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सहारनपुर: बिना अनुमति दाढ़ी रखने वाले दारोगा के निलंबन पर भड़के उलेमा, कही ये बात - baghpat sub inspector suspension case

उत्तर प्रदेश के जिला बागपत में दाढ़ी रखने वाले मुस्लिम दारोगा को निलंबित करने के मामले में सहारनपुर के मुस्लिम धर्मगुरुओं ने नाराजगी जताई है. धर्मगुरुओं का कहना है कि दाढ़ी रखना मुसलमानों का धार्मिक अधिकार है. उलेमाओं ने कहा दारोगा को निलंबित करने वाले के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.

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मुस्लिम दारोगा का निलंबन.
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Published : Oct 23, 2020, 12:12 PM IST

मेरठ: उत्तर प्रदेश के जिला बागपत में दाढ़ी रखने वाले मुस्लिम दारोगा को निलंबित करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. विपक्षी दल प्रदेश सरकार पर सवाल खड़े कर रहे हैं. वहीं मुस्लिम धर्मगुरुओं ने भी निलंबन की कार्रवाई को इस्लाम के खिलाफ करार दिया है. धर्मगुरुओं का कहना है कि दाढ़ी रखना मुसलमानों का धार्मिक अधिकार है. महज दाढ़ी रखने पर अधीनस्थ अधिकारी को निलंबित करना उसके अधिकारों का हनन है. सरकार को चाहिए कि जिस अधिकारी ने दारोगा इंशार अली को निलंबित किया है, उनके खिलाफ भी निलंबन की कार्रवाई करे.

दारोगा के निलंबन पर बोले उलेमा.
क्या है पूरा मामला
आपको बता दें कि बागपत जिले में तैनात दारोगा इंशार अली ने मजहब-ए-इस्लाम के हिसाब से दाढ़ी रखी हुई है. पुलिस विभाग के नियमानुसार मजहबी दाढ़ी रखना अनुशासनहीनता में माना जाता है, जिसके चलते एसपी बागपत कई बार इंशार अली को दाढ़ी कटवाने के निर्देश दे चुके थे. बावजूद इसके इंशार अली ने दाढ़ी नहीं कटवाई. पुलिस अधिकारी के निर्देश का अनुपालन न किये जाने पर एसपी अभिषेक सिंह ने दारोगा पर निलंबन की कार्रवाई की है.

अनुमती से रख सकते हैं मजहबी दाढ़ी
जानकारी के मुताबिक मजहब के हिसाब से दाढ़ी रखना पुलिस महकमे में प्रतिबंधित है. पुलिस महकमे के नियमानुसार मजहबी दाढ़ी रखने के लिए उच्च अधिकारियों से अनुमति लेनी पड़ती है. इसके लिए दारोगा इंशार अली ने डीआईजी मेरठ कार्यालय में पत्र भेजकर दाढ़ी रखने की अनुमति मांगी हुई है, लेकिन अभी तक उनकी अर्जी पर कोई सुनवाई नहीं हुई है. अनुमति लिए बिना इंशार अली ने दाढ़ी रखी थी, जिस पर कार्रवाई की गई है.

उलेमाओं ने जताई नाराजगी
मुस्लिम दारोगा को मजहबी दाढ़ी रखने पर निलंबन की कार्रवाई पर मुस्लिम धर्मगुरुओं ने कड़ा ऐतराज जताया है. उलेमा मौलाना लुत्फुर रहमान सादीक कासमी का कहना है कि जिस तरह सिख समाज के लोग पगड़ी और मूंछ दाढ़ी रखने की आजादी है. ठीक उसी तरह मजहब-ए-इस्लाम में भी उनके धर्म के मुताबिक दाढ़ी रखने का मौलिक अधिकार है. युपी पुलिस में दारोगा इंशार अली ने अपने मजहब के हिसाब से दाढ़ी रखी हुई है. पुलिस अधिकारियों ने उन्हें निलंबित कर दिया, जिसकी वे न सिर्फ निंदा करते हैं, बल्कि मुख्यमंत्री से मांग करते हैं कि निलंबन करने वाले अधिकारी को निलंबित करने की कार्रवाई करें. उन्होंने कहा कि कुछ लोग हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे को खत्म करना चाहते हैं. आपस में टकराव कर अपना काम निकाल रहे हैं. ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए.

धर्म का पालन
धर्मगुरु ने कहा कि जिस अधिकारी ने मुस्लिम दारोगा को दाढ़ी रखने पर निलंबित किया है. उन्हें अपने पद पर रहने का कोई हक नहीं है. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार सरदार दाढ़ी-पगड़ी रखकर अपने धर्म का पालन करते हैं, ठीक उसी प्रकार इस्लाम में भी दाढ़ी रखना जरूरी है. हम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग करते हैं कि ऐसी गंदी जहनियत रखने वाले अधिकारी को तुरंत निलंबित किया जाए, जो हिंदू-मुस्लिम के बीच में दूरियां बढ़ा रहे हैं और नफरत फैला रहे हैं.

मेरठ: उत्तर प्रदेश के जिला बागपत में दाढ़ी रखने वाले मुस्लिम दारोगा को निलंबित करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. विपक्षी दल प्रदेश सरकार पर सवाल खड़े कर रहे हैं. वहीं मुस्लिम धर्मगुरुओं ने भी निलंबन की कार्रवाई को इस्लाम के खिलाफ करार दिया है. धर्मगुरुओं का कहना है कि दाढ़ी रखना मुसलमानों का धार्मिक अधिकार है. महज दाढ़ी रखने पर अधीनस्थ अधिकारी को निलंबित करना उसके अधिकारों का हनन है. सरकार को चाहिए कि जिस अधिकारी ने दारोगा इंशार अली को निलंबित किया है, उनके खिलाफ भी निलंबन की कार्रवाई करे.

दारोगा के निलंबन पर बोले उलेमा.
क्या है पूरा मामला
आपको बता दें कि बागपत जिले में तैनात दारोगा इंशार अली ने मजहब-ए-इस्लाम के हिसाब से दाढ़ी रखी हुई है. पुलिस विभाग के नियमानुसार मजहबी दाढ़ी रखना अनुशासनहीनता में माना जाता है, जिसके चलते एसपी बागपत कई बार इंशार अली को दाढ़ी कटवाने के निर्देश दे चुके थे. बावजूद इसके इंशार अली ने दाढ़ी नहीं कटवाई. पुलिस अधिकारी के निर्देश का अनुपालन न किये जाने पर एसपी अभिषेक सिंह ने दारोगा पर निलंबन की कार्रवाई की है.

अनुमती से रख सकते हैं मजहबी दाढ़ी
जानकारी के मुताबिक मजहब के हिसाब से दाढ़ी रखना पुलिस महकमे में प्रतिबंधित है. पुलिस महकमे के नियमानुसार मजहबी दाढ़ी रखने के लिए उच्च अधिकारियों से अनुमति लेनी पड़ती है. इसके लिए दारोगा इंशार अली ने डीआईजी मेरठ कार्यालय में पत्र भेजकर दाढ़ी रखने की अनुमति मांगी हुई है, लेकिन अभी तक उनकी अर्जी पर कोई सुनवाई नहीं हुई है. अनुमति लिए बिना इंशार अली ने दाढ़ी रखी थी, जिस पर कार्रवाई की गई है.

उलेमाओं ने जताई नाराजगी
मुस्लिम दारोगा को मजहबी दाढ़ी रखने पर निलंबन की कार्रवाई पर मुस्लिम धर्मगुरुओं ने कड़ा ऐतराज जताया है. उलेमा मौलाना लुत्फुर रहमान सादीक कासमी का कहना है कि जिस तरह सिख समाज के लोग पगड़ी और मूंछ दाढ़ी रखने की आजादी है. ठीक उसी तरह मजहब-ए-इस्लाम में भी उनके धर्म के मुताबिक दाढ़ी रखने का मौलिक अधिकार है. युपी पुलिस में दारोगा इंशार अली ने अपने मजहब के हिसाब से दाढ़ी रखी हुई है. पुलिस अधिकारियों ने उन्हें निलंबित कर दिया, जिसकी वे न सिर्फ निंदा करते हैं, बल्कि मुख्यमंत्री से मांग करते हैं कि निलंबन करने वाले अधिकारी को निलंबित करने की कार्रवाई करें. उन्होंने कहा कि कुछ लोग हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे को खत्म करना चाहते हैं. आपस में टकराव कर अपना काम निकाल रहे हैं. ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए.

धर्म का पालन
धर्मगुरु ने कहा कि जिस अधिकारी ने मुस्लिम दारोगा को दाढ़ी रखने पर निलंबित किया है. उन्हें अपने पद पर रहने का कोई हक नहीं है. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार सरदार दाढ़ी-पगड़ी रखकर अपने धर्म का पालन करते हैं, ठीक उसी प्रकार इस्लाम में भी दाढ़ी रखना जरूरी है. हम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग करते हैं कि ऐसी गंदी जहनियत रखने वाले अधिकारी को तुरंत निलंबित किया जाए, जो हिंदू-मुस्लिम के बीच में दूरियां बढ़ा रहे हैं और नफरत फैला रहे हैं.
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