संत कबीरनगर : प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गौ-प्रेम हमेशा से चर्चाओं में रहा है. सरकार ने छुट्टा पशुओं के लिए गौ-संरक्षण केंद्र बनाने के लिए करोड़ों रूपये खर्च करने का दावा किया, लेकिन संतकबीरनगर जिले में यह योजना दम तोड़ती दिखाई दे रही है. मुख्यमंत्री के गृह जनपद से महज 30 किलोमीटर की दूर बेजुबान गोवंशों की मौत ने योगी के अधिकारियों की कार्यशैली पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है.
बेजुबान आधा दर्जन से अधिक गोवंशों की मौत ने मेहदावल क्षेत्र के बागरा गांव में स्थित अस्थाई पशु आश्रय केंद्र की पोल खोल कर रख दी है. बता दें कि बौघरा गांव में लावारिस और छुट्टा पशुओं को रखने के लिए बना स्थाई पशु आश्रय केंद्र ही पशुओं के लिए जानलेवा साबित हो गया है. चारा पानी का अकाल और चारों तरफ खोदी गई गहरी खाई को न लांघ पाने के चलते यहां एक-एक कर 12 पशुओं की मौत हो गई. छुट्टा पशुओं को यहां रखने के लिए चारों तरफ से गहरी खाई खोदी गई है, लेकिन प्रशासन करीब 200 पशुओं के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी का इंतजाम करने में विफल साबित हुई है. बेजुबान को यहां कैद करने के बाद जिम्मेदार अधिकारियों ने उनकी सुध लेने की एक बार भी न सोची.
आंकड़ों की बात करें तो बौघरा ताल में बनाया गया अस्थाई पशु आश्रय केंद्र के लिए करीब 30 लाख रूपए निर्गत किए गए थे, लेकिन रकम पशुओं पर खर्च करने के बजाय जिम्मेदारों ने आपस मे बंदर बांट कर लिया और बेजुबान पशुओं को मौत के मुंह में ढकेल दिया. खुले आसमान के तले चारा पानी के अभाव में पशु बीमार पड़ गए. कुछ पशुओं की मौत कई दिन पहले हो चुकी थी, क्योंकि शवों से उठती दुर्गंध से आसपास का वातावरण दूषित हो गया है. इस पूरे आश्रय केंद्र के प्रांगण में कई पशुओं के कंकाल भी मिले हैं. मानवता को पूर्ण रूप से शर्मसार करने वाली इस घटना ने संत कबीर नगर के अधिकारियों की कार्यशैली पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है.
वहीं इस मामले पर जब मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी से बात की गई तो वह सवाल का जवाब तक नहीं दे पाए. यहां तक की ग्राम प्रधान भी ने भी मौके पर पहुंचकर जानवरों की स्थिति देखने की जहमत नहीं उठाई. ऐसे में जब बात उच्चाधिकारियों तक पहुंची तो उनके कान खड़े हो गए और आनन-फानन में मृत गोवंश के शवों को निकाल कर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया, लेकिन इस कार्रवाई से अधिकारी डैमेज कंट्रोल करते दिख रहे हैं. इस पूरे मामले में अपराधी अब भी प्रशासनिक कार्यवाही से बचे हुए हैं. अब तक न तो इस मामले पर किसी अधिकारी को तलब किया गया है न ही कोई मुकदमा दर्ज कराया गया है. ऐसे में यह कहना गलत न होगा कि योगी आदित्यनाथ की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक गोवंश संरक्षण योजना संत कबीरनगर की धरती पर दम तोड़ती हुई दिखाई दे रही है.