुपये थे, जो उसने एक स्थानीय व्यक्ति से उधार लिए थे और वहीं व्यक्ति उन्हें उपचार के लिए अस्पताल लेकर पहुंचा था. लेकिन 100 रुपये की कमी के कारण डॉक्टर या स्टाफ ने मरीज को अटेंड नहीं किया, जिससे उनकी मौत हो गई.

स्थानीय पत्रकारों में आक्रोश: डॉक्टरों की लापरवाही को उजागर करने वाली इस घटना के बाद स्थानीय पत्रकारों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है. इस मामले में 20 मई को मृतक के भाई द्वारा डॉक्टरों की लापरवाही को संबोधित करते हुए शामली कोतवाली थाने में शिकायत दर्ज करायी थी. हालांकि पुलिस ने स्वास्थ्य विभाग से जांच रिपोर्ट मिलने के बाद ही कार्रवाई की.

एएसपी शामली ओपी सिंह ने बताया कि "शामली के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) के नेतृत्व में एक टीम ने अस्पताल का दौरा कर जांच की. पुलिस को जांच रिपोर्ट मिली. जिसके आधार पर आईपीसी की धारा 304 ए के तहत डॉ. अभिषेक गर्ग और मुकेश नर्सिंग होम के कर्मचारी रोहित कुमार के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.

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