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मथुरा मंदिर मामला: मंदिर के अंदर नमाज पढ़ने को देवबन्दी उलेमा ने बताया गलत

मथुरा मंदिर मामले को लेकर सहारनपुर देवबन्दी उलेमा मुफ्ती असद कासमी ने नाराजगी जताई है. उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा कि उन युवकों को मंदिर के अंदर नमाज नहीं अदा करना चाहिए था. अगर नमाज पढ़नी ही थी तो मंदिर के जो भी जिम्मेदार हैं, उनसे इजाजत लेनी चाहिए थी.

देवबंदी उलेमा मुफ्ती असद कासमी
देवबंदी उलेमा मुफ्ती असद कासमी
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Published : Nov 3, 2020, 11:51 AM IST

सहारनपुर: मथुरा में नंदगांव के नंद बाबा मंदिर में दो युवकों के नमाज अदा करने का फोटो वायरल हो रहा है. इसको लेकर देवबन्दी उलेमा मुफ्ती असद कासमी ने नाराजगी जताते हुए कहा कि उनको मंदिर के अंदर नमाज नहीं अदा करनी चाहिए थी. अगर नमाज पढ़नी ही थी तो मंदिर के जो भी जिम्मेदार हैं, उनसे इजाजत लेनी चाहिए थी. इसी के साथ मुफ्ती ने यह भी कहा कि उन लोगों की जांच होनी चाहिए कि वह मुसलमान हैं भी या नहीं.

जानकारी देते देवबन्दी उलेमा मुफ्ती असद कासमी.

देवबन्दी उलेमा मुफ्ती असद कासमी ने कहा कि जैसा कि मीडिया के माध्यम से मुझे मालूम हुआ और फोटो के अंदर भी मैंने देखा कि दो युवक है, जो मंदिर के अंदर नमाज अदा करते हुए दिखाई दे रहे हैं. सबसे पहले तो मैं यह कहना चाहता हूं कि ऐसे लोगों की जांच हो, जो मंदिर के अंदर नमाज पढ़ रहे हैं. वाकई में यह मुसलमान हैं भी या नहीं. सिर्फ टोपी लगाने से या कुर्ता पजामा पहनने से कोई मुसलमान नहीं होता.

देवबन्दी उलेमा ने कहा कि जिन्होंने मंदिर के अंदर नमाज अदा की है, उन्हें मंदिर के जो भी जिम्मेदार थे, उनसे इजाजत लेनी चाहिए थी. नमाज अदा करने के लिए बहुत सारी जगह हैं. मस्जिद है वहां नमाज अदा कर सकते थे, लेकिन इस वक्त में जो देश के हालात चल रहे हैं. ऐसे हालात में मंदिर के अंदर जाकर नमाज पढ़ना सही नहीं है.

सहारनपुर: मथुरा में नंदगांव के नंद बाबा मंदिर में दो युवकों के नमाज अदा करने का फोटो वायरल हो रहा है. इसको लेकर देवबन्दी उलेमा मुफ्ती असद कासमी ने नाराजगी जताते हुए कहा कि उनको मंदिर के अंदर नमाज नहीं अदा करनी चाहिए थी. अगर नमाज पढ़नी ही थी तो मंदिर के जो भी जिम्मेदार हैं, उनसे इजाजत लेनी चाहिए थी. इसी के साथ मुफ्ती ने यह भी कहा कि उन लोगों की जांच होनी चाहिए कि वह मुसलमान हैं भी या नहीं.

जानकारी देते देवबन्दी उलेमा मुफ्ती असद कासमी.

देवबन्दी उलेमा मुफ्ती असद कासमी ने कहा कि जैसा कि मीडिया के माध्यम से मुझे मालूम हुआ और फोटो के अंदर भी मैंने देखा कि दो युवक है, जो मंदिर के अंदर नमाज अदा करते हुए दिखाई दे रहे हैं. सबसे पहले तो मैं यह कहना चाहता हूं कि ऐसे लोगों की जांच हो, जो मंदिर के अंदर नमाज पढ़ रहे हैं. वाकई में यह मुसलमान हैं भी या नहीं. सिर्फ टोपी लगाने से या कुर्ता पजामा पहनने से कोई मुसलमान नहीं होता.

देवबन्दी उलेमा ने कहा कि जिन्होंने मंदिर के अंदर नमाज अदा की है, उन्हें मंदिर के जो भी जिम्मेदार थे, उनसे इजाजत लेनी चाहिए थी. नमाज अदा करने के लिए बहुत सारी जगह हैं. मस्जिद है वहां नमाज अदा कर सकते थे, लेकिन इस वक्त में जो देश के हालात चल रहे हैं. ऐसे हालात में मंदिर के अंदर जाकर नमाज पढ़ना सही नहीं है.

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