संत कबीर नगरः पंचायत चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो गयी हैं. चुनाव नजदीक आते ही गांव में प्रत्याशियों की आवाजाही भी शुरू हो गयी है. पंचायत चुनाव को लेकर ईटीवी भारत की टीम संतकबीर नगर जिले के एक गांव पहुंची. जिसमें आजादी के बाद से पूरा गांव विकास के लिए तरस रहा है. सरकार गांव के विकास के लिए तो बहुत सारी योजनायें बनाती हैं, लेकिन संत कबीर नगर के इस गांव में वो योजनायें आज तक नहीं पहुंची हैं.
गांव का नहीं हुआ विकास
उत्तर प्रदेश में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर वोटरों को लुभाने का सिलसिला शुरू हो गया है. जिला पंचायत ग्राम प्रधान और क्षेत्र पंचायत पद के प्रत्याशी गांव में पहुंचकर वोटरों को अपनी ओर रिझाने में जुट गये हैं. बात संत कबीर नहर के सेमरियावां ब्लॉक की करें, तो ग्राम पंचायत इनायतपुर का बांसगांव आज भी विकास से कोसों दूर है. देश आजाद होने के बाद भी इस गांव में व विकास का पहिया कभी नहीं चला. मूलभूत सुविधाओं के लिए भी यहां के ग्रामीण तरस रहे हैं.
करीब 12 सौ की आबादी वाले इस गांव में अभी तक न ही कोई सरकारी विद्यालय बना है और न ही स्वास्थ्य की कोई सुविधा है. सरकार की ओर से चलायी जा रही योजनाओं का लाभ भी इन तक कभी नहीं पहुंचा है. जिला पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान इस गांव के विकास के लिए किसी भी तरह का कोई पहल भी नहीं करते हैं. ग्रामीणों के मुताबिक चुनाव में जीत मिलने के बाद जिला पंचायत सदस्य कभी गांव में दोबारा पांच तक नहीं रखने आये.
ग्रामीणों को सालता है यहां का विकास न होना
ईटीवी भारत की टीम जब ग्राम पंचायत इनायतपुर के बांसगांव की ग्राउंड रिपोर्ट जानने पहुंची, तो मौके पर मौजूद ग्रामीणों का दर्द छलक उठा. ग्रामीण राधेश्याम पांडेय के मुताबिक, आवास के लिए पिछले पांच सालों से प्रधान के घर के दरवाजे का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उनको प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ अभी-तक नहीं मिला है. वो छह लोगों के साथ एक छप्पर के मकान में रहने के लिए मजबूर हैं. इसी गांव के रहने वाले वीरेंद्र ने कहा कि देश आजाद हुए कई सालों हो गये, लेकिन गांव में एक भी सरकारी स्कूल नहीं है. जिसके चलते उनके बच्चे 5 से 10 किलोमीटर की दूरी तय कर पढ़ाई के लिए जाते हैं.
ग्रामीण कपिल देव ने बताया कि गांव में एक भी लिंक रोड नहीं है. रास्ते की समस्या इतनी गंभीर है कि बारिश के मौसम में अगर कोई बीमार पड़ जाता है, तो उसे चारपाई पर लादकर अस्पताल ले जाया जाता है. इस बात की तस्दीक यहां की ओवर फ्लो नालियां और टूटे हुए शौचालय बखूबी कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव के वक्त प्रत्याशी आते हैं, झूठे वादे करते हैं, और जीतने के बाद विकास का कोई भी काम नहीं करते. स्थानीय कमलावती ने कहा कि गांव में एक शौचालय बनवाया गया था, जो निर्माण के तीसरे दिन ही गिर पड़ा. शिकायत के बाद भी ग्राम प्रधान ने इसे दोबारा सही नहीं करवाया. कुल मिलाकर अगर जनप्रतिनिधि लूट के इरादे से आते हैं, तो विकास की बात करना बेइमानी होगी.