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कान्हा की पोशाक बनाने के शौक ने दिखाई कामयाबी की राह, खुद का शुरू किया बिजनेस, दूसरों को भी दे रहीं रोजगार - Shahjahanpur Kanha Dress Business

शाहजहांपुर की ज्योति सक्सेना (Jyoti Saxena) आत्मनिर्भरता की मिसाल बनी हैं. महज दो साल पहले खुद को शुरू किया गया उनका बिजनेस अब दूसरों को भी रोजगार दे रहा है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 26, 2023, 9:30 PM IST

Updated : Nov 26, 2023, 10:32 PM IST

शाहजहांपुर की ज्योति सक्सेना ने कान्हा की पोशाक बनाने के शौक को बिजनेस बना लिया.

शाहजहांपुर : मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है. इन पंक्तियों को शाहजहांपुर की ज्योति सक्सेना ने सच साबित किया है. पिता की मृत्यु के बाद परिवार को सहारा देने के लिए ज्योति ने भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी के सुंदर वस्त्र हाथों को तैयार कर बिक्री शुरू की. देखते ही देखते उनकी लगन और मेहनत रंग लाई और अब उनके काम ने बाकायदा व्यवसाय का रूप ले लिया है. ज्योति अब दूसरों को भी रोजगार दे रही हैं.

व्यवसाय शुरू करने के लिए लिया लोन

शाहजहांपुर में आवास विकास इलाके की रहने वालीं ज्योति सक्सेना सोशलॉजी में पोस्ट ग्रेजुएट हैं. उनके पिता का 2019 में निधन हो गया था. इसके बाद उनका परिवार आर्थिक संकट से जूझने लगा. ज्योति ने अपने परिवार को सहारा देने के लिए घर पर ही कान्हा की पोशाकें तैयार करनी शुरू कीं. फिर इस काम को व्यवसाय के रूप में स्थापिती करने की सोची. पोशाकों की बिक्री शुरू की तो अच्छा रिस्पांस मिला. इसके बाद ज्योति ने जिला उद्योग केंद्र शाहजहांपुर से ओडीओपी योजना के अंतर्गत रोजगार के लिए 1 लाख 90 हजार रुपये का लोन लिया. आज वह घर से श्री कृष्णा और राधा रानी के मनमोहक परिधानों की ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों माध्यमों से बिक्री कर रही हैं. उनके हाथों से बनीं कान्हा की पोशाकें देश के कोने-कोने तक जा रही हैं.

ऐसे आया बिजनेस का आइडिया

ज्योति ने बताया कि वह कान्हा जी के लिए पहले बाजार से पोशाक खरीदती थीं. फिर सोचा क्यों न अपने हाथों से ही पोशाक बनाकर कान्हा जी को पहनाई जाए. ज्योति बताती हैं, जब उन्होंने कान्हा जी के लिए पहली बार पोशाक बनाई तो उसको लोगों ने बहुत पसंद किया. इसके बाद मैंने अपनी क्रिएटिविटी को अपना बिजनेस की सोची. यह काम मैंने अपनी पॉकेट मनी से शुरू किया था. अपने काम को बढ़ाने के लिए जिला उद्योग केंद्र से लोन लिया और ओडीओपी योजना के तहत इंटरनेशनल ट्रेड शो में भी सम्मिलित हुई. आज मैंने अपने काम को अपना रोजगार बना लिया है. साथ ही मैं अब दूसरे लोगों को जॉब देने लगी हूं. मैं आत्मनिर्भर होकर कान्हा के पोशाकों का बिजनेस आगे बढ़ा रही हूं.

ऑनलाइन और ऑफलाइन, दोनों तरह से होती है सेल

ज्योति बताती हैं कि उन्होंने सबसे पहले कान्हा जी की पोशाक की ऑफलाइन बिक्री की थी. लेकिन अब ऑर्डर मिलने पर भी वह पोशाक तैयार कर दे देती हैं. पोशाकें बेचने के लिए ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर डिस्प्ले करती हैं. यहां उन्हें देश के कोने-कोने से ऑर्डर मिलते हैं और बाद वह ऑर्डर पैक कर भेज देती हैं. पोशाकें
ऑनलाइन और ऑफलाइन, दोनों माध्यमों से बेचती हैं. रिटेल और होलसेल भी बिक्री होती है.ज्योति की इच्छा है कि वह देश-विदेश में कान्हा की पोशाकें पहुंचाएं.

यह भी पढ़ें : काकोरी कांड के शहीद की प्रपौत्री सरिता से बनीं शरद, प्रेमिका संग लिए सात फेरे

यह भी पढ़ें : मुस्लिम शख्स ने की गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग, कब्र बनाकर लेट गया

शाहजहांपुर की ज्योति सक्सेना ने कान्हा की पोशाक बनाने के शौक को बिजनेस बना लिया.

शाहजहांपुर : मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है. इन पंक्तियों को शाहजहांपुर की ज्योति सक्सेना ने सच साबित किया है. पिता की मृत्यु के बाद परिवार को सहारा देने के लिए ज्योति ने भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी के सुंदर वस्त्र हाथों को तैयार कर बिक्री शुरू की. देखते ही देखते उनकी लगन और मेहनत रंग लाई और अब उनके काम ने बाकायदा व्यवसाय का रूप ले लिया है. ज्योति अब दूसरों को भी रोजगार दे रही हैं.

व्यवसाय शुरू करने के लिए लिया लोन

शाहजहांपुर में आवास विकास इलाके की रहने वालीं ज्योति सक्सेना सोशलॉजी में पोस्ट ग्रेजुएट हैं. उनके पिता का 2019 में निधन हो गया था. इसके बाद उनका परिवार आर्थिक संकट से जूझने लगा. ज्योति ने अपने परिवार को सहारा देने के लिए घर पर ही कान्हा की पोशाकें तैयार करनी शुरू कीं. फिर इस काम को व्यवसाय के रूप में स्थापिती करने की सोची. पोशाकों की बिक्री शुरू की तो अच्छा रिस्पांस मिला. इसके बाद ज्योति ने जिला उद्योग केंद्र शाहजहांपुर से ओडीओपी योजना के अंतर्गत रोजगार के लिए 1 लाख 90 हजार रुपये का लोन लिया. आज वह घर से श्री कृष्णा और राधा रानी के मनमोहक परिधानों की ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों माध्यमों से बिक्री कर रही हैं. उनके हाथों से बनीं कान्हा की पोशाकें देश के कोने-कोने तक जा रही हैं.

ऐसे आया बिजनेस का आइडिया

ज्योति ने बताया कि वह कान्हा जी के लिए पहले बाजार से पोशाक खरीदती थीं. फिर सोचा क्यों न अपने हाथों से ही पोशाक बनाकर कान्हा जी को पहनाई जाए. ज्योति बताती हैं, जब उन्होंने कान्हा जी के लिए पहली बार पोशाक बनाई तो उसको लोगों ने बहुत पसंद किया. इसके बाद मैंने अपनी क्रिएटिविटी को अपना बिजनेस की सोची. यह काम मैंने अपनी पॉकेट मनी से शुरू किया था. अपने काम को बढ़ाने के लिए जिला उद्योग केंद्र से लोन लिया और ओडीओपी योजना के तहत इंटरनेशनल ट्रेड शो में भी सम्मिलित हुई. आज मैंने अपने काम को अपना रोजगार बना लिया है. साथ ही मैं अब दूसरे लोगों को जॉब देने लगी हूं. मैं आत्मनिर्भर होकर कान्हा के पोशाकों का बिजनेस आगे बढ़ा रही हूं.

ऑनलाइन और ऑफलाइन, दोनों तरह से होती है सेल

ज्योति बताती हैं कि उन्होंने सबसे पहले कान्हा जी की पोशाक की ऑफलाइन बिक्री की थी. लेकिन अब ऑर्डर मिलने पर भी वह पोशाक तैयार कर दे देती हैं. पोशाकें बेचने के लिए ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर डिस्प्ले करती हैं. यहां उन्हें देश के कोने-कोने से ऑर्डर मिलते हैं और बाद वह ऑर्डर पैक कर भेज देती हैं. पोशाकें
ऑनलाइन और ऑफलाइन, दोनों माध्यमों से बेचती हैं. रिटेल और होलसेल भी बिक्री होती है.ज्योति की इच्छा है कि वह देश-विदेश में कान्हा की पोशाकें पहुंचाएं.

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Last Updated : Nov 26, 2023, 10:32 PM IST
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