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हरियाली तीज पर महिलाएं नहीं करती श्रृंगार, घरों में नहीं बनते पकवान, मनाया जाता है शोक, जानिए कारण

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Published : Aug 19, 2023, 7:13 PM IST

हरियाली तीज पर हर शहर और कॉलोनी में उल्लास रहता है, लेकिन संभल (Sambhal Hariyali Teej tradition) के एक मोहल्ले में सन्नाटा पसरा रहता है. यहां न घरों में पकवान बनते हैं और न ही महिलाएं श्रृंगार करती हैं. इसके पीछे की वजह रोचक है.

त्योहार पर मोहल्ले में रहता है सन्नाटा.
त्योहार पर मोहल्ले में रहता है सन्नाटा.
संभल में हरियाली तीज पर शोक मनाया जाता है.

संभल : हल्लू सराय की प्रीति की शादी को छह साल हो चुके हैं. ससुराल में वह हरियाली तीज नहीं मनाती हैं, जबकि मायके में इसे उत्साह के साथ मनाती हैं. प्रीति के अलावा मोहल्ले की अन्य महिलाएं भी इस त्योहार को नहीं मनाती हैं. वे शोक मनाती हैं. महिलाएं इस दिन न हाथों में मेहंदी रचाती हैं और न ही कोई श्रृंगार करती हैं. घरों में कोई पकवान भी नहीं बनाए जाते हैं. इसके पीछे की वजह सदियों से चली आ रही अनोखी परंपरा है.

सदियों से चली आ रही परंपरा : संभल के हल्लू सराय मोहल्ले का रहने वाले कन्नौजिया ठाकुर जाति के लोग रहते हैं. मोहल्ले में अन्य जातियों की महिलाएं हरियाली तीज हर्ष के साथ मनाती हैं, जबकि कन्नौजिया ठाकुर बिरादरी की महिलाएं इस दिन शोक मनाती हैं. करीब 800 से भी ज्यादा साल से इस परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है. सभी महिलाएं इसका पालन करती चली आ रहीं हैं.

राजा लाखन सिंह की हुई थी हत्या : मोहल्ले के ओमप्रकाश सिंह ठाकुर ने बताया कि जब दिल्ली में पृथ्वीराज चौहान का शासन था तो उन्होंने अपनी बेटी राजकुमारी बेला की शादी महोबा के राजा परमाल के बेटे ब्रह्मजीत के साथ कर दी थी. बेला का गौना कराने ब्रह्मजीत और कन्नौज के राजा लाखन सिंह के सेनापति संभल आए. बेला का गौना भी हो गया, लेकिन महोबा जाने से पहले ही पृथ्वीराज चौहान और राजा परमाल में जंग शुरू हो गई. पृथ्वीराज चौहान के सिपाहियों ने राजकुमार ब्रह्मजीत की हत्या कर दी. इसके बाद बेला ने सती होने का फैसला किया. बेला के सती होने के लिए संभल के चन्दन बाग से लाखन सिंह चन्दन की लकड़ी लेने गए. इसकी भनक जैसे ही पृथ्वीराज चौहान को लगी तो लाखन सिंह से लड़ाई शुरू हो गई. हरियाली तीज के दिन ही राजा लाखन सिंह की हत्या कर दी गई.

त्योहार पर मोहल्ले में रहता है सन्नाटा.
त्योहार पर मोहल्ले में रहता है सन्नाटा.

परंपरा के पीछे की दूसरी कहानी : परंपरा के पीछे की दूसरी कहानी बताई जाती है कि पृथ्वी राज चौहान ने मनोकामना तीर्थ स्थित कुंड में स्नान करने पर टैक्स लगाया था. कन्नौज के राजा लाखन सिंह को मां काली ने सपने में आकर कर से मुक्त कराने की बात कही थी. इसके बाद पृथ्वी राज चौहान और लाखन की सेना में हुए युद्ध में लाखन मारे गए. इसके बाद लाखन के साथ आए सैनिक संभल में बस गए. इन्हीं सैनिकों की पीढ़िया हल्लू सराय में निवास करती हैं.

कन्नौजिया ठाकुर परिवार नहीं मनाता त्योहार : युद्ध में बचे सैनिक कन्नौज वापस नहीं गए. वे संभल के एक सुनसान व वीरान स्थान पर बस गए. यह मोहल्ला हल्लू सराय के नाम से जाना जाता है. इसके बाद यहां के कन्नौजिया ठाकुर परिवार के लोग हरियाली तीज नहीं मनाते हैं. मोहल्ले की प्रीति ने बताया कि महिलाएं इसी परंपरा को निर्वहन कर रहीं हैं. वे हरियाली तीज के दिन कोई श्रृंगार नहीं करती. घरों में पकवान भी नहीं तैयार किए जाते हैं. बच्चे या महिलाएं झूला भी नहीं झूलती हैं. हरियाली तीज के दिन हल्लू सराय के लोगों की जिन्दगी ठहर जाती है. प्रीति बताती हैं कि काशीपुर में उनके मायके में वह इस त्योहार को मनाती हैं, जबकि ससुराल में इससे दूरी बनाए रखती हैं.

यह भी पढ़ें : स्वर्ण-रजत जड़ित हिंडोले में विराजमान होकर बांके बिहारी ने दिए दर्शन, लाखों श्रद्धालु वृंदावन पहुंचे

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संभल में हरियाली तीज पर शोक मनाया जाता है.

संभल : हल्लू सराय की प्रीति की शादी को छह साल हो चुके हैं. ससुराल में वह हरियाली तीज नहीं मनाती हैं, जबकि मायके में इसे उत्साह के साथ मनाती हैं. प्रीति के अलावा मोहल्ले की अन्य महिलाएं भी इस त्योहार को नहीं मनाती हैं. वे शोक मनाती हैं. महिलाएं इस दिन न हाथों में मेहंदी रचाती हैं और न ही कोई श्रृंगार करती हैं. घरों में कोई पकवान भी नहीं बनाए जाते हैं. इसके पीछे की वजह सदियों से चली आ रही अनोखी परंपरा है.

सदियों से चली आ रही परंपरा : संभल के हल्लू सराय मोहल्ले का रहने वाले कन्नौजिया ठाकुर जाति के लोग रहते हैं. मोहल्ले में अन्य जातियों की महिलाएं हरियाली तीज हर्ष के साथ मनाती हैं, जबकि कन्नौजिया ठाकुर बिरादरी की महिलाएं इस दिन शोक मनाती हैं. करीब 800 से भी ज्यादा साल से इस परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है. सभी महिलाएं इसका पालन करती चली आ रहीं हैं.

राजा लाखन सिंह की हुई थी हत्या : मोहल्ले के ओमप्रकाश सिंह ठाकुर ने बताया कि जब दिल्ली में पृथ्वीराज चौहान का शासन था तो उन्होंने अपनी बेटी राजकुमारी बेला की शादी महोबा के राजा परमाल के बेटे ब्रह्मजीत के साथ कर दी थी. बेला का गौना कराने ब्रह्मजीत और कन्नौज के राजा लाखन सिंह के सेनापति संभल आए. बेला का गौना भी हो गया, लेकिन महोबा जाने से पहले ही पृथ्वीराज चौहान और राजा परमाल में जंग शुरू हो गई. पृथ्वीराज चौहान के सिपाहियों ने राजकुमार ब्रह्मजीत की हत्या कर दी. इसके बाद बेला ने सती होने का फैसला किया. बेला के सती होने के लिए संभल के चन्दन बाग से लाखन सिंह चन्दन की लकड़ी लेने गए. इसकी भनक जैसे ही पृथ्वीराज चौहान को लगी तो लाखन सिंह से लड़ाई शुरू हो गई. हरियाली तीज के दिन ही राजा लाखन सिंह की हत्या कर दी गई.

त्योहार पर मोहल्ले में रहता है सन्नाटा.
त्योहार पर मोहल्ले में रहता है सन्नाटा.

परंपरा के पीछे की दूसरी कहानी : परंपरा के पीछे की दूसरी कहानी बताई जाती है कि पृथ्वी राज चौहान ने मनोकामना तीर्थ स्थित कुंड में स्नान करने पर टैक्स लगाया था. कन्नौज के राजा लाखन सिंह को मां काली ने सपने में आकर कर से मुक्त कराने की बात कही थी. इसके बाद पृथ्वी राज चौहान और लाखन की सेना में हुए युद्ध में लाखन मारे गए. इसके बाद लाखन के साथ आए सैनिक संभल में बस गए. इन्हीं सैनिकों की पीढ़िया हल्लू सराय में निवास करती हैं.

कन्नौजिया ठाकुर परिवार नहीं मनाता त्योहार : युद्ध में बचे सैनिक कन्नौज वापस नहीं गए. वे संभल के एक सुनसान व वीरान स्थान पर बस गए. यह मोहल्ला हल्लू सराय के नाम से जाना जाता है. इसके बाद यहां के कन्नौजिया ठाकुर परिवार के लोग हरियाली तीज नहीं मनाते हैं. मोहल्ले की प्रीति ने बताया कि महिलाएं इसी परंपरा को निर्वहन कर रहीं हैं. वे हरियाली तीज के दिन कोई श्रृंगार नहीं करती. घरों में पकवान भी नहीं तैयार किए जाते हैं. बच्चे या महिलाएं झूला भी नहीं झूलती हैं. हरियाली तीज के दिन हल्लू सराय के लोगों की जिन्दगी ठहर जाती है. प्रीति बताती हैं कि काशीपुर में उनके मायके में वह इस त्योहार को मनाती हैं, जबकि ससुराल में इससे दूरी बनाए रखती हैं.

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