शाहजहांपुर: हमारे देश में तमाम देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, लेकिन किसी बड़ी समस्या से निजात पाने के लिए उल्लू का पूजन करना अपने में कुछ अलग ही बयां करता है. जिले के डिग्री कॉलेजों के प्रोफेसर इकट्ठा होकर नदी के किनारे उल्लू का पूजन करते हैं. डिग्री कॉलेजों के यह प्रोफेसर पिछले 10 सालों से उल्लू का पूजन करते चले आ रहे हैं. यह उल्लू पूजन सिर्फ दिवाली पर ही होता है.
सूर्यास्त के समय किए जाने वाले इस उल्लू पूजन का उद्देश्य पूरे साल की सबसे बड़ी समस्या से निजात पाने के लिए किया जाता है और पूजन के बाद इस उल्लू की तस्वीर को नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है. इसी सिलसिले में आज शनिवार को जिले में "पृथ्वी संस्था" की ओर से उल्लू की तस्वीर का पूजन किया गया, जिसमें स्वामी सुखदेवानंद डिग्री कॉलेज से केमिस्ट्री के प्रोफेसर डॉ आलोक सिंह, कॉमर्स के प्रोफेसर डॉ अनुराग अग्रवाल, इतिहास के प्रोफेसर डॉ विकास खुराना और फिजिक्स के प्रोफेसर डॉ आलोक कुमार सहित बड़ी तादाद में खन्नौत नदी के किनारे इकट्ठे हुए.पृथ्वी संस्था से जुड़े एसएस कॉलेज के प्रोफेसर का कहना है कि हिंदुस्तान में कोरोना महामारी एक बड़ी समस्या है. इसके लिए पड़ोसी देश चीन जिम्मेदार है. भारत के कुछ राजनेता उल्लू बन कर देश के प्रति गद्दारी कर रहे हैं, जो खाते तो हिंदुस्तान की हैं पर गाते चीन की हैं. इसीलिए यह संस्था देश के उल्लू राजनेताओं की सद्बुद्धि के लिए उल्लू पूजन कर रही है. यह संस्था पिछले 10 सालों से हर साल दिवाली से पहले उल्लू पूजन करती है. इसमें यह उल्लू पूजन हर साल देश या प्रदेश की किसी बड़ी समस्या से निजात पाने को समर्पित होता है. खास बात ये है कि इस उल्लू पूजन को सूर्यास्त के वक्त करते हैं और फिर पूजा के पश्चात उल्लू की तस्वीर को खन्नौत नदी में प्रवाहित करते हैं.
उल्लू अंधकार का प्रतीक है. इस वर्ष यह चीन के सत्ता प्रतिष्ठान में घुस गया है और उन्होंने आर्टिफिशियल वायरस फैलाकर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को चौपट करने का प्रयास किया है. इसी अंधकार पूर्ण नीति के चलते मानवता की अपार क्षति पहुंची है. ईश्वर से आराधना है कि चीन के हुक्मरानों को सदबुद्धि दे और वे ऐसी हरकतों से बाज आएं.
डॉ अनुराग अग्रवाल, स्वामी शुकदेवानंद पीजी कॉलेज, विभाग अध्यक्ष, कॉमर्स