संभल: जनपद के चंदौसी में ज्यादातर मोहल्लों के नाम गेट के ऊपर रखे गए हैं जैसे सीकरी गेट, कैथल गेट, इन गेट के ऊपर रखे गए नाम के पीछे क्या कारण है. इसे जानने की कोशिश ईटीवी भारत ने. संभल की चंदौसी तहसील का बहुत पुराना ऐतिहासिक अस्तित्व है. अंग्रेजों के समय से यह जगह व्यापार के लिए उपयुक्त थी.
चंदौसी में देसी घी की बहुत बड़ी मंडी लगा करती थी. यहां के देसी घी की मांग अमेरिका तक थी. यहां कपास की भी खेती हुआ करती थी. यहां बहुत से व्यापार होते थे. जनपद संभल के चंदौसी में खास बात यह है कि यहां हर दूसरे मोहल्ले का नाम गेट के ऊपर है. इस तरह पूरे चंदौसी में 9 मोहल्लों के नाम गेट के ऊपर ही है.
गेट के ऊपर नाम रखने का है पुराना इतिहास
वर्ष 1757 में रोहिल्ला शासक अली मोहम्मद खां के कोषाध्यक्ष दौलत शाह ने चंदौसी की चारदीवारी करवाई और इसके अंदर 9 बनवाए थे. दौलत शाह को चंदौसी की स्थिति काफी पसंद आई थी. उन्होंने नगर के आर्थिक महत्व को अच्छी तरह से समझा था. जिसके चलते नगरी का आरंभिक विकास हुआ. उसने नगर को चारों ओर से घेरते हुए परकोटा बनवाया. जिसमें 8 दरवाजे और नवी घटिया थी. उनके नाम सीकरी गेट, कैथल गेट, खुर्जा गेट ,जराई गेट, खेड़ा दरवाजा, घटलेश्वर गेट, संभल गेट, मुरादाबाद गेट रखे गए. रोहल्लो के शासन काल में इन दरवाजों पर सुदृढ़ फाटक भी लगे थे जो रात में बंद कर दिए जाते थे.
दरवाजों के दोनों ओर चौकसी के उद्देश्य ऊंची-ऊंची प्रहरी छतरिया भी बनी थी. धीरे-धीरे यह गेट अपना अस्तित्व खोते गए. अब केवल गौशाला मार्ग पर एक बाग में एक छतरी का अवशेष बाकी है. इन सभी गेटों के नाम नगर पालिका परिषद चंदौसी के रिकॉर्ड में भी दर्ज है. वरिष्ठ इतिहासकार और चंदौसी के निवासी तुमुल विजय बताते हैं कि चंदौसी का अस्तित्व बहुत पुराना है. व्यापारिक और आर्थिक दृष्टि से चंदौसी हमेशा ही मुगलों और अंग्रेजों के शासन काल से ही पहली पसंद रही है.
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