शाहजहांपुर: जिले में जिलाधिकारी ने माफियाओं के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की है. डीएम उमेश प्रताप सिंह ने भू माफियाओं के पास से 6 हजार बीघा से ज्यादा जमीन कब्जा मुक्त कराई है. गंगा और रामगंगा के नाम पर दर्ज जमीन पर भू-माफियाओं ने कब्जा कर रखा था. मामले में तहसीलदार और नायब तहसीलदार की भूमिका संदिग्ध होने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की गई है. साथ ही भू-माफियाओं पर एफआईआर करने की तैयारी की जा रही है. डीएम की इस कार्रवाई के बाद से भू माफियाओं में हड़कंप मचा हुआ है.
दरअसल, जिलाधिकारी उमेश प्रताप सिंह को इनपुट मिला था कि कलान और जलालाबाद तहसील में गंगा और रामगंगा के नाम 6312 बीघा जमीन दर्ज थी. पिछले कई सालों में राजस्व विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से सबसे पहले जमीनों के पट्टे किए गए और बाद में इन जमीनों की बड़े पैमाने पर बिक्री कर दी गई. इनपुट मिलने के बाद जिलाधिकारी की कई टीमों ने ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए गंगा और रामगंगा के नाम दर्ज 6312 बीघा जमीन माफियाओं से कब्जा मुक्त करवाई है.
जिला अधिकारी का कहना है कि इन जमीनों पर भू माफियाओं द्वारा करोड़ों रुपए का बैंक लोन लेने की भी जानकारी मिली है. जिलाधिकारी अब एक्शन मोड में आ गए हैं. उन्होंने मौजूदा तहसीलदार और एक रिटायर्ड नायब तहसीलदार के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की संस्तुति शासन से की है. कब्जे से छुड़वाई गई जमीनों को वापस गंगा और रामगंगा नदी के नाम दर्ज कर दिया गया है. जिला अधिकारी का कहना है कि इस मामले में भू माफियाओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की कार्रवाई भी की जा रही है.
इस मामले में शाहजहांपुर जिला अधिकारी उमेश प्रताप सिंह का कहना है कि इसमें कहीं से इनपुट मिला था कि गंगा और रामगंगा में जलमग्न भूमि को रजिस्टर्ड कराया गया है. इसमें पहले पट्टा कराया गया, बाद में उसका बैनामा कराया गया है. जिसके बाद जलमग्न भूमि पर फार्म हाउस बनाया गया है. इस मामले में हमने गोपनीय रूप से जांच करवाई और उसमें विश्वस्त अधिकारियों को लगाया गया. इसमें लगातार रात दिन काम किया गया.
इसके बाद जलमग्न 6312 बीघा जमीन रजिस्टर्ड पाई गई है. जिसके खातेदार 579 और गाटा 982 हैं. जिसमें तीन अरब दो करोड़ की जमीन पुनः गंगा और रामगंगा के नाम दर्ज की गई है. अब गंगा और राम गंगा की जलमग्न भूमि में कोई भी जमीन रजिस्टर्ड नहीं है. इसमें बैंक लोन को भी चेक कराया जा रहा है. जिला अधिकारी का कहना है कि इसमें अधिकारियों की जवाबदेही तय की गई है. जिसके बाद राजस्व विभाग के कई अधिकारी और कर्मचारियों पर गाज गिरेगी.
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