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संतकबीर नगरः बारिश में डूबा पशु आश्रय स्थल, खेतों में फिर बढ़ा आवारा पशुओं का आतंक

संतकबीर नगर में किसान अपनी फसल की रखवाली के लिए बारिश के मौसम में भी पहरेदारी करने को मजबूर हैं और जिम्मेदार बेहतर पशु आश्रय स्थल बनाने का ढिंढोरा पीट अपनी पीठ थपथपाने में लगे हुए हैं.

बाढ़ में डूबा पशु आश्रय स्थल.
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Published : Jul 26, 2019, 6:01 PM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:22 PM IST

संतकबीर नगर: जिले के सेमरियावां विकासखंड के उचेहरा कला ग्राम पंचायत में आवारा पशुओं के रखरखाव को लिए पशु आश्रय बनाया गया है, लेकिन बारिश में यह बाढ़ की चपेट में आ गया है, जिसकी वजह से आवारा पशुओं का आतंक एक बार फिर से खेतों में शुरू हो गया है.

बाढ़ में डूबा पशु आश्रय स्थल.

जगह का किया गया गलत चुनाव-

  • ब्लॉक प्रशासन द्वारा ग्राम पंचायत के सहयोग से नदी के छोर पर ही लाखों की लागत से पशु आश्रय स्थल बनाया गया.
  • बारिश के मौसम में यह आश्रय स्थल बाढ़ के पानी की चपेट में आ चुका है.
  • आलम यह है कि क्षेत्र में आवारा पशुओं का आतंक एक बार फिर से शुरू हो गया है.
  • किसान अपनी फसल की रखवाली के लिए बारिश में भी पहरेदारी करने को मजबूर हैं.
  • फिलहाल इस मामले में कोई भी जिम्मेदार अधिकारी अपनी जवाबदेही स्पष्ट करने को तैयार नहीं है.

संतकबीर नगर: जिले के सेमरियावां विकासखंड के उचेहरा कला ग्राम पंचायत में आवारा पशुओं के रखरखाव को लिए पशु आश्रय बनाया गया है, लेकिन बारिश में यह बाढ़ की चपेट में आ गया है, जिसकी वजह से आवारा पशुओं का आतंक एक बार फिर से खेतों में शुरू हो गया है.

बाढ़ में डूबा पशु आश्रय स्थल.

जगह का किया गया गलत चुनाव-

  • ब्लॉक प्रशासन द्वारा ग्राम पंचायत के सहयोग से नदी के छोर पर ही लाखों की लागत से पशु आश्रय स्थल बनाया गया.
  • बारिश के मौसम में यह आश्रय स्थल बाढ़ के पानी की चपेट में आ चुका है.
  • आलम यह है कि क्षेत्र में आवारा पशुओं का आतंक एक बार फिर से शुरू हो गया है.
  • किसान अपनी फसल की रखवाली के लिए बारिश में भी पहरेदारी करने को मजबूर हैं.
  • फिलहाल इस मामले में कोई भी जिम्मेदार अधिकारी अपनी जवाबदेही स्पष्ट करने को तैयार नहीं है.
Intro:प्रदेश सरकार द्वारा छुट्टा पशुओं के उचित रखरखाव के उद्देश्य से पूरे प्रदेश में न्याय पंचायत स्तर पर पशु आश्रय स्थल का निर्माण कराया गया।लेकिन अधिकारियों द्वारा सही जगह का चुनाव न होने की वजह से ये आश्रय केंद्र बाढ़ की चपेट में आ चुके है।जिसकी वजह से सैकड़ों छुट्टा पशु प्रभावित है।


Body:दरअसल यह पूरा मामला संत कबीर नगर जिले के सेमरियावां विकासखंड के उचेहरा कला ग्राम पंचायत का है।जहां ब्लॉक प्रशासन द्वारा ग्राम पंचायत के सहयोग से संत कबीर नगर बस्ती बॉर्डर पर बहने वाली कठिनाइयां नदी के छोर पर ही लाखों की लागत से गौ आश्रय स्थल का निर्माण कराया गया।लेकिन कुछ दिनों की बरसात में ही यह गौ आश्रय स्थल बाढ़ की चपेट में आ चुका है।आलम यह है क्षेत्र में आवारा पशुओं का आतंक एक बार फिर से शुरू हो गया है।किसान आज अपनी फसल की रखवाली के लिए बरसात के मौसम में भी पहरेदारी करने को मजबूर हैं और जिम्मेदार बेहतर गौ आश्रय स्थल बनाने का ढिंढोरा पीट अपनी पीठ थपथपाने में लगे हुए हैं।


बाईट
नवास अली
ग्रामीण


Conclusion:सरकार की इतनी महत्वकांची योजना को सरकार के ही जिम्मेदार अधिकारी पलीता लगा रहे हैं।नदी के छोर पर ही गलत जगह का चुनाव करने की वजह से लाखों की लागत से बना को आश्रय स्थल बाढ़ के पानी की चपेट में आ चुका है।फिलहाल इस मामले में कोई भी जिम्मेदार अधिकारी अपनी जवाबदेही स्पष्ट करने को तैयार नहीं है। जबकि इस गौ आश्रय केंद्र का निरीक्षण करने के लिए ब्लॉक से लेकर जनपद तक के अधिकारी आ चुके हैं।लेकिन अब सवाल यह उठता है कि सरकारी पैसों की बर्बादी का जिम्मेदार कौन है?क्योंकि इस आश्रय स्थल में ना तो पशु रह रहे हैं और ना ही अब यह किसी काम का रह गया है।
Last Updated : Sep 10, 2020, 12:22 PM IST
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