सहारनपुर : केंद्र सरकार की मेगा स्कीम स्मार्ट सिटी में शामिल सहारनपुर में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. यहां अभी तक सभी परिवारों को टैक्स की श्रेणी में भी नहीं लाया गया है. इसके चलते स्मार्ट सिटी को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है. इतना ही नहीं प्राइवेट अस्पताल और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान भी बिना टैक्स के धड़ल्ले से चल रहे हैं.
करीब दो साल पहले सहारनपुर को स्मार्ट सिटी शहरों की लिस्ट में शामिल किया गया था. इससे पहले सहारनपुर को नगर निगम का दर्जा मिला तो आसपास के 32 गांवों को निगम का हिस्सा बनाया गया था. बावजूद इसके इन गांवों के डेढ़ लाख से ज्यादा घरों की हालत आज भी जस की तस है. स्मार्ट सिटी योजना का कोई भी लाभ इन गांवों मे नहीं पहुंचा है.
चौंकाने वाली बात यह है कि 2 साल पहले निगम में शामिल हुए इन गांवों के घरों का निगम में रजिस्ट्रेशन तक नहीं हुआ है. इससे निगम को करोड़ों रुपये का नुकसान तो हो ही रहा है, ग्रामीण भी कई योजनाओं से वंचित रह रहे हैं. इतना ही नहीं स्मार्ट सिटी के कई बड़े अस्पताल और व्यावसायिक प्रतिष्ठान भी बिना पंजीकरण कराए निगम को लाखों रुपये का चूना लगा रहे हैं. ईटीवी से बातचीत में नगर आयुक्त ज्ञानेन्द्र सिंह ने बताया कि निगम अधिकारी नगर निगम की आमदनी बढ़ाना चाह रहे हैं. इसके लिए नगर निगम क्षेत्र का सर्वे कराया जा रहा है. शहर के आसपास के 32 गांव स्मार्ट सिटी में शामिल हुए हैं. इन गांवों में करीब 30 हजार परिवार रह रहे हैं. प्रत्येक मकान का सर्वे करने के बाद निगम के मकानों की संख्या बढ़कर डेढ़ लाख हो जाएगी. इन सभी मकानों पर टैक्स लागू कर दिया जाएगा, जिससे अब तक होने वाली 29 करोड़ की आमदनी बढ़कर करीब 50 करोड़ रुपये हो जाएगी.
उन्होंने बताया कि नई कॉलोनियां और मकानों का भी सर्वे कराया जा रहा है. इसके अलावा व्यावसायिक इलाकों में भी सभी प्रतिष्ठानों में जाकर रजिस्ट्रेशन कर टैक्स वसूलने की योजना बनाई गई है. इससे हर महीना 50 लाख रुपये से ज्यादा की आय बढ़ जाएगी. व्यावसायिक प्रतिष्ठानों होटल, रेस्टोरेंट, अस्पतालों आदि से रजिस्ट्रेशन कर जो फीस ली जाएगी, उससे हर साल 5 करोड़ से ज्यादा की आमदनी होने की संभावना है. उन्होंने बताया कि नगर निगम द्वारा स्मार्ट सिटी योजना के तहत अच्छी सड़कें, अच्छे पार्क, गलियां, पीने के पानी की सुविधा, पानी की निकासी जैसी व्यवस्थाएं की जारही हैं.