सहारनपुरः कोरोना महामारी का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. प्रतिदिन कोरोना पॉजिटिव मामलों में की संख्या में इजाफा हो रहा है. वहीं कोरोना वायरस अब डॉक्टरों के लिए भी चुनौती बनता जा रहा है. कई बड़े शहरों में कोरोना वायरस ने डॉक्टरों को भी अपनी चपेट में ले लिया है. इसके बाद भी अपनी परवाह किए बगैर डॉक्टरों की टीम लोगों की जान बचाने में लगी हुई है. इन दिनों कोरोना महामारी से निपटने के लिए डॉक्टरों को किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, इसी मुद्दे पर सहारनपुर के सीएमएस डॉ. एसके वार्ष्णेय ने ईटीवी से बातचीत की.
कोरोना से बचाव के लिए सीएमएस ने दी जानकारी
कोरोना महामारी से निपटने के लिए इन दिनों डॉक्टरों को भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. इसी मुद्दे पर सहारनपुर के सीएमएस डॉ. एसके वार्ष्णेय ने ईटीवी भारत से खुलकर बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बहुत सी महत्वपूर्ण जानकारी साझा की. उन्होंने कहा कि यह कोरोना महामारी काल सभी के लिए चुनौतियों से भरा हुआ है. यह डॉक्टर और जनता के लिए ही नहीं बल्कि शासन-प्रशासन के लिए भी चुनौती बना हुआ है. कोरोना महामारी से बचने की अभी तक न तो कोई वैक्सीन बनी है और न ही कोई दवा. इससे बचने का एक मात्र विकल्प है सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना और मॉस्क पहनना.
डॉक्टरों का सुझाव, प्रत्येक व्यक्ति पहने मास्क
कोरोना महामारी के चलते डॉक्टरों की टीम दिन-रात अपना फर्ज निभा रही है. साथ ही समय-समय पर लोगों को जागरूक करने का प्रयास भी कर रही है. कोरोना महामारी के चुनौती से भरे दौर में डॉ. एसके वार्ष्णेय ने ईटीवी भारत के महत्वपूर्ण जानकारी साझा की. उन्होंने बताया कि लोगों को आपस में बातचीत करते समय मास्क लगाना चाहिए. साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए एक-दूसरे से कम से कम 6 फिट की दूरी पर रहकर बात करनी चाहिए.
मॉस्क लगाने से 80 प्रतिशत तक बीमारी रहती है दूर
ईटीवी भारत से बात करते हुए सहारनपुर के सीएमएस डॉ.वार्ष्णेय ने बताया कि मास्क लगाना प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक है. मास्क का इस्तेमाल करने से लोग 80 प्रतिशत तक सुरक्षित रहते हैं. उन्होंने बताया कि यदि एक व्यक्ति ने मॉस्क लगाया हुआ है और दूसरे व्यक्ति ने नहीं तो ऐसी स्थिति में मॉस्क न लगाने वाले व्यक्ति के बैक्टीरिया मॉस्क लगाने वाले व्यक्ति के शरीर, बालों, कपड़ों पर चिपक जाते हैं, जिससे संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है.
डॉ. वार्ष्णेय ने बताया कि सरकार द्वारा प्रयास किया जा रहा है कि हर जिले में एक अस्पताल को सामान्य मरीजों के लिए सुरक्षित रखा जाए. सहारनपुर का जिला अस्पताल उसी श्रेणी में रखा गया है, जबकि राजकीय मेडिकल कॉलेज पिलखनी, ग्लोकल मेडिकल कॉलेज मिर्जापुर पोल और सीएचसी फतेहपुर को कोरोना स्पेशल हॉस्पिटल बनाया गया है, जिससे कि लगभग 30 लाख की आबादी को सामान्य इलाज दिया जा सके. अस्पताल में इमरजेंसी ओपीडी में चलाई जा रही है. जहां डॉक्टर प्रतिदिन 300-350 मरीजों का इलाज कर रहे हैं.
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