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शिष्या से दुष्कर्म मामले में स्वामी चिन्मयानंद की अग्रिम जमानत पर फैसला सुरक्षित

साल 2011 में पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद पर आश्रम में एक शिष्या को बंधक बनाकर उसके साथ दुष्कर्म करने का आरोप है. शिष्या और उसके परिजनों ने शाहजहांपुर के कोतवाली थाने में FIR दर्ज कराई थी.

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पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद
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Published : Dec 20, 2022, 7:43 PM IST

Updated : Dec 20, 2022, 7:54 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद की दुराचार मामले में अग्रिम जमानत अर्जी पर अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति समित गोपाल ने दिया है. याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी व अपर शासकीय अधिवक्ता प्रथम एके संड ने बहस की.

याचिकाकर्ता पर 2011 में आश्रम में एक शिष्या को बंधक बनाकर उसके साथ दुष्कर्म करने का आरोप है. शिष्या और उसके परिजनों ने शाहजहांपुर के कोतवाली थाने में FIR दर्ज कराई थी. राज्य सरकार ने 9 मार्च 2018 को चिन्मयानंद के खिलाफ दर्ज दुराचार के केस को वापस लेने का आदेश जारी किया था. सरकार के मुकदमा वापसी के आदेश शाहजहांपुर की अदालत में दाखिल किया गया. शाहजहांपुर की अदालत ने सुनवाई के बाद मुकदमा वापसी के फैसले को गलत माना था. निचली अदालत के इस फैसले को वर्ष 2018 में ही चुनौती दी गई थी.

स्वामी चिन्मयानंद की ओर से 76 साल की उम्र होने और कई गंभीर बीमारियां होने के आधार पर राहत की अपील की गई थी. हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया. इसके साथ ही स्वामी चिन्मयानंद को 30 अक्तूबर तक शाहजहांपुर की अदालत में हाजिर होने को कहा गया और निचली अदालत के मुताबिक ही चिन्मयानंद की जमानत अर्जी पर निर्णय लेने का निर्देश दिया गया. इसके बाद स्वामी चिन्मयानंद की ओर से शाहजहांपुर की अदालत में अग्रिम जमानत अर्जी दी गई, इस याचिका को निचली अदालत ने खारिज कर दिया, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है.

ये भी पढ़ेंः प्रयागराज में शिवपाल यादव का ऐलान, सरकार बनी तो फर्जी मुकदमे होंगे वापस

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद की दुराचार मामले में अग्रिम जमानत अर्जी पर अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति समित गोपाल ने दिया है. याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी व अपर शासकीय अधिवक्ता प्रथम एके संड ने बहस की.

याचिकाकर्ता पर 2011 में आश्रम में एक शिष्या को बंधक बनाकर उसके साथ दुष्कर्म करने का आरोप है. शिष्या और उसके परिजनों ने शाहजहांपुर के कोतवाली थाने में FIR दर्ज कराई थी. राज्य सरकार ने 9 मार्च 2018 को चिन्मयानंद के खिलाफ दर्ज दुराचार के केस को वापस लेने का आदेश जारी किया था. सरकार के मुकदमा वापसी के आदेश शाहजहांपुर की अदालत में दाखिल किया गया. शाहजहांपुर की अदालत ने सुनवाई के बाद मुकदमा वापसी के फैसले को गलत माना था. निचली अदालत के इस फैसले को वर्ष 2018 में ही चुनौती दी गई थी.

स्वामी चिन्मयानंद की ओर से 76 साल की उम्र होने और कई गंभीर बीमारियां होने के आधार पर राहत की अपील की गई थी. हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया. इसके साथ ही स्वामी चिन्मयानंद को 30 अक्तूबर तक शाहजहांपुर की अदालत में हाजिर होने को कहा गया और निचली अदालत के मुताबिक ही चिन्मयानंद की जमानत अर्जी पर निर्णय लेने का निर्देश दिया गया. इसके बाद स्वामी चिन्मयानंद की ओर से शाहजहांपुर की अदालत में अग्रिम जमानत अर्जी दी गई, इस याचिका को निचली अदालत ने खारिज कर दिया, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है.

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Last Updated : Dec 20, 2022, 7:54 PM IST
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