सहारनपुर : एक ओर जहां कोरोना वायरस की वजह से रक्षा बंधन का त्योहार की रौनक फीकी पड़ती नजर आ रही है. वहीं इस साल रक्षा बंधन का विशेष संयोग है जो 30 साल के बाद बना है. सावन के आखिरी सोमवार के साथ सावन पूर्णिमा और श्रवण नक्षत्र का महासंयोग बन रहा है.
ज्योतिषों के मुताबिक रक्षा बंधन के दिन यह संयोग पवित्र और शुभ माना जा रहा है. इस बार राखी बांधने के लिए भी तीन शुभ मुहूर्त निकल रहे हैं. भाई की कलाई पर राखी बांधने का सुबह 9:28 बजे भद्रा हटने के बाद शुभ मुहूर्त शुरू हो जाएगा. दिन में तीन बार शुभ मुहूर्त निकल रहे हैं और रात्रि 9:17 बजे तक राखी बांधी जा सकती है. बहन राखी बांधने के साथ भाई को दीपक लगाकर आरती करनी चाहिए.
विशेष संयोगपंडित योगेश दीक्षित ने बातचीत में बताया कि रक्षा बंधन का त्योहार सावन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन को मनाया जाता है. रक्षा बंधन के अवसर पर इस बार एक विशेष बात यह है कि रक्षाबंधन के दिन श्रवण नक्षत्र है और पूर्णिमा की तिथि का संयोग बन रहा है. भद्रा सुबह करीब 9:28 तक रहेगी इसलिए सभी बहने भद्रा को त्याग करके सुबह 9:28 से लेकर रात्रि 9:27 तक राखी बांध सकती हैं. राखी बांधने के लिए कुछ विशेष मुहूर्त होते हैं. कुछ भाई या बहनो को घर पहुंचने में शाम हो जाती है, उनके लिए अलग मुहूर्त है.
इस बार तीन शुभ मुहूर्त
इस बार सुबह दोपहर और शाम तीनों वक्त का मुहूर्त है. सुबह 9:28 पर पहला मुहूर्त प्रारंभ हो जाएगा, जबकि दूसरा दोपहर 1:47 से 4:29 तक रहेगा और तीसरा मुहूर्त शाम को 7:11 से 9:17 बजे तक रहेगा. इन शुभ मुहूर्त की घड़ी में राखी बांधने से विशेष फल प्राप्त होता है.पंडित योगेश दीक्षित ने बताया कि रक्षा के लिए राखी बांधी जाती है. राखी बांधने के लिए एक थाली को अच्छे से सजा लें और थाली में राखी, चावल, रोली, दीपक रखना चाहिए. जिसके बाद राखी बांधने की सही प्रक्रिया शुरू की जाती है. राखी पर्व पर भाई बहन की रक्षा करने का संकल्प लेता है. ऐसा संकल्प ले करके यह राखी बंधन का त्योहार मनाया जाता है.
राखी बांधने का सही तरीका
राखी बांधने का सही तरीका बताते हुए उन्होंने बताया कि वर्तमान तो राखी विभिन्न प्रकार एवं फैंसी आ गई है, लेकिन पहले कलावे के तीन धागों को एक साथ लेकर गणेश जी और नवग्रह की पूजा करके उनको अभिमंत्रित करके गणेश जी से प्रार्थना करते थे कि हमारे परिवार में, हमारी बहन के यहां और बहन-भाई को किसी भी प्रकार की कोई विघ्न बाधा ना आए. गणेश जी से ध्यान कर उस धागे को बांधा जाता था. गणेश जी की पूजा और नवग्रह की पूजा उसको एक विशेष प्रभाव वाला हो जाता था जिसके बाद वह विशेष धागा रहता है. धागा बांधने के बाद बहन भाई को मंगल तिलक कर आरती करती है क्योंकि सनातन धर्म मे मंगल तिलक प्रत्येक पूजा और शुभ अवसर पर किया जाता है.