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स्वतंत्रता सेनानियों और उनकी बलिदानी पर उदासीन हैं आज के युवा: उदय खत्री

उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में स्वतंत्रता सेनानी रामकृष्ण खत्री के सुपुत्र उदय खत्री ने युवाओं की देश के स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति उदासीनता पर चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि हमारे युवाओं को भी देश के प्रति बलिदान होने वाले शहीदों के बारे में जानकारी होनी चाहिए.

उदय खत्री
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Published : Oct 23, 2019, 11:48 AM IST

Updated : Sep 4, 2020, 3:10 PM IST

शाहजहांपुर: काकोरी कांड के महानायक अशफाक उल्ला खां का 119वां जन्मदिवस मनाया जा रहा है. इस मौके पर स्वतंत्रता सेनानी रामकृष्ण खत्री के सुपुत्र उदय खत्री शाहजहांपुर पहुंचे. यहां उन्होंने देश के युवाओं की देश को आजाद कराने वाले बलिदानी और स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति अनियमितता को लेकर चिंता जताई. उनका कहना है कि देश को 1948 में युवा शक्ति ने ही स्वतंत्र कराया था, लेकिन आज के युवा स्वतंत्रता के महानायकों को जानते ही नहीं हैं.

स्वतंत्रता सेनानी के पुत्र उदय खत्री ने बलिदानों के प्रति जानकारी न होने पर जताई चिंता.

उन्होंने बताया कि जब हिंदुस्तान की आजादी के 25 वर्ष हुए थे, तब भारत सरकार की ओर से एक पुस्तक जारी की गई थी. जिसमें भारत को आजादी दिलाने वाले सभी क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानियों के नाम दर्ज हैं. इस पुस्तक के अभी तक चार एडिशन भारत सरकार द्वारा छापे जा चुके हैं, लेकिन युवाओं को उस किताब की जानकारी नहीं है.

इसे भी पढ़ें- जीडीपी ग्रोथ की दिशा में बेहतर कार्य कर रही यूपी सरकारः वित्त आयोग

उदय खत्री ने कहा कि युवाओं को भारत को आजाद कराने वाले लोगों और उनका जीवन परिचय का भी पता नहीं है, जबकि भारत जब 1947 में आजाद हुआ तो इस आजादी में सबसे बड़ी भूमिका युवाओं की रही है. आज के युवा को देश के बलिदानियों के बारे में जानकारी नहीं है. उन्होंने देश के शहीदों द्वारा जेल में गाए जाने वाले गीतों के कुछ अंश सुनाकर युवाओं से देश के प्रति बलिदानी के प्रति जागृत करने की बात की. जेल में लिखी एक पंक्ति का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि...

'हम भी आराम उठा सकते थे घर पर रहकर, हमको भी मां-बाप ने पाला था दुख सह-सह के
नौजवानों जब तुमको तबीयत में खटके, याद कर लेना हमको भी भूले भटके'

शाहजहांपुर: काकोरी कांड के महानायक अशफाक उल्ला खां का 119वां जन्मदिवस मनाया जा रहा है. इस मौके पर स्वतंत्रता सेनानी रामकृष्ण खत्री के सुपुत्र उदय खत्री शाहजहांपुर पहुंचे. यहां उन्होंने देश के युवाओं की देश को आजाद कराने वाले बलिदानी और स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति अनियमितता को लेकर चिंता जताई. उनका कहना है कि देश को 1948 में युवा शक्ति ने ही स्वतंत्र कराया था, लेकिन आज के युवा स्वतंत्रता के महानायकों को जानते ही नहीं हैं.

स्वतंत्रता सेनानी के पुत्र उदय खत्री ने बलिदानों के प्रति जानकारी न होने पर जताई चिंता.

उन्होंने बताया कि जब हिंदुस्तान की आजादी के 25 वर्ष हुए थे, तब भारत सरकार की ओर से एक पुस्तक जारी की गई थी. जिसमें भारत को आजादी दिलाने वाले सभी क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानियों के नाम दर्ज हैं. इस पुस्तक के अभी तक चार एडिशन भारत सरकार द्वारा छापे जा चुके हैं, लेकिन युवाओं को उस किताब की जानकारी नहीं है.

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उदय खत्री ने कहा कि युवाओं को भारत को आजाद कराने वाले लोगों और उनका जीवन परिचय का भी पता नहीं है, जबकि भारत जब 1947 में आजाद हुआ तो इस आजादी में सबसे बड़ी भूमिका युवाओं की रही है. आज के युवा को देश के बलिदानियों के बारे में जानकारी नहीं है. उन्होंने देश के शहीदों द्वारा जेल में गाए जाने वाले गीतों के कुछ अंश सुनाकर युवाओं से देश के प्रति बलिदानी के प्रति जागृत करने की बात की. जेल में लिखी एक पंक्ति का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि...

'हम भी आराम उठा सकते थे घर पर रहकर, हमको भी मां-बाप ने पाला था दुख सह-सह के
नौजवानों जब तुमको तबीयत में खटके, याद कर लेना हमको भी भूले भटके'

Intro:स्लग युवाओं को स्वतंत्रता के महानायक की जानकारी नहीं

एंकर यूपी के शाहजहांपुर में काकोरी कांड के महानायक अशफाक उल्ला खान के 119 में जन्म दिवस के मौके पर स्वतंत्रता सेनानी रामकृष्ण खत्री के सुपुत्र उदय खत्री शाहजहांपुर पहुंचे जहां उन्होंने देश के युवाओं देश को आजाद कराने वाले बलिदानी और स्वतंत्रता सेनानी के प्रति अनियमितता को लेकर चिंता जताई उनका कहना है कि देश को 1948 में युवा शक्ति ने ही स्वतंत्र कराया था लेकिन आज के युवा स्वतंत्रता के महानायक ओं को जानते ही नहीं हैं


Body:उन्होंने बताया कि जब हिंदुस्तान की आजादी के 25 वर्ष हुए थे तब एक भारत सरकार द्वारा पुस्तक जारी की गई थी उस पुस्तक मैं भारत को आजादी दिलाने वाले सभी क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानियों के नाम दर्ज हैं उस पुस्तक के अभी तक चार एडिशन भारत सरकार द्वारा छापे जा चुके हैं लेकिन युवाओं को उस किताब की जानकारी नहीं है उन्हें भारत को आजाद कराने वाले लोगों और उनका जीवन परिचय का भी पता नहीं है जबकि भारत जब 1947 में आजाद हुआ तो इस आजादी में सबसे बड़ी भूमिका युवाओं की रही है लेकिन आज के युवा को देश के बलिदान यों के बारे में जानकारी नहीं है

बाइट उदय खत्री स्वतंत्रता सेनानी के सुपुत्र


Conclusion:उन्होंने देश के शहीदों के द्वारा जेल में गाए जाने बाले गीत के कुछ अंश सुना कर युवाओं से देश के बलिदानी के के प्रति जागृत करने की बात की "हम भी आराम उठा सकते थे घर पर रहकर,
हमको भी मां बाप ने पाला था दुख सह सहके,
नौजवानों जब तुमको तबीयत में खटके याद कर लेना हमको भी भूले भटके "
संजय श्रीवास्तव ईटीवी भारत शाहजहांपुर 94 15 15 2485
Last Updated : Sep 4, 2020, 3:10 PM IST
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