भदोही: जिले में वाराणसी-इलाहाबाद हाईवे के नजदीक गोपीगंज में एक ऐसा मंदिर स्थित है जिसे तिलेश्वर नाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है. जो साल में तीन बार अपना रंग बदलता है. साथ ही सर्प की तरह प्रत्येक वर्ष पपड़ी छोड़ता है. इस शिवलिंग की अद्भुत बात ये है कि साल भर पपड़ी छोड़ने के बाद भी शिवलिंग घटता नहीं बल्कि तिल के समान इसमें बढ़ोतरी हो जाती है.
महत्वपूर्ण बिन्दु
- वाराणसी-इलाहाबाद हाईवे के नजदीक गोपीगंज में यह मंदिर स्थित है.
- इस मंदिर की स्थापना लगभग 5000 वर्ष पूर्व हुई थी.
- इसका प्रमाण शिव पुराण में भी मिलता है.
- इस मंदिर में मुख्य रूप से बेलपत्र चढ़ाया जाता है.
- अद्भुत शिवलिंग का अभिषेक दूध से किया जाता है.
क्या है मान्यता
महाभारत के समय पांडवों ने अपने अज्ञातवास के समय गंगा में स्नान करने के बाद तिरंगा नाम की जगह पर इस विशाल शिवलिंग को स्थापित किया था. उस समय यह स्थान काशी के तिलंगा में था तब से यह शिवलिंग आस्था का केंद्र बना हुआ है. यहां दूर-दूर से भक्त भोलेनाथ की महिमा को देखने आते हैं. सबसे अद्भुत होता है इस शिवलिंग के रंग बदलने का राज. इस मौसम में शिवलिंग गेहूं के रंग का हो जाता है, ठंड में काले और भीषण गर्मी में सफेद हो जाता है. वहीं साल भर में एक बार शिवलिंग से पपड़ी निकलती है, लेकिन इसके बावजूद भी शिवलिंग घटता नहीं बल्कि तिल के समान इसमें बढ़ोतरी हो जाती है. ऐसी मान्यता है कि गंगा के किनारे बने इस मंदिर में जो भी मनोकामना मांगी जाती है वह जरूर पूरी होती है.
ये मूर्ति पांडवों के हाथों स्थापित की गई है. साल में तीन मौसम होते हैं. ये मूर्ति तीनों मौसम में रंग बदलती है. ये मूर्ति 5 हजार साल पुरानी है. प्रत्येक वर्ष ये तिल भर बढ़ती है, इसलिए इसका नाम तिलेश्वरनाथ रखा गया है.
-मल्लू बाबा, पुजारी