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संभल में कल्कि मंदिर निर्माण का रास्ता साफ, HC ने डीएम के आदेश को बताया गैर संवैधानिक - Acharya Pramod Krishnam

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संभल में कल्कि मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ करते हुए मंदिर निर्माण रोकने के जिला अधिकारी के आदेश को बताया गैर संवैधानिक बताया है.

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Published : Aug 16, 2023, 10:52 PM IST

प्रयागराज: संभल के अचोरा कांबो गांव में कल्कि धाम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आचार्य प्रमोद कृष्णम द्वारा अपनी निजी भूमि पर मंदिर के निर्माण को रोकने संबंधी जिलाधिकारी संभल के आदेश को गैर संवैधानिक करार दिया है. इसके साथ प्रमोद कृष्णम को मंदिर का नक्शा जिला पंचायत संभल में जमा करने तथा जिला पंचायत की अनुमति लेने का निर्देश दिया है. आचार्य प्रमोद कृष्णम की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय और न्यायमूर्ति सुरेंद्र सिंह प्रथम की खंडपीठ ने दिया है.

आचार्य प्रमोद कृष्णम ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर जिला अधिकारी संभल के 30 अक्टूबर 2017 के आदेश को चुनौती दी थी. जिलाधिकारी ने मंदिर बनाने की अनुमति यह कहते हुए देने से इनकार कर दिया था कि संभल सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील इलाका है और मुस्लिम पक्ष वहां पर मंदिर के निर्माण का विरोध कर रहा है. मंदिर का निर्माण किए जाने से कानून व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है. साथ ही यह भी कहा गया कि मंदिर की जमीन के पास ही सरकारी जमीन है, जिस पर याची सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर सकता है. जिलाधिकारी के आदेश में यह भी कहा गया कि मंदिर का नक्शा जिला पंचायत द्वारा स्वीकृत नहीं है. याची का कहना था कि वह जिला पंचायत में मंदिर का नक्शा जमा करने के लिए तैयार है. मगर उनको आशंका है कि जिलाअधिकारी का आदेश जिला पंचायत को नक्शा पास करने में बाधा साबित होगा.

इस पर कोर्ट का कहना था कि इस बात में विवाद नहीं है कि प्रस्तावित मंदिर का निर्माण याची द्वारा अपनी निजी भूमि पर किया जा रहा है. निजी जमीन पर मंदिर निर्माण करने का उसे संविधान के तहत अधिकार प्राप्त है. कोर्ट ने जिलाधिकारी द्वारा जताई गई इस आशंका को भी निर्मूल बताया कि मंदिर निर्माण से कानून व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है तथा मुस्लिम पक्ष इसका विरोध कर रहा है. कोर्ट का कहना था कि मुस्लिम पक्ष के विरोध के संबंध में कोई तथ्य प्रस्तुत नहीं किए गए हैं तथा कानून व्यवस्था कायम रखना प्रशासन का की जिम्मेदारी है. कोर्ट ने याची से मंदिर का नक्शा जिला पंचायत में प्रस्तुत करने के लिए कहा है और जिला पंचायत से कहा है कि वह जिला अधिकारी द्वारा पारित आदेश से प्रभावित हुए बिना अपने कानून के हिसाब से याची के प्रस्तावित नक्शे पर निर्णय ले.

प्रयागराज: संभल के अचोरा कांबो गांव में कल्कि धाम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आचार्य प्रमोद कृष्णम द्वारा अपनी निजी भूमि पर मंदिर के निर्माण को रोकने संबंधी जिलाधिकारी संभल के आदेश को गैर संवैधानिक करार दिया है. इसके साथ प्रमोद कृष्णम को मंदिर का नक्शा जिला पंचायत संभल में जमा करने तथा जिला पंचायत की अनुमति लेने का निर्देश दिया है. आचार्य प्रमोद कृष्णम की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय और न्यायमूर्ति सुरेंद्र सिंह प्रथम की खंडपीठ ने दिया है.

आचार्य प्रमोद कृष्णम ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर जिला अधिकारी संभल के 30 अक्टूबर 2017 के आदेश को चुनौती दी थी. जिलाधिकारी ने मंदिर बनाने की अनुमति यह कहते हुए देने से इनकार कर दिया था कि संभल सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील इलाका है और मुस्लिम पक्ष वहां पर मंदिर के निर्माण का विरोध कर रहा है. मंदिर का निर्माण किए जाने से कानून व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है. साथ ही यह भी कहा गया कि मंदिर की जमीन के पास ही सरकारी जमीन है, जिस पर याची सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर सकता है. जिलाधिकारी के आदेश में यह भी कहा गया कि मंदिर का नक्शा जिला पंचायत द्वारा स्वीकृत नहीं है. याची का कहना था कि वह जिला पंचायत में मंदिर का नक्शा जमा करने के लिए तैयार है. मगर उनको आशंका है कि जिलाअधिकारी का आदेश जिला पंचायत को नक्शा पास करने में बाधा साबित होगा.

इस पर कोर्ट का कहना था कि इस बात में विवाद नहीं है कि प्रस्तावित मंदिर का निर्माण याची द्वारा अपनी निजी भूमि पर किया जा रहा है. निजी जमीन पर मंदिर निर्माण करने का उसे संविधान के तहत अधिकार प्राप्त है. कोर्ट ने जिलाधिकारी द्वारा जताई गई इस आशंका को भी निर्मूल बताया कि मंदिर निर्माण से कानून व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है तथा मुस्लिम पक्ष इसका विरोध कर रहा है. कोर्ट का कहना था कि मुस्लिम पक्ष के विरोध के संबंध में कोई तथ्य प्रस्तुत नहीं किए गए हैं तथा कानून व्यवस्था कायम रखना प्रशासन का की जिम्मेदारी है. कोर्ट ने याची से मंदिर का नक्शा जिला पंचायत में प्रस्तुत करने के लिए कहा है और जिला पंचायत से कहा है कि वह जिला अधिकारी द्वारा पारित आदेश से प्रभावित हुए बिना अपने कानून के हिसाब से याची के प्रस्तावित नक्शे पर निर्णय ले.

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