सहारनपुर: एक ओर जहां कृषि विभाग जैविक खेती एवं सहफसली करने की योजनाएं लागू कर रहा है. वहीं पश्चमी उत्तर प्रदेश का जनपद सहारनपुर मशरूम की खेती का हब बनता जा रहा है. इसके चलते युवा ही नहीं युवतियां भी मशरूम की खेती करने की ट्रेनिंग ले रही है.
इतना ही नहीं एमबीबीएस, एमडी और फिजियोथेरेपी डॉक्टर मशरूम की खेती के टिप्स सीख रहे हैं. प्रशिक्षण के लिए 50 परीक्षार्थियों का बैच चलाया हुआ है. प्रशिक्षण दे रहे डॉक्टर के मुताबिक सहारनपुर में सबसे ज्यादा मशरूम का उत्पादन किया जा रहा है. इससे किसानों को कम जमीन से अच्छी खासी आमदनी हो रही है.
- मशरूम की 500 से ज्यादा प्रजाति होती है, लेकिन सहारनपुर में केवल तीन किस्म की मशरूम का ही उत्पादन किया जा रहा है.
- मशरूम की खेती कम जमीन या फिर अपने घर, मकान की छत पर भी की जा सकती है.
- मशरूम की कीमत बाजार में 150 रुपये से लेकर 250 रुपये किलो तक बिक रही है.
- सहारनपुर के युवा और युवतियों का रुझान मशरूम की खेती की ओर बढ़ने लगा है.
- मिल्की मशरूम, डिंगरी मशरूम, गेंगा मशरूम के बिजाई से लेकर उत्पादन तक पूरा प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
अगर हमारे पास बहुत कम जमीन है तो उसमें मशरूम की खेती करके अच्छी पैदावार ली जा सकती है.
पारुल सैनी, छात्रा
मशरूम की खेती अपने घर, बागवानी, घरों की छत आदि पर उगाया जा सकता है. इसके लिए कम जगह में पॉलीहाउस भी बनाया जा सकता है.
रविकांत त्यागी, छात्र
मशरूम की खेती के प्रशिक्षण लेने छात्र ही नहीं डॉक्टर भी आ रहे आगे
- सहारनपुर में मशरूम की खेती का क्रेज बढ़ता जा रहा है.
- इस प्रशिक्षण के बाद रोजगार के अवसर मिल रहे हैं.
- बहुत कम समय में मशरूम की खेती का प्रशिक्षण लेकर ज्यादा लाभ ले सकते हैं.
- प्रशिक्षण में तीन तरह की मशरूम के बारे में बताया जा रहा है.
छात्र-छात्राओं के साथ किसानों को मशरूम में लगने वाले रोगों, कीटों से कैसे प्रबंधन करें आदि की जानकारी दी जा रही है. विशेष तौर पर जैविक तरीके से मशरूम उगाने पर जोर दिया जा रहा है. जनपद सहारनपुर में कई गांव ऐसे हैं, जहां मशरूम की खेती बड़े स्तर पर की जा रही है. प्रशिक्षण के लिए 50 लोगों का एक बैच चल रहा है. प्रशिक्षण के लिए 14 परीक्षार्थियों को प्रतीक्षा में रखा गया है. यही वजह है कि जनपद सहारनपुर मशरूम की खेती का हब बनता जा रहा है.