भदोही: जिले के एक शिक्षक ने ग्लोबल वार्मिंग से दुनिया को बचाने के लिए अनोखी पहल की है. जिले के प्राइमरी स्कूल में तैनात शिक्षक अशोक गुप्ता 874 दिनों से लगातार पौधरोपण कर रहे हैं. वह अब तक 6000 से अधिक पौधे लगा चुके हैं. उन्होंने पर्यावरण को बचाने के लिए यह अनोखी पहल शुरू की है. उनके इस कार्य के लिए उपराष्ट्रपति की ओर से उन्हें सम्मानित भी किया जा चुका है. वह देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी पौधरोपण करते हैं.
अशोक गुप्ता जहां कहीं भी होते हैं पौधे लगाना नहीं भूलते. जब वह कहीं जाते हैं तो अपने साथ पौधे लेकर जाते हैं या फिर जहां जाते हैं तो वहीं से पौधा खरीद कर उसे लगा देते हैं. पिछले 874 दिनों से लगातार वह पौधे लगा रहे हैं. 5 सितंबर 2017 को शिक्षा-खेल एवं समाज की सेवा के लिए उन्हें राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू से मिल चुका है. अशोक गुप्ता पुरस्कार पाने के लिए राष्ट्रपति भवन गए थे. वहीं उनकी मुलाकात राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी से हुई थी, जहां महामहिम में नैतिक जिम्मेदारी की बात लोगों से की और कहा था कि हमें समाज को कुछ ऐसा देना चाहिए जो लोग हमेशा याद रखें. इसके बाद भदोही के जिला अधिकारी विशाख जी ने भी इन्हें सम्मानित किया. पौधा लगाने का समर्थन करते हुए डीएम ने उन्हें काफी सराहा था. तब से वह आज तक लगातार 874 दिनों से पौधे लगा रहे हैं.
6 हजार से अधिक पौधे लगा चुके
अशोक ने बताया कि वह 6 हजार से अधिक पौधे अब तक लगा चुके हैं और वह जब तक जिंदा रहेंगे तब तक पौधे लगाते रहेंगे. पौधे लगाने के साथ-साथ वह इन बातों का भी ध्यान रखते हैं कि वह पौधे जो उनके द्वारा लगाए गए हैं, उनकी सुरक्षा भी की जाए. इसके लिए वह पौधे लगाने के बाद उन पौधों को कांटों से घेर देते हैं, जिसकी वजह से जानवरों से वह पौधा सुरक्षित रहता है. उन्होंने बताया कि जितने पौधे वे लगा चुके हैं, उनमें से 85 से 90% तक पौधे बड़े हो चुके हैं.
अशोक गुप्ता एक एथलीट भी हैं
अशोक गुप्ता ने बताया कि वह एथलीट भी हैं, जिसकी वजह से उन्हें देश के हर कोने में जाना पड़ता है, लेकिन वह पौधा लगाना कभी भी नहीं भूलते. एक वाक्य शेयर करते हुए उन्होंने बताया कि कुछ दिनों पहले वे पंचकूला में थे, जहां वे अपनी खुरपी ले जाना भूल गए थे. खुरपी न होने के कारण उन्होंने शराब की बोतल तोड़कर उससे पौधरोपण किया. वह बाहर कहीं भी जाते हैं तो अपनी ओर से लगाए गए पौधे पर पौधा संख्या डालते हैं और अपना नाम लिखते हैं ताकि वह कभी भविष्य में वहां वापस आएं तो अपने पौधे को वह देख पाएं.
पति ने शुरू किया पौधरोपण तो पत्नी ने घर में ही बना डाली नर्सरी
पौधरोपण करने के बाद वे घर लौटकर उसका स्थान और पौधा नंबर डायरी में जरूर लिखते हैं. उनके पौधे लगाने की इस मुहिम में उनकी पत्नी प्रीति गुप्ता का अमूल्य सहयोग मिलता है. बार-बार पौधे खरीदने की वजह से ज्यादा पैसे लगते थे, जिससे उनकी पत्नी काफी परेशान होती थी, लेकिन पत्नी ने उनको पौधे लगाने से कभी मना नहीं किया. साथ ही वह खुद भी इस मुहिम से जुड़ गईं. प्रीति गुप्ता ने अपने छत के ऊपर ही एक छोटी सी नर्सरी बनाई है, जिसमें वह बीज से पौधे बनाती हैं. उनकी नर्सरी की खास बात यह है कि वह कूड़े को यूज करके उसका जैविक खाद बनाती है और जो भी प्लास्टिक उन्हें मिलता है उसमें नर्सरी तैयार करती है.
3 साल से कर रही हैं नर्सरी का काम
वह पिछले 3 सालों से यह काम कर रही हैं ताकि उनके पति को पौधा लगाने के लिए किसी नर्सरी से जाकर पौधा न खरीदना पड़े. अशोक गुप्ता को इसके लिए कई जगह सम्मानित भी किया जा चुका है. अशोक गुप्ता कहते हैं कि अगर वे डॉक्टर के पास ऑक्सीजन खरीदने जाते हैं तो उसका उन्हें पैसा चुकाना पड़ता है. अगर उनका यह पर्यावरण हमें प्रतिदिन 3 सिलेंडर जितना ऑक्सीजन फ्री में दे रहा है तो हमारी भी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि हम उसे बचा कर रखें.
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