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भदोही: जर्मनी, इजरायल ने दी संजीवनी, शुरू हुआ कालीन का उद्योग

यूपी के भदोही में लॉकडाउन के दौरान डीएम के आदेश के बाद सशर्त कालीन उद्योग में काम शुरू हो गया है. जर्मनी, इजरायल जैसे देशों में भारतीय कालीनों की डिमांड की जा रही है.

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भदोही कालीन उद्योग
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Published : May 3, 2020, 6:35 PM IST

भदोही: डेढ़ महीने से कालीन का कारोबार पूरी तरह से ठप है. वैश्विक महामारी के बीच जर्मनी, इजरायल समेत कई देशों में विश्व विख्यात भारतीय कालीनों की डिमांड की जा रही है. जर्मनी, इजरायल जैसे बड़े खरीददार देशों ने कालीन खरीदने के लिए भदोही के एक्सपोर्टरों से संपर्क करने की कोशिश की है.

जनपद का कालीन उद्योग भारत के कालीन उद्योग का करीब 60% भागीदार है. प्रति साल 12000 करोड़ रुपये का एक्सपोर्ट होता है. जिले में यह उद्योग लगभग तीन से चार लाख लोगों को रोजगार दिए हुए हैं. डीएम से रियायत मिलने के बाद धीरे-धीरे कालीन कंपनियों में काम शुरू हो गया है.

मजदूरों को मिला काम
कालीन उद्योग शुरु होने से पास के मजदूरों को फिर से काम मिल गया है. गुरुवार को जिला अधिकारी राजेंद्र प्रसाद के साथ कारपेट व्यापारियों की मीटिंग थी, जिसके बाद जिलाधिकारी ने सोशल डिस्टेंसिग का पालन करते हुए कंपनी चलाने के निर्देश दिए हैं.

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शुरु हुआ कालीन उद्योग.

जिलाधिकारी ने सशर्त दी छूट
जिला अधिकारी द्वारा गुरुवार को कच्चे माल की ढुलाई, पैकेजिंग में शर्तों के साथ छूट देने की बात कही है, ताकि जैसे ही देश में एक्सपोर्ट-इंपोर्ट का काम शुरू हो विदेशों में कालीन आसानी से भेजी जा सके.

विदेशी खरीददार कर रहे एक्सपोर्टर से संपर्क
एक्सपोर्टर संजय गुप्ता ने बताया कि काफी दिनों से हमारा संपर्क खरीददारों से टूट गया था, लेकिन अचानक इजरायल के एक व्यापारी के संपर्क करने के बाद अब यह लग रहा है कि काम फिर से पटरी पर आएगा. एक्सपोर्टर कामरान ने बताया कि उनकी ऑस्ट्रिया और जर्मनी के खरीददारों से बात हुई है और वह कालीन लेने के लिए इच्छुक दिखाई दिए.

भदोही: डेढ़ महीने से कालीन का कारोबार पूरी तरह से ठप है. वैश्विक महामारी के बीच जर्मनी, इजरायल समेत कई देशों में विश्व विख्यात भारतीय कालीनों की डिमांड की जा रही है. जर्मनी, इजरायल जैसे बड़े खरीददार देशों ने कालीन खरीदने के लिए भदोही के एक्सपोर्टरों से संपर्क करने की कोशिश की है.

जनपद का कालीन उद्योग भारत के कालीन उद्योग का करीब 60% भागीदार है. प्रति साल 12000 करोड़ रुपये का एक्सपोर्ट होता है. जिले में यह उद्योग लगभग तीन से चार लाख लोगों को रोजगार दिए हुए हैं. डीएम से रियायत मिलने के बाद धीरे-धीरे कालीन कंपनियों में काम शुरू हो गया है.

मजदूरों को मिला काम
कालीन उद्योग शुरु होने से पास के मजदूरों को फिर से काम मिल गया है. गुरुवार को जिला अधिकारी राजेंद्र प्रसाद के साथ कारपेट व्यापारियों की मीटिंग थी, जिसके बाद जिलाधिकारी ने सोशल डिस्टेंसिग का पालन करते हुए कंपनी चलाने के निर्देश दिए हैं.

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शुरु हुआ कालीन उद्योग.

जिलाधिकारी ने सशर्त दी छूट
जिला अधिकारी द्वारा गुरुवार को कच्चे माल की ढुलाई, पैकेजिंग में शर्तों के साथ छूट देने की बात कही है, ताकि जैसे ही देश में एक्सपोर्ट-इंपोर्ट का काम शुरू हो विदेशों में कालीन आसानी से भेजी जा सके.

विदेशी खरीददार कर रहे एक्सपोर्टर से संपर्क
एक्सपोर्टर संजय गुप्ता ने बताया कि काफी दिनों से हमारा संपर्क खरीददारों से टूट गया था, लेकिन अचानक इजरायल के एक व्यापारी के संपर्क करने के बाद अब यह लग रहा है कि काम फिर से पटरी पर आएगा. एक्सपोर्टर कामरान ने बताया कि उनकी ऑस्ट्रिया और जर्मनी के खरीददारों से बात हुई है और वह कालीन लेने के लिए इच्छुक दिखाई दिए.

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