सहारनपुर: एक ओर जहां कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया के नाक में दम कर रखा है, करोड़ों लोग इसकी चपेट में आ गए हैं. भारत में भी कोरोना पॉजिटिव का आंकड़ा 6 लाख से ऊपर पहुंच चुका है, वहीं क्षय रोग विभाग का दावा है कि कोरोना काल मे टीबी के मरीजों में कमी आई है. इसे लेकर ईटीवी भारत ने जिले में टीबी विभाग के इंचार्ज डॉ. राजेश जैन से बात की. इसको लेकर उनका कहना था कि 2020 के पहले 6 महीनों में कुल 6,284 टीबी के मरीजों का पंजीकरण हुआ है, जबकि 2019 में 6,710 मरीजों का इलाज किया गया. ये आंकड़े क्षय रोग विभाग के दावे की पोल खोल रहे हैं.
क्षय रोग विभाग का दावा हुआ फेल
जिले में टीबी विभाग के इंचार्ज डॉ. राजेश जैन के मुताबिक पिछले तीन महीने से टीबी के बहुत कम मरीज आए हैं. दरअसल कोरोना के कारण टीबी विभाग के डॉक्टर एवं स्टॉफ को भी कोरोना मरीजों की देखरेख एवं सर्विलांस टीम के साथ लगाया गया था. इस वजह से टीबी वार्ड में ओपीडी नाम मात्र को ही चल पाई थी. यही वजह रही कि कोरोना काल में टीबी के कम मरीज ही सामने आए.
कम ही चली ओपीडी
क्षय रोग अधिकारी डॉ. राजेश जैन ने ETV भारत से बातचीत में बताया कि 2019 के मुकाबले 2020 में टीबी के मरीज कम होने स्वाभाविक है, क्योंकि पिछले तीन महीने से ओपीडी बहुत कम चल रही थी. वहीं टीबी विभाग के डॉक्टर और स्टॉफ को भी कोरोना मरीजों की देखभाल में लगाया गया था. अभी भी स्टॉफ कोरोना स्पेशल ड्यूटी से रिलीव नहीं हो पाया है. डॉ. राजेश जैन का कहना था कि जैसे ही स्टॉफ टीबी वार्ड में आएगा तो टीबी वार्ड के कार्यो में सुधार आने की उम्मीद है.
टीबी से बचाव के उपाय
ETV भारत के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने बताया कि टीबी मुक्त भारत बनाने के लिए मरीजों को कुछ बातों को जानना बहुत जरूरी है. मरीजों को दो सप्ताह से ज्यादा की खांसी होने पर अपने बलगम की जांच करानी चाहिए. जितनी जल्दी जांच कराई जाएगी, उतनी जल्दी उनका इलाज शुरू हो पाएगा. इसके साथ ही टीबी के मरीज से दूसरे लोगों में इंफेक्शन फैलने से रोका जा सकेगा.
घर-घर जाकर कराई जाएगी जांच
उन्होंने बताया कि कोरोना अस्पताल से स्टॉफ के रिलीव होने पर मरीजों के घर-घर जाकर जांच कराई जाएगी. गांव-देहात में टीबी जांच के कैंप लगाए जाएंगे, ताकि ऐसे मरीजों का सही समय पर इलाज किया जा सके.