संत कबीर नगर : हौसले अगर बुलंद हों तो मंजिलें आसान हो जाती हैं. कुछ कर गुजरने का जज्बा अगर हममें हो तो कोई भी काम नामुमकिन नहीं होता. कुछ इन्हीं चंद लाइनों से सीख लेकर संत कबीर नगर के खलीलाबाद ब्लॉक क्षेत्र में आने वाले मंझरिया प्राथमिक विद्यालय की सहायक अध्यापिका अनीता सिंह हर गांव एक लाइब्रेरी बनाने की मुहिम चला रही हैं. मुहिम के तहत सहायक अध्यापिका ने पहली लाइब्रेरी खलीलाबाद ब्लॉक के कोनी ग्राम पंचायत में खोली गई हैं. इसके अलावा अध्यापिका ने जिले के 40 गांवों को टारगेट किया है. हर गांव एक लाइब्रेरी की मुहिम के तहत इन पुस्तकालयों में कुल 500 प्रकार की किताबें रखी जाएंगी.
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अक्षर भारती संस्था कर रही सहयोग
संत कबीर नगर जिले के खलीलाबाद ब्लॉक क्षेत्र के मंझरिया प्राथमिक विद्यालय में अनीता सिंह सहायक अध्यापिका के पद पर तैनात हैं. अध्यापिका अनीता सिंह ने पहले अपने विद्यालय को ट्रेन की शक्ल में उतारते हुए पूरे प्रदेश में अपना नाम रोशन किया. इसके बाद से ही अनीता अपने घर में लाइब्रेरी बनाकर लोगों को शिक्षित करती आ रही हैं. इसी क्रम में अनीता सिंह ने अक्षर भारती संस्था के माध्यम से हर गांव एक पुस्तकालय का निर्माण का बीड़ा उठाया है. अनीता सिंह का सपना है कि वह हर गांव में पुस्तकालय का निर्माण करते हुए लोगों को नि:शुल्क पुस्तकें मुहैया कराएं, ताकि लोग और शिक्षित हो सकें.
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'विद्याधन ही सबसे बड़ा धन है'
ईटीवी भारत से खास बातचीत में सहायक अध्यापिका अनीता सिंह ने बताया कि 'विद्याधन ही सबसे बड़ा धन है. किसी भी समाज के सकारात्मक विकास के लिए शिक्षा अनिवार्य है. किताबों से अच्छा मित्र कोई नहीं होता.' अध्यापिका ने बताया कि अपने विद्यालय को पुस्तक कुंज का निर्माण करने के बाद बाकी के गांव में शिक्षा के संसाधन से वंचित छात्रों के लिए पुस्तकालय का निर्माण कराने का बीड़ा उठाया गया है. इस पुस्तकालय में 500 प्रकार की किताबें जिसमें-कहानियां, वीर गाथाएं, सामाजिक, नैतिक, बाल विकास और धार्मिक पुस्तकें उपलब्ध कराई जा रही हैं. अक्षर भारती संस्था द्वारा उन्हें किताबें मुहैया कराई जाती हैं. लाइब्रेरी में 5 साल से 20 साल तक के बच्चे के लिए किताबें रखी जा रही हैं.
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गांव कर रहा अध्यापिका के पहल की सराहना
सहायक अध्यापिका अनीता सिंह की सराहना करते हुए छात्र रिया और शिवानी ने बताया कि 'मैडम अनीता द्वारा लाइब्रेरी का निर्माण कराया गया है. यह बेहद ही सराहनीय है. हमें इससे लाभ मिलेगा.' स्थानीय ग्रामीण सुनील मौर्या ने बताया कि 'गांव में पुस्तकालय खोलने से जो किताबें बच्चों को विद्यालय में नहीं मिल पाएगी, वे यहां आकर पढ़ सकते हैं. ऐसी शिक्षक की पहल बेहद सराहनीय है.' इसी तरह गांव के अन्य लोग भी अध्यापिका के इस पहल की सराहना करते नहीं थक रहे हैं.