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मशरूम की खेती का हब बन रहा सहारनपुर, छात्र समेत डॉक्टर ले रहे ट्रेनिंग - मशरूम की खेती करने के लिए छात्रों को दिया जा रहा प्रशिक्षण

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में कृषि विभाग जैविक खेती करने की योजनाएं लागू कर रही है. सहारनपुर मशरूम की खेती का हब बनता जा रहा है. इसके चलते छात्र और छात्राओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. प्रशिक्षण के लिए 50 परीक्षार्थियों का बैच चलाया जा रहा है

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मशरूम की खेती करने के लिए छात्रों को दिया जा रहा प्रशिक्षण
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Published : Jan 27, 2020, 7:43 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST

सहारनपुर: एक ओर जहां कृषि विभाग जैविक खेती एवं सहफसली करने की योजनाएं लागू कर रहा है. वहीं पश्चमी उत्तर प्रदेश का जनपद सहारनपुर मशरूम की खेती का हब बनता जा रहा है. इसके चलते युवा ही नहीं युवतियां भी मशरूम की खेती करने की ट्रेनिंग ले रही है.

इतना ही नहीं एमबीबीएस, एमडी और फिजियोथेरेपी डॉक्टर मशरूम की खेती के टिप्स सीख रहे हैं. प्रशिक्षण के लिए 50 परीक्षार्थियों का बैच चलाया हुआ है. प्रशिक्षण दे रहे डॉक्टर के मुताबिक सहारनपुर में सबसे ज्यादा मशरूम का उत्पादन किया जा रहा है. इससे किसानों को कम जमीन से अच्छी खासी आमदनी हो रही है.

मशरूम की खेती करने के लिए छात्रों को दिया जा रहा प्रशिक्षण
मशरूम एक सब्जी ही नहीं बल्कि आयुर्वेदिक दवाई भी है. मशरूम खाने से न सिर्फ कई बीमारियों से छुटकारा मिल जाता है बल्कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से भी बचा जा सकता है.
  • मशरूम की 500 से ज्यादा प्रजाति होती है, लेकिन सहारनपुर में केवल तीन किस्म की मशरूम का ही उत्पादन किया जा रहा है.
  • मशरूम की खेती कम जमीन या फिर अपने घर, मकान की छत पर भी की जा सकती है.
  • मशरूम की कीमत बाजार में 150 रुपये से लेकर 250 रुपये किलो तक बिक रही है.
  • सहारनपुर के युवा और युवतियों का रुझान मशरूम की खेती की ओर बढ़ने लगा है.
  • मिल्की मशरूम, डिंगरी मशरूम, गेंगा मशरूम के बिजाई से लेकर उत्पादन तक पूरा प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

अगर हमारे पास बहुत कम जमीन है तो उसमें मशरूम की खेती करके अच्छी पैदावार ली जा सकती है.

पारुल सैनी, छात्रा

मशरूम की खेती अपने घर, बागवानी, घरों की छत आदि पर उगाया जा सकता है. इसके लिए कम जगह में पॉलीहाउस भी बनाया जा सकता है.

रविकांत त्यागी, छात्र

मशरूम की खेती के प्रशिक्षण लेने छात्र ही नहीं डॉक्टर भी आ रहे आगे

  • सहारनपुर में मशरूम की खेती का क्रेज बढ़ता जा रहा है.
  • इस प्रशिक्षण के बाद रोजगार के अवसर मिल रहे हैं.
  • बहुत कम समय में मशरूम की खेती का प्रशिक्षण लेकर ज्यादा लाभ ले सकते हैं.
  • प्रशिक्षण में तीन तरह की मशरूम के बारे में बताया जा रहा है.

छात्र-छात्राओं के साथ किसानों को मशरूम में लगने वाले रोगों, कीटों से कैसे प्रबंधन करें आदि की जानकारी दी जा रही है. विशेष तौर पर जैविक तरीके से मशरूम उगाने पर जोर दिया जा रहा है. जनपद सहारनपुर में कई गांव ऐसे हैं, जहां मशरूम की खेती बड़े स्तर पर की जा रही है. प्रशिक्षण के लिए 50 लोगों का एक बैच चल रहा है. प्रशिक्षण के लिए 14 परीक्षार्थियों को प्रतीक्षा में रखा गया है. यही वजह है कि जनपद सहारनपुर मशरूम की खेती का हब बनता जा रहा है.

सहारनपुर: एक ओर जहां कृषि विभाग जैविक खेती एवं सहफसली करने की योजनाएं लागू कर रहा है. वहीं पश्चमी उत्तर प्रदेश का जनपद सहारनपुर मशरूम की खेती का हब बनता जा रहा है. इसके चलते युवा ही नहीं युवतियां भी मशरूम की खेती करने की ट्रेनिंग ले रही है.

इतना ही नहीं एमबीबीएस, एमडी और फिजियोथेरेपी डॉक्टर मशरूम की खेती के टिप्स सीख रहे हैं. प्रशिक्षण के लिए 50 परीक्षार्थियों का बैच चलाया हुआ है. प्रशिक्षण दे रहे डॉक्टर के मुताबिक सहारनपुर में सबसे ज्यादा मशरूम का उत्पादन किया जा रहा है. इससे किसानों को कम जमीन से अच्छी खासी आमदनी हो रही है.

मशरूम की खेती करने के लिए छात्रों को दिया जा रहा प्रशिक्षण
मशरूम एक सब्जी ही नहीं बल्कि आयुर्वेदिक दवाई भी है. मशरूम खाने से न सिर्फ कई बीमारियों से छुटकारा मिल जाता है बल्कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से भी बचा जा सकता है.
  • मशरूम की 500 से ज्यादा प्रजाति होती है, लेकिन सहारनपुर में केवल तीन किस्म की मशरूम का ही उत्पादन किया जा रहा है.
  • मशरूम की खेती कम जमीन या फिर अपने घर, मकान की छत पर भी की जा सकती है.
  • मशरूम की कीमत बाजार में 150 रुपये से लेकर 250 रुपये किलो तक बिक रही है.
  • सहारनपुर के युवा और युवतियों का रुझान मशरूम की खेती की ओर बढ़ने लगा है.
  • मिल्की मशरूम, डिंगरी मशरूम, गेंगा मशरूम के बिजाई से लेकर उत्पादन तक पूरा प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

अगर हमारे पास बहुत कम जमीन है तो उसमें मशरूम की खेती करके अच्छी पैदावार ली जा सकती है.

पारुल सैनी, छात्रा

मशरूम की खेती अपने घर, बागवानी, घरों की छत आदि पर उगाया जा सकता है. इसके लिए कम जगह में पॉलीहाउस भी बनाया जा सकता है.

रविकांत त्यागी, छात्र

मशरूम की खेती के प्रशिक्षण लेने छात्र ही नहीं डॉक्टर भी आ रहे आगे

  • सहारनपुर में मशरूम की खेती का क्रेज बढ़ता जा रहा है.
  • इस प्रशिक्षण के बाद रोजगार के अवसर मिल रहे हैं.
  • बहुत कम समय में मशरूम की खेती का प्रशिक्षण लेकर ज्यादा लाभ ले सकते हैं.
  • प्रशिक्षण में तीन तरह की मशरूम के बारे में बताया जा रहा है.

छात्र-छात्राओं के साथ किसानों को मशरूम में लगने वाले रोगों, कीटों से कैसे प्रबंधन करें आदि की जानकारी दी जा रही है. विशेष तौर पर जैविक तरीके से मशरूम उगाने पर जोर दिया जा रहा है. जनपद सहारनपुर में कई गांव ऐसे हैं, जहां मशरूम की खेती बड़े स्तर पर की जा रही है. प्रशिक्षण के लिए 50 लोगों का एक बैच चल रहा है. प्रशिक्षण के लिए 14 परीक्षार्थियों को प्रतीक्षा में रखा गया है. यही वजह है कि जनपद सहारनपुर मशरूम की खेती का हब बनता जा रहा है.

Intro:सहारनपुर : एक ओर जहां कृषि विभाग जैविक खेती एवं सहफसली करने की योजनाएं लागू कर रहा है वही पश्चमी उत्तर प्रदेश का जनपद सहारनपुर मशरूम की खेती का हब बनता जा रहा है। जिसके चलते युवा ही नही युवतियां भी मशरूम की खेती करने की ट्रेनिंग ले रही है। इतना ही नही एमबीबीएस, एमडी और फिजियोथेरेपी डॉक्टर मशरूम की खेती के टिप्स सीख रहे है। प्रशिक्षण के लिए 50 परीक्षार्थियों का बेच चलाया हुआ है। प्रशिक्षण दे रहे डॉक्टर के मुताबिक सहारनपुर में सबसे ज्यादा मशरूम का उत्पादन किया जा रहा है। जिससे किसानों को कम जमीन से अच्छी खासी आमदनी हो रही है।


Body:VO 1 - आपको बता दे कि मशरूम एक सब्जी ही नही बल्कि आयुर्वेदिक दवाई भी है। मशरूम खाने से न सिर्फ कई बीमारियों से छुटकारा मिल जाता है बल्कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से भी बचा जा सकता है। वैसे तो मशरूम की 500 से ज्यादा प्रजाति होती है लेकिन सहारनपुर में केवल तीन किस्म की मशरूम का ही उत्पादन किया जा रहा है। खास बात ये है कि मशरूम की खेती कम जमीन या फिर अपने घेर या मकान की छत पर भी की जा सकती है। मशरूम की कीमत बाजार में 150 रुपये से लेकर 250 रुपये किलो तक बिक रही है। यही वजह है कि सहारनपुर के युवा और युवतियो का रुझान मशरूम की खेती की ओर बढ़ने लगा है। ईटीवी की टीम ने प्रशिक्षण केंद्र पर पहुंच कर ट्रेनिंग ले रहे छात्र छात्राओ से बात की तो उन्होंने बताया कि मशरूम की खेती की ट्रेनिंग लेकर अपना कारोबार कर सकते है। प्रशिक्षण के बाद कम जगह में मशरूम की खेती कर सकते है। मशरूम की खेती के साथ किसी कंपनी में नोकरी भी कर सकते है। यहां तीन तरह की मशरूम के बारे में सिखाया जा रहा है। मिल्की मशरूम, डिंगरी मशरूम, गेंगा मशरूम के बिजाई से लेकर उत्पादन तक पूरा प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण लेने आई पारुल सैनी ने बताया कि अगर हमारे पास बहुत कम जमीन है तो उसमें मशरूम की खेती करके अच्छी पैदावार ली जा सकती है। वहीं छात्र रविकांत ने बताया कि मशरूम की खेती अपने घर, बागवानी, घरों की छत आदि पर उगाया जा सकता है। इसके लिए कम जगह में पॉलीहाउस भी बनाया जा सकता है।
डॉक्टर आइए सिद्दकी ने बताया कि मशरूम की खेती के प्रशिक्षण लेने छात्र छात्राएं ही नही डॉक्टर भी आ रहे है। सहारनपुर में मशरूम की खेती का क्रेज बढ़ता जा रहा है। इस प्रशिक्षण के बाद रोजगार के अवसर मिल रहे हैं। खास बात ये है बहुत कम समय में मशरूम की खेती का प्रशिक्षण लेकर ज्यादा लाभ ले सकता है। प्रशिक्षण में तीन तरह की मशरूम के बारे में बताया जा रहा है। छात्र छात्राओं के साथ किसानों को मशरूम में लगने वाले रोगों, कीटों से कैसे प्रबंधन करें आदि की जानकारी दी राही है। उन्होंने बताया है कि विशेष तौर पर जैविक तरीके से मशरूम उगाने पर जोर दिया जा रहा है। ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि जनपद सहारनपुर में दर्जनों ग़ांव ऐसे है जहां मशरूम की खेती बड़े स्तर पर की जा रही है। प्रशिक्षण के लिए 50 लोगो का एक बेच चल रहा है। खास बात ये है कि प्रशिक्षण के लिए 14 परीक्षार्थियों को प्रतीक्षा में रखा गया है। यही वजह है कि जनपद सहारनपुर मशरूम की खेती का हब बनता जा रहा है।

बाईट - पारुल सैनी ( छात्रा )
बाईट - रविकांत त्यागी ( छात्र )
बाईट - डॉ आईए सिद्दकी ( शिक्षक मशरूम )


प ईटीवी भारत की गेहूं, धान, गन्ने और सब्जियों आदि की खेती के साथ सरकार ने मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के लिए अभियान चलाया हुआ है।


Conclusion:रोशन लाल सैनी
सहारनपुर
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Last Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST
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