भदोहीः गोपीगंज थाना क्षेत्र के शिखापुर गांव निवासी 16 वर्षीय किशोरी की 14 दिन बाद थाना क्षेत्र के सोवरी गांव में स्थित एक कुएं में शव मिला. जिससे पूरे इलाके में सनसनी फैल गई. देखते ही देखते पुलिस प्रशासन और ग्रामीण मौजूद हो गये. घटना को लेकर सुबह से ही पुलिस प्रशासन के खिलाफ ग्रामीणों में आक्रोश बना रहा और जैसे ही शव का पोस्टमार्टम हो गया, वैसे ही परिजन और आक्रोशित ग्रामीणों ने शव को कठौता दानूपुर मार्ग पर रखकर चक्काजाम कर दिया. चक्का जाम की ख़बर मिलते ही पुलिस प्रशासन के हाथ पांव फूल गये और मौके पर आला अधिकारी पहुंचे, लेकिन बात नहीं बन सकी.
आपको बता दें कि 14 दिन पूर्व किशोरी शाम को घर से निकली थी किंतु देर रात घर पर नहीं पहुंची. जिसको लेकर परिजन काफी परेशान रहे और आसपास समेत रिश्तेदारों के यहां पहुंच कर खोजबीन की. लेकिन उसका पता नहीं चल पाया तो थाने में नामजद तहरीर दिया. किंतु पुलिस ने नामजद मुकदमा न कर अज्ञात के खिलाफ मुकदमा कर बैठ गई और अंततः परिणाम ये आया है कि गायब किशोरी का शव बोरा में भरकर एक कुएं में मिला.
परिजनों ने आरोप लगाया कि पुलिस प्रशासन अगर हमारे तहरीर और बातों पर तत्परता दिखाई तो आज मेरी बेटी की जान न जाती. पुलिस के लापरवाही की वजह से आज मेरी बच्ची की जान चली गई. परिजनों ने कहा कि पुलिस पूरी तरह से निष्क्रिय रही, नहीं तो आज ऐसी घटना होने का कोई औचित्य ही नहीं था. परिजनों ने चक्का जाम कर उच्चाधिकारियों के आने व दोषी पुलिस अधिकारी व कर्मियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की मांग किया. जिससे आने वाले समय में इस तरह की घटना न घटे और अगर कोई पीड़ित थाने पहुंचे तो उसका सुनवाई तत्काल प्रभाव से हो सके.
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ग्रामीणों के द्वारा चक्का जाम किये जाने की खबर जैसे ही थाना पुलिस उच्चाधिकारियों को मिली वैसे ही पुलिस के हाथ पांव फूल गये और चक्का जाम की तरफ दौड़े. किंतु ग्रामीणों की संख्या अधिक और आक्रोशित होने के कारण पुलिस प्रशासन मूकदर्शक बनकर खड़ी रही. ग्रामीण पुलिस पर तरह-तरह का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई करने की मांग किया. दोषी के गिरफ्तारी की जल्द से जल्द मांग करते हुए चक्का जाम पर डटे रहे. चक्का जाम की खबर मिलते ही क्षेत्राधिकारी भुनेश्वर पांडेय मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया. लेकिन ग्रामीण अपनी मांगों पर अड़े रहे और चक्का जाम करते रहे. ग्रामीणों ने कहा कि जबतक दोषी के खिलाफ कठोर कार्रवाई नहीं हो जाता. तब तक हम सभी ग्रामीण सड़क पर डटे रहेंगे चाहे मेरी जान भी चली जाए.