भदोही: रूस समेत कई देशों में कोरोना की दस्तक से एक बार फिर जिले के कालीन निर्यातकों की नींद उड़ गई है. जनवरी 2021 में जर्मनी के हनोवर शहर में चार दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कालीन मेला डोमोटेक्स का आयोजन होना था. लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना के कारण उसे रद्द कर दिया गया था. वहीं, अब दो साल बाद आयोजित होने वाले डोमोटेक्स को लेकर निर्यातकों में विशेष उत्साह है और सीईपीसी के माध्यम से मेले में अपनी भागीदारी को करीब 130 निर्यातकों ने स्टाल बुक करा लिए हैं, जबकि 30 से अधिक निर्यातकों के आवेदन लंबित हैं. इस बीच कोरोना की दस्तक ने निर्यातकों की नींद उड़ा दी है.
दरअसल, कालीन मेलों में महाकुंभ के नाम से जाने जाने वाले डेमोटेक्स से यहां के कालीन कारोबारियों को खासा उम्मीदें रहती हैं, क्योंकि उन्हें इस मेले के दौरान अच्छे ऑर्डर मिल जाते हैं. यानी भारतीय कालीन उद्योग के लिए यह मेला बेहद फायदेमंद होता है. वहीं, विश्व के प्रमुख आयातक देशों की मेले में भागीदारी होने से भारतीय निर्यातकों को 300 से 500 करोड़ तक का आर्डर मिल जाता है.
कोरोना के कारण जनवरी 2021 में मेले का आयोजन रद्द कर दिया गया था. इससे कालीन उद्यमियों को नुकसान उठाना पड़ा था. यही कारण है कि 12 जनवरी, 2022 में प्रस्तावित डेमोटेक्स को लेकर निर्यातकों में व्यापक उत्साह देखा जा रहा है.
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वहीं, डेमोटेक्सी की तैयारियां चल रही है. लेकिन पिछले एक सप्ताह से स्थिति में अचानक से आए बदलाव ने निर्यातकों की चिंता बढ़ा दी है. रूस, चीन, ब्रिटेन और स्वीडन में कोरोना के कहर के चलते वहां की सरकारों ने प्रभावित शहरों में लॉकडाउन घोषित कर दिया है.
ऐसे में अगर जल्द हालत काबू में नहीं आए तो फिर से डेमोटेक्स के आयोजन को रद्द किया जा सकता है. बता दें कि पहले जहां 11 हाल में स्टाल लगाए जाते थे, लेकिन अब संख्या को घटाकर तीन करने की योजना है.
निर्यातकों की चिंता
निर्यातक पीयूष श्रीवास्तव ने बताया कि डोमोटेक्स को लेकर निर्यातकों में खासा उत्साह है. सीईपीसी के माध्यम से मेले में हिस्सा लेने को करीब 150 निर्यातकों ने स्टाल बुक करा लिए हैं तो कुछ ने आवेदन कर रखा है. लेकिन एक बार फिर से कोरोना के बढ़ते ग्राफ ने कालीन उद्योग की चिंताएं बढ़ा दी है.
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