भदोही: जिले की पहचान यहां के कालीन कारोबार को लेकर होती है. वहीं आजादी की लड़ाई में यहां के लोगों ने अहम भूमिका निभाई है. आजादी के समय ये जिला बनारस जिले का हिस्सा था और यहां के रहने वाले जंगबहादुर सिंह बघेल 22 गांवों के जमींदार थे. सन् 1930 में उनके बघेल भवन में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आकर रुकते थे और यही से रणनीत बनती थी.
बघेल भवन इमारत में रहते थे क्रांतिकारी
गोपीगंज में बनी बघेल भवन इमारत में कभी जंगबहादुर सिंह बघेल का परिवार रहता था. उन दिनों जंगबहादुर 22 गांवों के जमीदार हुआ करते थे, जब अंग्रेजों के डर से स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को कोई रहने के लिए भी जगह नहीं दे रहा था, ऐसे में बघेल भवन में जंग बहादुर सिंह ने स्वतंत्रता के क्रांतिकारियों की मीटिंग बुलाई और सविनय अवज्ञा आंदोलन के लिए हुंकार भरी थी.
महात्मा गांधी के आवाहन पर लोग सड़कों पर उतरे
महात्मा गांधी के आवाहन पर ये जमीदार का परिवार और गोपीगंज समेत अन्य कई क्षेत्रों के लोग सड़कों पर आ गए थे. इसी के साथ अंग्रजों के खिलाफ आवाज बुलंद करने लगे थे. सन् 1930 के दशक में जब देश में सविनय अवज्ञा नमक आंदोलन चल रहा था, तो उस समय ये भवन सेनानियों के लिए छावनी से कम नहीं थी. इसी इमारत के नीचे बैठकर अंग्रेजों के खिलाफ नीतियां बनाई जाती थीं.
बघेल भवन में तय होती थी रणनीत
जंगबहादुर सिंह बघेल के परिवार के प्रमोद नारायण सिंह बताते है कि उस समय बनारस राज्य में सेनानी लोग हमारे परिवार संरक्षण में थे. हमारे परिवार की वजह से अंग्रेज लोगों को परेशान नहीं कर पाते थे और बघेल भवन में रणनीत तय होती थी. समय-समय पर महात्मा गांधी के निर्देश भी मिलते थे.