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मंहगाई की मार से हथकरघा उद्योग बेहाल, रोजी के संकट से जूझ रहे बुनकर

उत्तर प्रदेश का संत कबीर नगर जिला दो दशक पहले हथकरघा उद्योग के लिए जाना जाता था, लेकिन सूती वस्त्रों का उद्योग मंहगाई और जीएसटी की मार से चौपट होता दिख रहा है. इस व्यवसाय से जुड़े बुनकर अब रोजी-रोटी के लिए मोहताज हैं.

मंहगाई की मार से हथकरघा उद्योग बदरंग.
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Published : Nov 11, 2019, 9:57 PM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:22 PM IST

संत कबीर नगर: प्रदेश का संत कबीर नगर जिला महापुरुषों की कर्मभूमि के साथ ही पुरातात्विक महत्व को खुद में संजोए हुए है. साथ ही यह जिला यहां पर निर्मित सूती कपड़े के लिए भी अपनी अलग ही पहचान रखता है. दो दशक पूर्व बुनकरों के हाथों से बने कपड़ों की धूम पूरे पूर्वांचल के साथ ही समूचे देश में लंबे समय तक रही. लेकिन प्रशासनिक उपेक्षा और बढ़ती हुई महंगाई की मार से अब बुनकरों का कारोबार लगभग बंदी की कगार पर है.

मंहगाई की मार से हथकरघा उद्योग बेहाल.


जीएसटी ने तोड़ी कारोबार की कमर
कभी पावरलूम कारोबार से आबाद रहा जिला अब बुनकरों की आह से कराह रहा है. पीढ़ियों से हुनरमंद हाथों से लिबास बुनने वाली यह जमात अब संसाधनों की कमी और सियासतदानों की बेरूखी से तबाह होती दिख रही है. बढ़ती मंहगाई और जीएसटी के संकट ने इस फलते-फूलते कारोबार को ऐसी चोट पहुंचाई है कि नई नस्लें इस कारोबार से तौबा कर रही हैं.

हथकरघों की गूंजती आवाज अब कहां?
सरकारों की उदासीनता के चलते सूती वस्त्रों का उद्योग अपनी बदहाली के आंसू बहा रहा है. इन कारखानों में काम करने वाले सैकड़ों कामगार और बुनकरों की जिंदगी बेनूर सी हो गई है. जानकार बताते हैं कि दो दशक पूर्व जनपद के 250 गांवों में हथकरघों से निकलने वाली आवाज हमेशा कानों में गूंजा करती थी. यहां के बने कपड़े देश के कोने-कोने में अपनी एक अलग ही पहचान रखता था, लेकिन बदलते दौर में यह उद्योग बाजार में खुद को टिकाए रखने के लिए संघर्ष करता दिख रहा है.

महंगाई की मार से व्यापारियों का हुआ मोह भंग
खलीलाबाद में दूर-दूर से व्यापारी कपड़े के लिए ऑर्डर देने आते थे. लेकिन अब व्यापारी भी इस तरफ अपना रुख नहीं करते दिख रहे हैं. कपड़ा व्यवसाय के क्षेत्र में यह जिला काफी दिनों तक चर्चा में रहा, लेकिन बाद में प्रोत्साहन के अभाव के चलते यहां का हथकरघा उद्योग दम तोड़ने लगा. इससे हुनरमंद हाथ मौजूदा वक्त में रोजी-रोटी के लिए संघर्ष करते नजर आ रहे हैं. वहीं पूरे मामले पर डीएम रमेश गुप्ता ने बताया कि बुनकरों के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिससे वह लाभ लेकर अपने व्यापार को आगे बढ़ा सकते हैं.

संत कबीर नगर: प्रदेश का संत कबीर नगर जिला महापुरुषों की कर्मभूमि के साथ ही पुरातात्विक महत्व को खुद में संजोए हुए है. साथ ही यह जिला यहां पर निर्मित सूती कपड़े के लिए भी अपनी अलग ही पहचान रखता है. दो दशक पूर्व बुनकरों के हाथों से बने कपड़ों की धूम पूरे पूर्वांचल के साथ ही समूचे देश में लंबे समय तक रही. लेकिन प्रशासनिक उपेक्षा और बढ़ती हुई महंगाई की मार से अब बुनकरों का कारोबार लगभग बंदी की कगार पर है.

मंहगाई की मार से हथकरघा उद्योग बेहाल.


जीएसटी ने तोड़ी कारोबार की कमर
कभी पावरलूम कारोबार से आबाद रहा जिला अब बुनकरों की आह से कराह रहा है. पीढ़ियों से हुनरमंद हाथों से लिबास बुनने वाली यह जमात अब संसाधनों की कमी और सियासतदानों की बेरूखी से तबाह होती दिख रही है. बढ़ती मंहगाई और जीएसटी के संकट ने इस फलते-फूलते कारोबार को ऐसी चोट पहुंचाई है कि नई नस्लें इस कारोबार से तौबा कर रही हैं.

हथकरघों की गूंजती आवाज अब कहां?
सरकारों की उदासीनता के चलते सूती वस्त्रों का उद्योग अपनी बदहाली के आंसू बहा रहा है. इन कारखानों में काम करने वाले सैकड़ों कामगार और बुनकरों की जिंदगी बेनूर सी हो गई है. जानकार बताते हैं कि दो दशक पूर्व जनपद के 250 गांवों में हथकरघों से निकलने वाली आवाज हमेशा कानों में गूंजा करती थी. यहां के बने कपड़े देश के कोने-कोने में अपनी एक अलग ही पहचान रखता था, लेकिन बदलते दौर में यह उद्योग बाजार में खुद को टिकाए रखने के लिए संघर्ष करता दिख रहा है.

महंगाई की मार से व्यापारियों का हुआ मोह भंग
खलीलाबाद में दूर-दूर से व्यापारी कपड़े के लिए ऑर्डर देने आते थे. लेकिन अब व्यापारी भी इस तरफ अपना रुख नहीं करते दिख रहे हैं. कपड़ा व्यवसाय के क्षेत्र में यह जिला काफी दिनों तक चर्चा में रहा, लेकिन बाद में प्रोत्साहन के अभाव के चलते यहां का हथकरघा उद्योग दम तोड़ने लगा. इससे हुनरमंद हाथ मौजूदा वक्त में रोजी-रोटी के लिए संघर्ष करते नजर आ रहे हैं. वहीं पूरे मामले पर डीएम रमेश गुप्ता ने बताया कि बुनकरों के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिससे वह लाभ लेकर अपने व्यापार को आगे बढ़ा सकते हैं.

Intro:संतकबीरनगर- बदहाल बुनकर, बंद होने के कगार पर कारोबार


Body:एंकर- यूपी का संत कबीर नगर जिला जो सूती वस्त्रों के लिए प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश में सूती वस्त्रों का कारोबार करता था लेकिन प्रशासनिक उपेक्षा और बढ़ती हुई महंगाई की मार से अब बुनकरों का कारोबार लगभग बंद होने के कगार पर है प्रोत्साहन के अभाव में अब बुनकरों का कारोबार दम तोड़ रहा है


Conclusion:वीओ- यूपी का संत कबीर नगर जिला महापुरुषों की कर्मभूमि एवं पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ यहां से निर्मित सूती कपड़े के लिए भी अपनी अलग पहचान रखता है दो दशक पूर्व बुनकरों के हाथों से बने कपड़ों की धूम पूरे पूर्वांचल में लंबे समय तक मची रही लेकिन प्रशासनिक उपेक्षा और बढ़ती हुई महंगाई के चलते सूती वस्त्रों के कारोबार पर ग्रहण लग चुका है बुनकरों का करघा वा पावर लूम की आवाज अब बंद होने के कगार पर। खलीलाबाद में दूर-दूर से व्यापारी माल के लिए ऑर्डर देने आते थे जिस की सप्लाई प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में होती थी दो दशक पूर्व जनपद के 250 गांव में करगो से निकलने वाली आवाज लगभग हर समय गुस्ती रहती थी यहां से बने कपड़े देश के विभिन्न हिस्सों में जाते थे और खलीलाबाद की पहचान बनते थे। कपड़ा व्यवसाय के क्षेत्र में यह जिला काफी दिनों तक चर्चा में रहा लेकिन बाद में प्रोत्साहन के अभाव में यहां के हथकरघा उद्योग दम तोड़ने लगे इससे अन्य को हुनरमंद हाथ वर्तमान में रोटी के लिए संघर्ष करते नजर आ रहे हैं। वहीं पूरे मामले पर डीएम रमेश गुप्ता ने बताया कि बुनकरों के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं जिससे वह लाभ लेकर अपने व्यापार को आगे बढ़ा सकते हैं।

बाइट-अहमद बुनकर

बाइट-रिजवान बुनकर

p2c- अमित पाण्डेय

बाइट-रवीश गुप्ता डीएम

( स्पेशल स्टोरी)
अमित पाण्डेय संतकबीरनगर
7881166766

(approved by kashika ji desk )
Last Updated : Sep 10, 2020, 12:22 PM IST
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