ETV Bharat / state

भदोही: उज्ज्वला योजना के तहत मिला सिलेंडर बना शो पीस, रिफिल नहीं करा पा रहे ग्रामीण

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत मिले गैस सिलेंडर अब शो पीस बनते जा रहे हैं. गरीब परिवार की महिलाएं अब चूल्हे पर खाना बना रही हैं. इसका कारण है उनकी गरीबी. गरीब महिलाओं के पास इतने पैसे नहीं हैं जिससे कि वह गैस सिलेंडर को रिफिल करा पाएं.

चूल्हे पर खाना बनाती गरीब महिला.
author img

By

Published : Jul 18, 2019, 5:25 PM IST

भदोही: उज्ज्वला योजना की तरफ से जिले में 1 लाख 25 हजार गैस सिलेंडर बांटे गए, जो कि सरकार के द्वारा दिए गए निर्धारित लक्ष्य से ऊपर था. सरकार ने इस पर अपनी खूब पीठ थपथपाई. चुनावी जनसभाओं में हर नेता अपने भाषणों में उज्ज्वला योजना के तहत बांटे गए सिलेंडरों का आंकड़ा जरूर लोगों को बताता था. लेकिन इस योजना की अगर जमीनी हकीकत देखी जाए तो योजना से ग्रामीण महिलाओं को कोई खास फायदा नहीं हुआ है.

चूल्हे पर खाना बनाने को मजबूर गरीब महिलाएं, देखें वीडियो.
क्या है पूरा मामला-
  • उज्ज्वला योजना में बांटे गए लाखों सिलेंडर में से सिर्फ कुछ हजार सिलेंडर ही दोबारा रिफिल कराए गए.
  • बाकी सिलेंडर गरीब परिवारों के घर का शो पीस बने हुए हैं.
  • इस योजना को लाने का मुख्य उद्देश्य गरीबों के पास गैस सिलेंडर पहुंचाना था.
  • इस योजना का मकसद था कि महिलाएं चूल्हे को छोड़कर सिलेंडर पर खाना बनाएं.
  • सरकार की इस योजना के बावजूद गरीब परिवार आज भी चूल्हे पर ही खाना बना रहा है.
  • आर्थिक स्थिति सही न होने की वजह से उनका चूल्हे पर खाना बनाने का मोह नहीं छूट रहा है.
  • गरीब परिवारों की ऐसी स्थिति नहीं है कि वह एक बार सिलेंडर खत्म हो जाए तो दोबारा रिफिल करा पाएं.
  • चूल्हे पर खाना बनाने की वजह से टीबी, मोतियाबिंद और फेफड़े का इन्फेक्शन जैसी खतरनाक बीमारियां हो रही हैं.

...फिर भी महिलाएं हैं उत्साहित

  • गैस मिलने से औरतें काफी उत्साहित हैं और इसकी वह तारीफ भी करती हैं.
  • गरीब परिवारों की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वह 12 महीने गैस सिलेंडर पर खाना बना सकें.
  • वह मजबूरी में लकड़ी जलाकर खाना बनाने को मजबूर हैं.

ऐसे में इस योजना को सफल मानना सरकार की बड़ी भूल होगी क्योंकि इस योजना का जो उद्देश्य था वह अभी भी पूरा नहीं हो पाया है और ग्रामीण आज भी लकड़ी, घास-फूस जलाकर ही खाना बना रहे हैं.

भदोही: उज्ज्वला योजना की तरफ से जिले में 1 लाख 25 हजार गैस सिलेंडर बांटे गए, जो कि सरकार के द्वारा दिए गए निर्धारित लक्ष्य से ऊपर था. सरकार ने इस पर अपनी खूब पीठ थपथपाई. चुनावी जनसभाओं में हर नेता अपने भाषणों में उज्ज्वला योजना के तहत बांटे गए सिलेंडरों का आंकड़ा जरूर लोगों को बताता था. लेकिन इस योजना की अगर जमीनी हकीकत देखी जाए तो योजना से ग्रामीण महिलाओं को कोई खास फायदा नहीं हुआ है.

चूल्हे पर खाना बनाने को मजबूर गरीब महिलाएं, देखें वीडियो.
क्या है पूरा मामला-
  • उज्ज्वला योजना में बांटे गए लाखों सिलेंडर में से सिर्फ कुछ हजार सिलेंडर ही दोबारा रिफिल कराए गए.
  • बाकी सिलेंडर गरीब परिवारों के घर का शो पीस बने हुए हैं.
  • इस योजना को लाने का मुख्य उद्देश्य गरीबों के पास गैस सिलेंडर पहुंचाना था.
  • इस योजना का मकसद था कि महिलाएं चूल्हे को छोड़कर सिलेंडर पर खाना बनाएं.
  • सरकार की इस योजना के बावजूद गरीब परिवार आज भी चूल्हे पर ही खाना बना रहा है.
  • आर्थिक स्थिति सही न होने की वजह से उनका चूल्हे पर खाना बनाने का मोह नहीं छूट रहा है.
  • गरीब परिवारों की ऐसी स्थिति नहीं है कि वह एक बार सिलेंडर खत्म हो जाए तो दोबारा रिफिल करा पाएं.
  • चूल्हे पर खाना बनाने की वजह से टीबी, मोतियाबिंद और फेफड़े का इन्फेक्शन जैसी खतरनाक बीमारियां हो रही हैं.

...फिर भी महिलाएं हैं उत्साहित

  • गैस मिलने से औरतें काफी उत्साहित हैं और इसकी वह तारीफ भी करती हैं.
  • गरीब परिवारों की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वह 12 महीने गैस सिलेंडर पर खाना बना सकें.
  • वह मजबूरी में लकड़ी जलाकर खाना बनाने को मजबूर हैं.

ऐसे में इस योजना को सफल मानना सरकार की बड़ी भूल होगी क्योंकि इस योजना का जो उद्देश्य था वह अभी भी पूरा नहीं हो पाया है और ग्रामीण आज भी लकड़ी, घास-फूस जलाकर ही खाना बना रहे हैं.

Intro:उजाला योजना की तरफ से जिले में 125000 गैस सिलेंडर बांटे गए जो कि सरकार के द्वारा दिए गए निर्धारित लक्ष्य से ऊपर था सरकार ने इस पर अपनी कूट पीठ थपथपाई और चुनाव में वह इसे बताते नहीं थकते थे चुनाव के दौरान कोई भी नेता आता था वह अपने भाषणों में उज्ज्वला योजना के तहत बांटे गए सिलेंडरों का आंकड़ा जरूर लोगों को बताता था चाहे वह जनसभा हो चुनावी रैलियां हो वह इसके लिए खूब वाहवाही लूटते और तारीफ करते नहीं थकते थे लेकिन इस योजना कि अगर जमीनी हकीकत देखी जाए तो योजना को बट्टा लगाने में ग्रामीणों ने कोई कसर नहीं छोड़ी है






Body:इस योजना में बांटे गए लाखों सिलेंडर में से सिर्फ कुछ हजार सिलेंडर ही दोबारा रिफिल कराए गए बाकी सिलेंडर गरीब परिवारों के घर का शोपीस बने हुए हैं इस योजना को लाने का मुख्य उद्देश्य था कि गरीबों के पास गैस सिलेंडर पहुंच जाए ताकि वह चूल्हे को छोड़ सिलेंडर पर खाना बनाएं बना लेकिन गरीब परिवार अपनी तंगहाली की वजह से चूल्हे पर खाना बनाने का मुंह उनका नहीं छूट रहा है क्योंकि उन गरीब परिवारों की ऐसी स्थिति नहीं है कि वह एक बार सिलेंडर खत्म हो जाए तो दोबारा रिफिल करा पाए इसका असर यह हुआ कि इस जिले में कुछ हजार सिलेंडर की दुबारा रिफिल कराए गए और बाकी सारे सिलेंडर लोगों के घर की शोभा बढ़ा रहे हैं और वह परिवार आज भी चूल्हे पर ही खाना बना रहा है






Conclusion:ऐसी स्थिति में सरकार भले से दावे कर दे कि वह गांव में धुआं मुक्त भोजन बनवाने के अपने उद्देश्य को पूरा कर चुका है और झूमे से होने वाली बीमारियों से व ग्रामीणों को दूर रखेगा जिससे कि वातावरण को भी प्रदूषित होने से बचाया जा सकेगा लेकिन ग्रामीण आज भी चूल्हे पर खाना बना रहे हैं जिसकी वजह से अनेक बीमारियां जैसे टीवी मोतियाबिंद फेफड़े का इंफेक्शन जैसी खतरनाक बीमारियां चूहों से निकलने वाले धुएं की वजह से होती है हालांकि गैस मिलने से औरतें काफी उत्साहित है और इसका वह तारीफ भी करती हैं लेकिन उनके लिए असली समस्या यह है कि अगर सरकार चूल्हा दे सकती है तो सब्सिडी के दाम को और बड़ा क्यों नहीं सकती क्योंकि उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वह 12 महीने गैस सिलेंडर पर खाना बना सके जिसके कारण वह मजबूरी में लकड़ी जलाकर खाना बनाने को मजबूर है ऐसे में इस योजना को सफल रही सरकार की बड़ी भूल होगी क्योंकि इस योजना का जो उद्देश्य था वह अभी भी पूरा नहीं हो पाया है और ग्रामीण आज भी लकड़ी घास फूस जलाकर ही खाना बना रहे हैं

जिला अधिकारी राजेंद्र प्रसाद की बाइट

सरोजा और धर्मशील गृहणी की बाइट


दीपू पांडेय भदोही
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.