संतकबीरनगर : भारी-भरकम डिग्री लेने वाले बेरोजगारी की चक्की में पिस रहे हैं. उत्तरप्रदेश के संतकबीरनगर में रहने वाले विनोद गुप्ता के पास बीए, एमए, बीएड की डिग्री है और वह TET. CTET और CCC क्वॉलिफाई कर चुके हैं मगर नौकरी नहीं मिलने के कारण ई रिक्शा चलाते हैं. उनका सपना टीचर बनने का था. विनोद ने अपनी मेहनत में कोई कमी नहीं की, ET. CTET और CCC क्वॉलिफाई कर लिया मगर नौकरी नहीं मिली.
ई रिक्शावाला विनोद गुप्ता बताते हैं कि जब उनके घर में पिता बीमार हो गए और बहन की शादी के बाद आमदनी कम पड़ने लगी तो उन्होंने ई-रिक्शा चलाना शुरू कर दिया. अब वह अपने रिक्शा पर अपनी डिग्रियों के बारे में लिख रखा है. विनोद का कहना है कि इसका मकसद यह है कि लोग उनको सम्मान की निगाहों से देखें. 27 साल के विनोद कुमार गुप्ता जो संतकबीरनगर जिले के भवानीगाड़ा शिवापार, तहसील खलीलाबाद के रहने वाले हैं. अब परिवार का खर्चा चलाने के लिए किराये पर ई रिक्शा लेकर चलाते हैं.
विनोद ने बताया कि वह एक टीचर बनकर नाम कमाना चाहते थे, लेकिन काफी प्रयास के बाद ज़ब नौकरी नही मिली तो ई रिक्शा चलाने का फैसला कर लिया. ई रिक्शावाला विनोद गुप्ता ने बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. उनके पिता जी की तबियत भी लगभग 6 वर्षों से ठीक नहीं है. अब उनके सिर पर पिता की दवाई का खर्च, छोटे भाई मनोज कुमार की देखरेख की जिम्मेदारी भी है. उनके भाई मनोज कुमार का एक हाथ फैक्चर है, जो किसी तरह से मजदूरी करता है. मगर वह गुजारे के लिए कम पड़ जाती है.
मनोज ने अपनी पढ़ाई का जिक्र करते हुए बताया कि उनके पैरेंटस चाहते थे कि वह सरकारी नौकरी करें. इस मकसद से परिवार ने उन्हें पढ़ने का मौका दिया. उन्होंने भी बीए, एमए और बीएड की डिग्री ली. उन्हें उम्मीद थी कि ये डिग्रियां टीचर बनने में मददगार साबित होगी. अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए उन्होंने ET. CTET और CCC क्वॉलिफाई कर लिया. अपना खर्च निकालने के लिए छोटे बच्चों को कोचिंग और प्राइवेट स्कूल में पढ़ाते थे. मगर पेपर लीक होने और वैकेंसी देर से आने के कारण उनकी मेहनत पर पानी फिर गया. जब घर-गृहस्थी को चलाने की जरूरत सिर पर आ गई तो ई-रिक्शा का हैंडल थाम लिया.
विनोग गुप्ता ने बताया कि उन्हें रोज का मजदूरी मिल जाती है. उन्होंने अपने ई रिक्शे पर डिग्री इसलिए लिखवाया, क्योंकि पैसेंजर हमेशा ड्राइवर को अनपढ़-गवार समझ कर अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं. उन्हें उम्मीद है कि ई-रिक्शा से उनकी शिक्षा और डिग्रियों का सम्मान बरकरार रहेगा.
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