सहारनपुर : अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) ने सनातन धर्म की पढ़ाई को लेकर एक प्रस्ताव पास किया है. इस्लामिक स्टडी में सनातनी पढ़ाई को लेकर विश्वविद्यालय में प्रमुखता से पढ़ाने की अंतिम मुहर लग गई है. सनातन धर्म की शिक्षा को लेकर मुस्लिम धर्म गुरु लगातार सवाल उठा रहे हैं. वहीं, अब जमीयत दावतुल मुस्लिमीन के संरक्षक कारी इसहाक गोरा भी एएमयू के इस फैसले पर ऐतराज जताया है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में सभी धर्मों की पढ़ाई लागू करना सही है. लेकिन जबरन किसी धर्म विशेष के छात्र पर ये पढ़ाई थोपना गलत है. इसलिए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय प्रबंधन को चाहिए कि दूसरे धर्म के विषय की पढ़ाई छात्र की मनमर्जी के मुताबिक ही पढ़ाएं.
जमीयत दावतुल मुस्लिमीन के संरक्षक कारी इसहाक गोरा का कहना है कि वो पहले से कहते आये हैं कि हर इंसान को एक दूसरे के धर्म का ज्ञान होना चाहिए. एक दूसरे के धर्मों की विशेषता पता होनी चाहिए. किसी भी धर्म की शिक्षा के लिए दूसरे धर्म के छात्र-छात्राओं को बाध्य नहीं किया जाना चाहिए. कोई भी छात्र अपनी मर्जी से किसी भी धर्म से जुड़ी शिक्षा प्राप्त कर सकता है. लेकिन जबरन किसी भी छात्र पर थोपना सही नहीं है.
बता दें कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में वैसे तो हिंदू धर्म से जुड़ी शिक्षा से संबंधित विषय पहले से ही पढ़ाए जा रहे हैं. इसके लिए विश्वविद्यालय में अलग से डिपार्टमेंट भी चल रहा है. लेकिन अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय प्रबंधन ने हाल ही में सनातनी शिक्षा को अनिवार्य कर दिया है. जिसके चलते मुस्लिम छात्रों से लेकर मुस्लिम धर्म गुरुओं द्वारा विरोध जताया जा रहा है.
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