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भदोही: सरकारी स्कूल के टपकते हुए छत के नीचे प्रधान ने लगवा दी टाइल्स - शिक्षा विभाग में लापरवाही

उत्तर प्रदेश के भदोही के पाली के प्राथमिक विद्यालय में ग्राम प्रधान और प्रधानाचार्य की मिलीभगत से विद्यालय के कमरे की जर्जर छत के नीचे टाइल्स लगा दी गई है. जहां कभी क्लास ही नहीं चलता है. वहीं प्रधानाचार्य के कहना है कि हमसे बिना अनुमति लिए ग्राम प्रधान ने टाइल्स लगवा दी है.

जर्जर छत के नीचे लगा दी गई टाइल्स.
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Published : Sep 12, 2019, 10:41 AM IST

भदोही: सरकार के लाख कवायद करने के बावजूद भी सूबे में शिक्षा का स्तर और उसमें व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म होता नहीं दिख रहा है. वहीं जिला प्रशासन की लापरवाही से यह आज भी फल फूल रहा है. मामला पाली के प्राथमिक स्कूल का है. जहां टूटी हुई छत के नीचे टाइल्स लगा दी गई है. जहां कभी क्लास ही नहीं चलता है. ऐसी स्थिति में वहां टाइल्स लगाने का क्या फायदा हुआ, जिस कक्षा में क्लास ही नहीं चलती और जिस क्लास की छत टपकती हो.

जर्जर छत के नीचे लगा दी गई टाइल्स.

इसे भी पढ़ें- बदायूंः अब रेडियो से अंग्रेजी सीखेंगे सरकारी स्कूल के बच्चे

जर्जर छत के नीचे लगा दी गई टाइल्स

  • जिले के पाली के प्राथमिक स्कूल में जर्जर छत के नीचे टाइल्स लगा दी गई है.
  • यह निर्माण कार्य वित्त वर्ष 2016 और 17 के कोष से हुआ है.
  • प्रधानाचार्य रमाकांत मौर्या का कहना है कि उनसे बिना अनुमति लिए ग्राम प्रधान ने टाइल्स लगवा दी है.
  • प्रश्न यह उठता है कि अगर स्कूल में छत टपकती है या उसका छत जर्जर है तो पहले छत की मरम्मत जरूरी है या फर्श की.
  • ग्राम प्रधान ने निधि से पैसे निकालने के लिए आनन-फानन में बिना छत बनवाएं कमरे में टाइल्स लगवा दिए जहां क्लास चलते ही नहीं हैं.

हमसे बिना अनुमति लिए ग्राम प्रधान ने टाइल्स लगवा दी है. इसलिए हम इसमें कुछ भी हस्तक्षेप नहीं कर पाए हैं.
-रमाकांत मौर्य, प्रधानाचार्य

जिला प्रशासन इस पर मौन है और वह कुछ भी कहने को तैयार नहीं है ऐसे में प्रश्न यही उठता है कि क्या कभी उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था तथा प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार को सरकारी खत्म कर पाएंगी या नहीं.

भदोही: सरकार के लाख कवायद करने के बावजूद भी सूबे में शिक्षा का स्तर और उसमें व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म होता नहीं दिख रहा है. वहीं जिला प्रशासन की लापरवाही से यह आज भी फल फूल रहा है. मामला पाली के प्राथमिक स्कूल का है. जहां टूटी हुई छत के नीचे टाइल्स लगा दी गई है. जहां कभी क्लास ही नहीं चलता है. ऐसी स्थिति में वहां टाइल्स लगाने का क्या फायदा हुआ, जिस कक्षा में क्लास ही नहीं चलती और जिस क्लास की छत टपकती हो.

जर्जर छत के नीचे लगा दी गई टाइल्स.

इसे भी पढ़ें- बदायूंः अब रेडियो से अंग्रेजी सीखेंगे सरकारी स्कूल के बच्चे

जर्जर छत के नीचे लगा दी गई टाइल्स

  • जिले के पाली के प्राथमिक स्कूल में जर्जर छत के नीचे टाइल्स लगा दी गई है.
  • यह निर्माण कार्य वित्त वर्ष 2016 और 17 के कोष से हुआ है.
  • प्रधानाचार्य रमाकांत मौर्या का कहना है कि उनसे बिना अनुमति लिए ग्राम प्रधान ने टाइल्स लगवा दी है.
  • प्रश्न यह उठता है कि अगर स्कूल में छत टपकती है या उसका छत जर्जर है तो पहले छत की मरम्मत जरूरी है या फर्श की.
  • ग्राम प्रधान ने निधि से पैसे निकालने के लिए आनन-फानन में बिना छत बनवाएं कमरे में टाइल्स लगवा दिए जहां क्लास चलते ही नहीं हैं.

हमसे बिना अनुमति लिए ग्राम प्रधान ने टाइल्स लगवा दी है. इसलिए हम इसमें कुछ भी हस्तक्षेप नहीं कर पाए हैं.
-रमाकांत मौर्य, प्रधानाचार्य

जिला प्रशासन इस पर मौन है और वह कुछ भी कहने को तैयार नहीं है ऐसे में प्रश्न यही उठता है कि क्या कभी उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था तथा प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार को सरकारी खत्म कर पाएंगी या नहीं.

Intro:सरकार कि लाख कवायत करने के बावजूद भी सूबे में शिक्षा का स्तर तथा उसमें व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म करने में नाकाम दिख रही है जहां योगी सरकार इस बात पर विशेष ध्यान दे रही है कि प्राइमरी शिक्षा का स्तर लगातार उठाया जाए वही जिला प्रशासन की लापरवाही उसको ठेंगा दिखाते हुए नजर आती है मामला पाली के प्राथमिक स्कूल का है जहां चुते हुए छत के नीचे टाइल्स लगा दी गई है जहां कभी क्लास ही नहीं चलता ऐसी स्थिति में वहां टाइल्स लगाने का क्या फायदा हुआ जिस कक्षा में क्लास ही नहीं चलती और जिस क्लास की छत टपकती हो


Body:प्रधानाचार्य रमाकांत मौर्या का कहना है कि उनसे बिना अनुमति लिए ग्राम प्रधान ने टाइल्स लगवा दी इसलिए वह इसमें कुछ भी हस्तक्षेप नहीं कर पाए आना की जिम्मेदारी तो प्रधानाचार्य की भी बनती है कि उनके स्कूल में जो निर्माण कार्य हो रहे हैं वह सही है या नहीं यह निर्माण कार वित्त वर्ष 2016 और 17 के कोष से हुआ है जिसमें कमरे में टाइल्स लगा दी गई है प्रश्न यह उठता है कि अगर स्कूल में छत टपकती है या उसका छत जर्जर है तो पहले छत की मरम्मत जरूरी है या फर्श की ग्राम प्रधान ने निधि से पैसे निकालने के लिए तथा कमीशन खोरी के चक्कर में आनन-फानन में बिना छत बनवाएं कमरे में टाइल्स लगवा दिए जहां क्लास चलते ही नहीं


Conclusion:जिला प्रशासन इस पर मौन है और वह कुछ भी कहने को तैयार नहीं है ऐसे में प्रश्न यही उठता है कि क्या कभी उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था तथा प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार को सरकारी खत्म कर पाएंगी या नहीं

बाइट - प्रधाना चार्य रमाकांत मौर्य
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