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कोरोना ने किया बेसहारा, 10 साल की माही बनी परिवार का सहारा - उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल

कोरोना ने न जाने कितनों को अपनी चपेट में ले लिया. किसी मां की गोद सूनी हुई तो किसी के मांग का सिंदूर. किसी के बुढ़ापे का सहारा चला गया तो कोई अनाथ हो गया. मगर कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनका इस महामारी सब कुछ छीन लिया फिरभी वो हिम्मत नहीं हारे. उनका घर भले तोड़ दिया हो मगर हौसलों को नहीं. ऐसी ही मिसाल पेश की है प्रदेश के शाहजहांपुर जिले की 10 साल की मासूम बच्ची ने. जो न केवल अपनी मां और दादा-दादी का सहारा बनी बल्कि लोगों के लिए हौंसला भी बनी है.

10 साल की माही बनी परिवार का सहारा
10 साल की माही बनी परिवार का सहारा
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Published : Jun 17, 2021, 6:34 PM IST

Updated : Jun 17, 2021, 7:21 PM IST

शाहजहांपुर: जिले में कोरोना महामारी के दौरान पिता की मौत के बाद उसकी 10 साल की मासूम बच्ची फुटपाथ पर कपड़े बेच कर अपने परिवार का पालन पोषण कर रही है. आर्थिक मदद न मिलने पर यह मासूम बच्ची अपनी मां और दादा-दादी का सहारा बनी हुई है. 10 साल की बच्ची का जज्बा देखकर अब उसकी मदद के लिए लोगों ने हाथ बढ़ाना शुरू कर दिया है.

10 साल की माही बनी परिवार का सहारा

दरअसल, 10 साल की बच्ची माही अपने दादा-दादी और मां को पालने के लिए सड़क किनारे दुकान लगाकर कपड़े बेचती है. इतना ही नहीं यह बच्ची सिलाई मशीन चला कर मास्क भी तैयार करती है. जिस दिन कपड़े बिक जाते हैं, उस दिन परिवार को खाना नसीब हो जाता है, नहीं तो भूखे पेट ही परिवार रह जाता है. थाना सदर बाजार क्षेत्र के खिरनी बाग मोहल्ले की रहने वाली माही के पिता प्रदीप सक्सेना बीते 30 अप्रैल 2021 को कोरोना के चलते काल के गाल में समा गए थे. बच्ची के पिता ही पूरे परिवार का एक मात्र सहारा थे. उनके घर में बनी सिलाई की दुकान पर प्रदीप शर्ट तैयार करके बेचते थे. लेकिन उनकी मौत के बाद घर के हालात बिगड़ते चले गए. घर का अनाज खत्म हो गया और कोरोना संक्रमण के चलते पड़ोसियों ने भी किनारा कर लिया था. तब इस बहादुर बेटी माही ने सड़क पर दुकान लगाकर शर्ट भेजना शुरू कर दिया. जिससे परिवार के लिए दाल-रोटी का सहारा हो गया.

आपको बता दें कि माही के पिता उसे बहुत प्यार करते थे और उसे रोज कुछ न कुछ लेकर आते थे. लेकिन कोरोना ने उसके पिता को कम उम्र में ही छीन लिया. जिसके बाद पिता के गम में मासूम बेटी का बचपन भी छिन गया. बेबस बेटी अपने परिवार का जैसे-तैसे पेट पाल रही है. बेबस बच्ची की मार्मिक दास्तां को सुनकर जिले के कुछ व्यापारी उसकी मदद के लिए आगे आए हैं. उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल के जिला अध्यक्ष ने बच्ची को मदद दिलाने का भरोसा दिलाया है.

शाहजहांपुर: जिले में कोरोना महामारी के दौरान पिता की मौत के बाद उसकी 10 साल की मासूम बच्ची फुटपाथ पर कपड़े बेच कर अपने परिवार का पालन पोषण कर रही है. आर्थिक मदद न मिलने पर यह मासूम बच्ची अपनी मां और दादा-दादी का सहारा बनी हुई है. 10 साल की बच्ची का जज्बा देखकर अब उसकी मदद के लिए लोगों ने हाथ बढ़ाना शुरू कर दिया है.

10 साल की माही बनी परिवार का सहारा

दरअसल, 10 साल की बच्ची माही अपने दादा-दादी और मां को पालने के लिए सड़क किनारे दुकान लगाकर कपड़े बेचती है. इतना ही नहीं यह बच्ची सिलाई मशीन चला कर मास्क भी तैयार करती है. जिस दिन कपड़े बिक जाते हैं, उस दिन परिवार को खाना नसीब हो जाता है, नहीं तो भूखे पेट ही परिवार रह जाता है. थाना सदर बाजार क्षेत्र के खिरनी बाग मोहल्ले की रहने वाली माही के पिता प्रदीप सक्सेना बीते 30 अप्रैल 2021 को कोरोना के चलते काल के गाल में समा गए थे. बच्ची के पिता ही पूरे परिवार का एक मात्र सहारा थे. उनके घर में बनी सिलाई की दुकान पर प्रदीप शर्ट तैयार करके बेचते थे. लेकिन उनकी मौत के बाद घर के हालात बिगड़ते चले गए. घर का अनाज खत्म हो गया और कोरोना संक्रमण के चलते पड़ोसियों ने भी किनारा कर लिया था. तब इस बहादुर बेटी माही ने सड़क पर दुकान लगाकर शर्ट भेजना शुरू कर दिया. जिससे परिवार के लिए दाल-रोटी का सहारा हो गया.

आपको बता दें कि माही के पिता उसे बहुत प्यार करते थे और उसे रोज कुछ न कुछ लेकर आते थे. लेकिन कोरोना ने उसके पिता को कम उम्र में ही छीन लिया. जिसके बाद पिता के गम में मासूम बेटी का बचपन भी छिन गया. बेबस बेटी अपने परिवार का जैसे-तैसे पेट पाल रही है. बेबस बच्ची की मार्मिक दास्तां को सुनकर जिले के कुछ व्यापारी उसकी मदद के लिए आगे आए हैं. उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल के जिला अध्यक्ष ने बच्ची को मदद दिलाने का भरोसा दिलाया है.

Last Updated : Jun 17, 2021, 7:21 PM IST
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