भदोही: उज्ज्वला योजना की तरफ से जिले में 1 लाख 25 हजार गैस सिलेंडर बांटे गए, जो कि सरकार के द्वारा दिए गए निर्धारित लक्ष्य से ऊपर था. सरकार ने इस पर अपनी खूब पीठ थपथपाई. चुनावी जनसभाओं में हर नेता अपने भाषणों में उज्ज्वला योजना के तहत बांटे गए सिलेंडरों का आंकड़ा जरूर लोगों को बताता था. लेकिन इस योजना की अगर जमीनी हकीकत देखी जाए तो योजना से ग्रामीण महिलाओं को कोई खास फायदा नहीं हुआ है.
- उज्ज्वला योजना में बांटे गए लाखों सिलेंडर में से सिर्फ कुछ हजार सिलेंडर ही दोबारा रिफिल कराए गए.
- बाकी सिलेंडर गरीब परिवारों के घर का शो पीस बने हुए हैं.
- इस योजना को लाने का मुख्य उद्देश्य गरीबों के पास गैस सिलेंडर पहुंचाना था.
- इस योजना का मकसद था कि महिलाएं चूल्हे को छोड़कर सिलेंडर पर खाना बनाएं.
- सरकार की इस योजना के बावजूद गरीब परिवार आज भी चूल्हे पर ही खाना बना रहा है.
- आर्थिक स्थिति सही न होने की वजह से उनका चूल्हे पर खाना बनाने का मोह नहीं छूट रहा है.
- गरीब परिवारों की ऐसी स्थिति नहीं है कि वह एक बार सिलेंडर खत्म हो जाए तो दोबारा रिफिल करा पाएं.
- चूल्हे पर खाना बनाने की वजह से टीबी, मोतियाबिंद और फेफड़े का इन्फेक्शन जैसी खतरनाक बीमारियां हो रही हैं.
...फिर भी महिलाएं हैं उत्साहित
- गैस मिलने से औरतें काफी उत्साहित हैं और इसकी वह तारीफ भी करती हैं.
- गरीब परिवारों की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वह 12 महीने गैस सिलेंडर पर खाना बना सकें.
- वह मजबूरी में लकड़ी जलाकर खाना बनाने को मजबूर हैं.
ऐसे में इस योजना को सफल मानना सरकार की बड़ी भूल होगी क्योंकि इस योजना का जो उद्देश्य था वह अभी भी पूरा नहीं हो पाया है और ग्रामीण आज भी लकड़ी, घास-फूस जलाकर ही खाना बना रहे हैं.