मथुरा: भदोही वन विभाग (Bhadohi Forest Department) और एलीफेंट केयर संस्था ( Elephant Care Institute) ने बुधवार को 39 वर्षीय 'रोजी' हथिनी को जंजीरों से मुक्त कराया. संस्था ने बताया कि बीमार हथिनी के शरीर पर घाव लगे हुए थे. इसके इलाज के लिए मथुरा जनपद के हाथी संरक्षण केंद्र लाया गया है. यहां कुशल डॉक्टरों की टीम द्वारा बीमार हथिनी का इलाज किया जाएगा. इस केंद्र में पंद्रह नर और मादा का भी इलाज किया जा रहा है.
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उत्तर प्रदेश वन विभाग (Uttar Pradesh Forest Department) ने इस महीने की शुरुआत में वन्यजीव संरक्षण संस्था वाइल्ड लाइफ एसओएस (Wildlife conservation organization Wildlife S.O.S.) से मिली खुफिया जानकारी के बाद भदोही में बुधवार को देर रात 'रोजी' हथिनी को पकड़ा गया. संस्था ने बताया कि 'रोजी' का मालिक बारातों और भीख मांगने के लिए अवैध रूप से इस्तेमाल करता था. इतना ही नहीं, उसका मालिक उसके पैरों के चारों ओर नुकीली जंजीरें बांध रखा था.
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अदालत का आदेश मिलने के बाद वाइल्ड लाइफ एसओएस के पशु चिकित्सकों और कर्मचारियों की एक टीम विशेष हाथी एम्बुलेंस के साथ भदोही पहुंची और 'रोजी' हथिनी को जंजीरों से आजाद करके सकुशल मथुरा स्थित वाइल्ड लाइफ एसओएस अस्पताल ले आया गया. संस्था के पशु चिकित्सकों द्वारा किये गए गहन चिकित्सा जांच से पता चला कि हथिनी लगभग 39 साल की है और पक्की सड़कों और अन्य अनुपयुक्त सतहों पर चलने से उसके पैरों में चोटें लगी हुई है. इतना ही नहीं, उसके शरीर पर कई चोटें भी हैं. रोजी को वाइल्डलाइफ एसओएस की एक्सपर्ट की देखरेख रखा गया है. यहां पर हथिनी की इलाज लेजरथेरेपी, डिजिटल वायरलेस रेडियोलॉजी और थर्मल इमेजिंग जैसी उपकरणों से इलाज किया जाएगा.
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एलीफेंट केयर सेंटर में कुशल पशु चिकित्सक
वाइल्डलाइफ एसओएस पशु चिकित्सा सेवाओं के उप-निदेशक डॉ. इलियाराजा ने बताया कि कई वर्षों के दुर्व्यवहार ने रोजी के स्वास्थ्य पर गहरा असर डाला है. उसके पैर बहुत खराब स्थिति में हैं और शरीर पर कई चोटें भी हैं. हथिनी के स्वास्थ्य की स्पष्ट तस्वीर प्राप्त करने और उसे आवश्यक देखभाल प्रदान करने के लिए विस्तृत चिकित्सा जांच कर रहे हैं.
वाइल्डलाइफ एसओएस की सह-संस्थापक और सचिव, गीता शेषमणि ने बताया कि भदोही जिले की सड़कों पर भीख मांगने को मजबूर बीमार हथिनी को मुक्त कराया गया है. उसके शरीर पर नुकीली जंजीरों से घाव लगे हुए हैं. रोजी को असहनीय दर्द देकर उसका मालिक नियंत्रित करता था. उन्होंने बताया कि ऐसे घाव अक्सर ठीक नहीं होते हैं और समय के साथ संक्रमित हो जाते हैं. बीमार हथिनी को इलाज के लिए हाथी संरक्षण केंद्र लाया गया है. कुशल डॉक्टरों की टीम द्वारा उसका इलाज किया जाएगा, जिससे वह खुले आसमान के नीचे जिंदगी फिर से जी सके.
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