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भदोही में किसानों की लगी क्लास, बताया कम पानी में कैसे करें खेती

जिले में सरकार के द्वारा 10 विलेज फार्मर स्कूल चलाए जा रहे हैं. जहां पर किसानों को उनके खेतों की नमी और फसल पैदावार बढ़ाने के लिए नए तरीकों के इस्तेमाल के गुर सिखाए जा रहे हैं. इसके अलावा कम वर्षा या मानसून के देरी से आने की स्थिति में किसान किस तरह के बीजों और इसके प्रजातियों का चयन करेंगे और लाभ कमाएंगे, इसको लेकर भी उन्हें प्रशिक्षित किया जा रहा है.

कृषि संबंधित जानकारी देते जिला कृषि अधिकारी
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Published : Jun 15, 2019, 5:54 PM IST

भदोही: जिले में कुल क्षेत्रफल 46,962 हेक्टेयर है. जिसमें से 31,298 भूमि सिंचाई योग्य है. इन जगहों पर पर सबसे अधिक धान की फसल उगाई जाती है. जिसका क्षेत्रफल 29,896 है. हालांकि भदोही जिले का कुल क्षेत्रफल गंगा नदी के किनारे होने की वजह से फसल आसानी से हो जाती है. लेकिन कुछ हिस्से जो नदी और नहरों से काफी दूर है. वहां पूरी तरीके से किसान मानसून पर ही निर्भर रहते हैं.

खेतों में काम करते किसान

ऐसे जगहों के लिए जिले में 10 गांव में किसान स्कूल आयोजित की जा रही है. इसमें किसानों को कम बारिश में भी अपनी फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है. यहां किसानों को कृषि विशेषज्ञ के द्वारा खेती के नए तौर-तरीकों से भी अवगत कराया जा रहा है.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ:

  • किसान अपने बीजों के प्रजातियों का चयन काफी सोच-समझकर करें.
  • किसान जोताई के बाद अपने खेतों में पाटा चलवा दें, ताकि खेत की नमी बनी रहे.
  • मानसून के कम आने पर बाजरा ,ज्वार ,मक्का आदि भी उगा सकते हैं

सरकार के द्वारा जिले में 10 विलेज फार्मर स्कूल चलाए जा रहे हैं. जहां पर किस तरीके से अपने खेत में नमी बरकरार रखी जाए और कम मानसून होने के बावजूद भी अच्छी पैदावार ली जाए, किसान अपने बीजों के प्रजातियों का चयन काफी सोच-समझकर करें, ताकि उसे कम पानी मिले तो भी वह फसल अच्छे से तैयार हो सके.

एके प्रजापति ,जिला कृषि अधिकारी

भदोही: जिले में कुल क्षेत्रफल 46,962 हेक्टेयर है. जिसमें से 31,298 भूमि सिंचाई योग्य है. इन जगहों पर पर सबसे अधिक धान की फसल उगाई जाती है. जिसका क्षेत्रफल 29,896 है. हालांकि भदोही जिले का कुल क्षेत्रफल गंगा नदी के किनारे होने की वजह से फसल आसानी से हो जाती है. लेकिन कुछ हिस्से जो नदी और नहरों से काफी दूर है. वहां पूरी तरीके से किसान मानसून पर ही निर्भर रहते हैं.

खेतों में काम करते किसान

ऐसे जगहों के लिए जिले में 10 गांव में किसान स्कूल आयोजित की जा रही है. इसमें किसानों को कम बारिश में भी अपनी फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है. यहां किसानों को कृषि विशेषज्ञ के द्वारा खेती के नए तौर-तरीकों से भी अवगत कराया जा रहा है.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ:

  • किसान अपने बीजों के प्रजातियों का चयन काफी सोच-समझकर करें.
  • किसान जोताई के बाद अपने खेतों में पाटा चलवा दें, ताकि खेत की नमी बनी रहे.
  • मानसून के कम आने पर बाजरा ,ज्वार ,मक्का आदि भी उगा सकते हैं

सरकार के द्वारा जिले में 10 विलेज फार्मर स्कूल चलाए जा रहे हैं. जहां पर किस तरीके से अपने खेत में नमी बरकरार रखी जाए और कम मानसून होने के बावजूद भी अच्छी पैदावार ली जाए, किसान अपने बीजों के प्रजातियों का चयन काफी सोच-समझकर करें, ताकि उसे कम पानी मिले तो भी वह फसल अच्छे से तैयार हो सके.

एके प्रजापति ,जिला कृषि अधिकारी

Intro:मौसम विभाग के द्वारा या अनुमान लगाए जाने के बाद कि इस साल मानसून काफी लेट आएगा और बरसात पिछले सालों की अपेक्षा कम होगी जिससे सूखे का खतरा बना रहेगा इस भविष्यवाणी के बाद से ही किसान काफी चिंतित है और राज्य सरकारें मानसून की वजह से होने वाले नुकसान को कम से कम करना चाहता है इसी को लेकर जिले में जिला कृषि अधिकारी ने किस तरीके से मानसून देर से आए और बरसात कम हो तो अपने नुकसान को किसान कम कर सके इस पर विशेष ध्यान दे रहे हैं


Body:जिले में कुल क्षेत्रफल 46962 ट्रेक्टर है जिसमें से 31298 भूमि सिंचित है इन सिंचित भूमियों में सबसे अधिक धान की फसल उगाई जाती है जिसका क्षेत्रफल 29896 है हालांकि भदोही जिले के कुल क्षेत्रफल गंगा नदी के किनारे होने की वजह से वहां फसल आसानी से हो जाती है लेकिन कुछ हिस्से जो नदी और लहरों से काफी दूर है वहां पूरी तरीके से किसान मानसून पर ही निर्भर रहता है ऐसे में वह मानसून के देर आने और बरसात कम होने की चिंता किसानों को सता रही है


Conclusion:देरी से आने वाले मानसून से किसान अपने नुकसान को कम करने के लिए कर सकते हैं या काम
सरकार के द्वारा जिले में 10 विलेज फार्मर स्कूल लगाए जा रहे हैं जहां पर किस तरीके से अपने खेत में नमी बरकरार रखी जाए और कब मानसून होने के बावजूद भी अच्छी पैदावार ली जाए किसान अपने बीजों के प्रजातियों का चयन काफी सोच-समझकर करें ताकि उसे कम बानी मिले तो भी वह अच्छे से फसल तैयार हो किसान खेती से उस दिन पहले ही अपने खेतों में मेड़बंदी कर देता कि मानसून आए तो उसका वह ज्यादा से ज्यादा फायदा उठा सके और खेत में नमी बरकरार रहे जुदाई के बाद वो अपने खेतों में पाटा चलवा दे ताकि खेत की नमी बनी रहे
मानसून के कमाने पर किसान धान की खेती का अदालत छोड़ बाजरा ज्वार मक्का आदि भी अपने खेतों में उड़ा सकते हैं ताकि उनके नुकसान की भरपाई इन फसलों से की जा सके जो सबसे मुख्य बात है वह यह है कि यह सब फसलें कम पानी वाली फसलें हैं किसान उर्वरक इस्तेमाल करते समय भी मुख्य रूप से हरी घास नाइट्रोजन फास्फोरस और पोटाश का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करें ताकि कम पानी की जरूरत पड़े

जिला कृषि अधिकारी की बाइट AK prajapati
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