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दीपावली पर उल्लू की विशेष पूजा, जानिए इसका महत्व और मान्यता...

दीपावली पर शाहजहांपुर में उल्लू की विशेष पूजा की गई. इस दौरान देश को कोरोना महामारी से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की गई.

उल्लू पूजन करते हुए पृथ्वी संस्था के सदस्य व प्रोफेसर.
उल्लू पूजन करते हुए पृथ्वी संस्था के सदस्य व प्रोफेसर.
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Published : Nov 4, 2021, 5:26 PM IST

शाहजहांपुर: दीपावली पर जिले के गर्रा घाट पर उल्लू की विशेष पूजा की गई. इस मौके पर पृथ्वी संस्था के सदस्यों के साथ प्रोफेसर भी शामिल हुए. बताया गया कि माता लक्ष्मी के वाहन उल्लू की पूजा से प्राकृतिक आपदा से रक्षा होती है. इस वजह से उल्लू की पूजन कर देश को कोरोना महामारी से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की गई.



पृथ्वी संस्था पिछले एक दशक से हर साल दीपावली पर उल्लू पूजन का कार्यक्रम आयोजित करती आ रही है. उल्लू पूजन का उद्देश्य देश या प्रदेश को बड़ी विपदा से मुक्ति दिलाना होता है. इस पूजन कार्यक्रम में प्रोफेसर भी शामिल होते हैं. पूजन के बाद उल्लू की प्रतिमा नदी में विसर्जित कर दी जाती है.

उल्लू पूजन करते हुए पृथ्वी संस्था के सदस्य व डिग्री कॉलेज के प्रोफेसर
उल्लू पूजन करते हुए पृथ्वी संस्था के सदस्य व डिग्री कॉलेज के प्रोफेसर


यह भी पढ़ें- कैबिनेट मिनिस्टर सुरेश कुमार खन्ना ने दीपावली मेले का किया उद्घाटन, कहा- अब कोरोना पूरी तरह से खत्म

पूजन में शामिल होने वाले पूर्व कॉमर्स विभागाध्यक्ष डॉ. अनुराग अग्रवाल ने कहा कि दीपावली पर उल्लू का पूजन कोरोना महामारी से देश को मुक्ति दिलाने के उद्देश्य से किया गया है. इस मौके पर कोरोना से जान गंवाने वाले दिवंगतों के लिए दो मिनट का मौन भी रखा गया.

उल्लू पूजन करते हुए पृथ्वी संस्था के सदस्य व डिग्री कॉलेज के प्रोफेसर

कहा गया कि आधुनिक युग में लोग सुख-सुविधा के लिए प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग कर रहे हैं जिससे जलवायु परिवर्तन हो रहा है. जलवायु परिवर्तन से देश में महामारियां फैल रही हैं. प्राकृतिक आपदा के रूप में देश में फैली कोरोना महामारी का मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन ही है. अपने स्वार्थ के लिए लोगों के दिमाग पर उल्लू रूपी अंधकार छा गया है. उसी अंधकार को दूर करने के लिए उल्लू पूजन किया गया है.

संस्था के संस्थापक डॉ. विकास खुराना का कहना है कि यह कार्यक्रम पिछले 10 वर्षों से लगातार दीपावली के दिन आयोजित किया जाता है. वहीं पूजन के बाद उल्लू की प्रतिमा का नदी में विसर्जन किया जाता है. उन्होंने कहा कि देश में फैली बीमारियों और प्राकृतिक आपदाओं से मुक्ति दिलाने के लिए यह पूजन की है.

इस वजह से दीपावली पर है उल्लू की इतनी मान्यता...

दीपावली पर उल्लू का विशेष महत्व है. यह माता लक्ष्मी का वाहन है. मान्यता है कि एक बार संसार के सभी पशु-पक्षियों ने माता लक्ष्मी से अपना वाहन बनाने के लिए प्रार्थना की. इस पर मां लक्ष्मी ने कहा कि कार्तिक अमावस्या की रात को जब वह धरती पर आएंगी तो जो सबसे पहले उनके पास पहुंचेगा वही उनका वाहन होगा. कार्तिक माह की अमावस्या पर माता लक्ष्मी के धरती पर आते ही उल्लू ने अंधेरे में सबसे पहले उन्हें देख लिया और मां के पास पहुंच गया. माता ने उसे अपना वाहन बना लिया. दीपावली के दिन उल्लू के दर्शन को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है. इस रात को कुछ तांत्रिक क्रियाओं में उल्लू की बलि दी जाती है. वहीं, कुछ लोग उल्लू का पूजन करते हैं. कहते हैं कि उल्लू नकारात्मक परिस्थितियों में सकारात्मक सोच का प्रतीक है. यह भी मान्यता है की दिवाली के दिन पूर्व दिशा में उल्लू के दर्शन करने से बड़ा आर्थिक लाभ होता है. वहीं, कुछ लोग उल्लू के पूजन से विपदाओं से मुक्ति की कामना करते हैं.

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शाहजहांपुर: दीपावली पर जिले के गर्रा घाट पर उल्लू की विशेष पूजा की गई. इस मौके पर पृथ्वी संस्था के सदस्यों के साथ प्रोफेसर भी शामिल हुए. बताया गया कि माता लक्ष्मी के वाहन उल्लू की पूजा से प्राकृतिक आपदा से रक्षा होती है. इस वजह से उल्लू की पूजन कर देश को कोरोना महामारी से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की गई.



पृथ्वी संस्था पिछले एक दशक से हर साल दीपावली पर उल्लू पूजन का कार्यक्रम आयोजित करती आ रही है. उल्लू पूजन का उद्देश्य देश या प्रदेश को बड़ी विपदा से मुक्ति दिलाना होता है. इस पूजन कार्यक्रम में प्रोफेसर भी शामिल होते हैं. पूजन के बाद उल्लू की प्रतिमा नदी में विसर्जित कर दी जाती है.

उल्लू पूजन करते हुए पृथ्वी संस्था के सदस्य व डिग्री कॉलेज के प्रोफेसर
उल्लू पूजन करते हुए पृथ्वी संस्था के सदस्य व डिग्री कॉलेज के प्रोफेसर


यह भी पढ़ें- कैबिनेट मिनिस्टर सुरेश कुमार खन्ना ने दीपावली मेले का किया उद्घाटन, कहा- अब कोरोना पूरी तरह से खत्म

पूजन में शामिल होने वाले पूर्व कॉमर्स विभागाध्यक्ष डॉ. अनुराग अग्रवाल ने कहा कि दीपावली पर उल्लू का पूजन कोरोना महामारी से देश को मुक्ति दिलाने के उद्देश्य से किया गया है. इस मौके पर कोरोना से जान गंवाने वाले दिवंगतों के लिए दो मिनट का मौन भी रखा गया.

उल्लू पूजन करते हुए पृथ्वी संस्था के सदस्य व डिग्री कॉलेज के प्रोफेसर

कहा गया कि आधुनिक युग में लोग सुख-सुविधा के लिए प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग कर रहे हैं जिससे जलवायु परिवर्तन हो रहा है. जलवायु परिवर्तन से देश में महामारियां फैल रही हैं. प्राकृतिक आपदा के रूप में देश में फैली कोरोना महामारी का मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन ही है. अपने स्वार्थ के लिए लोगों के दिमाग पर उल्लू रूपी अंधकार छा गया है. उसी अंधकार को दूर करने के लिए उल्लू पूजन किया गया है.

संस्था के संस्थापक डॉ. विकास खुराना का कहना है कि यह कार्यक्रम पिछले 10 वर्षों से लगातार दीपावली के दिन आयोजित किया जाता है. वहीं पूजन के बाद उल्लू की प्रतिमा का नदी में विसर्जन किया जाता है. उन्होंने कहा कि देश में फैली बीमारियों और प्राकृतिक आपदाओं से मुक्ति दिलाने के लिए यह पूजन की है.

इस वजह से दीपावली पर है उल्लू की इतनी मान्यता...

दीपावली पर उल्लू का विशेष महत्व है. यह माता लक्ष्मी का वाहन है. मान्यता है कि एक बार संसार के सभी पशु-पक्षियों ने माता लक्ष्मी से अपना वाहन बनाने के लिए प्रार्थना की. इस पर मां लक्ष्मी ने कहा कि कार्तिक अमावस्या की रात को जब वह धरती पर आएंगी तो जो सबसे पहले उनके पास पहुंचेगा वही उनका वाहन होगा. कार्तिक माह की अमावस्या पर माता लक्ष्मी के धरती पर आते ही उल्लू ने अंधेरे में सबसे पहले उन्हें देख लिया और मां के पास पहुंच गया. माता ने उसे अपना वाहन बना लिया. दीपावली के दिन उल्लू के दर्शन को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है. इस रात को कुछ तांत्रिक क्रियाओं में उल्लू की बलि दी जाती है. वहीं, कुछ लोग उल्लू का पूजन करते हैं. कहते हैं कि उल्लू नकारात्मक परिस्थितियों में सकारात्मक सोच का प्रतीक है. यह भी मान्यता है की दिवाली के दिन पूर्व दिशा में उल्लू के दर्शन करने से बड़ा आर्थिक लाभ होता है. वहीं, कुछ लोग उल्लू के पूजन से विपदाओं से मुक्ति की कामना करते हैं.

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