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सहारनपुर: कोरोना महामारी के बीच लोगों ने किया रावण का पुतला दहन

सहारनपुर में दशहरे के अवसर पर बुराई का प्रतीक माने जाने वाले रावण का पुतला किया गया. लेकिन जिले में सिर्फ 4 ही स्थानों पर रावण के पुतले का दहन किया गया. इस दौरान कोविड 19 के मद्देनजर आयोजन स्थल पर सीमित संख्या में ही लोग मौजूद रहे.

रावण का पुतला दहन.
रावण का पुतला दहन.
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Published : Oct 26, 2020, 8:22 AM IST

सहारनपुर: जिले में कोरोना काल के बीच दशहरा पर्व मनाया गया. इस मौके पर रावण का पुतला दहन कर बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश दिया गया. रावण दहन के दौरान हर वर्षों की भांति इस वर्ष लोगों की भीड़ देखने को नहीं मिली. कोरोना महामारी के चलते शहर में चार जगहों पर रावण का पुतला बनाया गया था. वहीं इस बार कुंभकर्ण व मेघनाथ का पुतला नहीं बनाया गया.

कोरोना महामारी ने दुनिया भर में अपना कहर बरपाया और सभी त्योहार घरों में रहकर ही मनाएं गए. इससे महामारी कम हुई और लॉकडाउन खुला तो दशहरा पर्व मनाने की परमिशन मिली. लेकिन सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार ही दशहरा पर्व मनाया गया. सहारनपुर में सैकड़ों वर्षों से लगातार लगती आ रही रामलीला को करने की परमिशन भी नहीं दी गई. क्योंकि बड़ी रामलीलाओं में अधिक भीड़ हो जाती है, इसलिए पूरे शहर में केवल चार जगह पर रामलीला को करने की ही परमिशन दी गई थी. जबकि सहारनपुर में आकर्षण का केंद्र बनने वाले रावण, मेघनाथ, कुंभकर्ण के पुतलों को भी इस बार नहीं बनाया गया.

सहारनपुर के मनोहरपुर में सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार ही राम बारात निकाली गई और रावण का दहन किया गया. लेकिन जिस तरीके से हर वर्ष हजारों की संख्या में लोगों की भारी भीड़ देखने को मिलती थी, इस बार ऐसी भीड़ देखने को नहीं मिली.

सहारनपुर: जिले में कोरोना काल के बीच दशहरा पर्व मनाया गया. इस मौके पर रावण का पुतला दहन कर बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश दिया गया. रावण दहन के दौरान हर वर्षों की भांति इस वर्ष लोगों की भीड़ देखने को नहीं मिली. कोरोना महामारी के चलते शहर में चार जगहों पर रावण का पुतला बनाया गया था. वहीं इस बार कुंभकर्ण व मेघनाथ का पुतला नहीं बनाया गया.

कोरोना महामारी ने दुनिया भर में अपना कहर बरपाया और सभी त्योहार घरों में रहकर ही मनाएं गए. इससे महामारी कम हुई और लॉकडाउन खुला तो दशहरा पर्व मनाने की परमिशन मिली. लेकिन सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार ही दशहरा पर्व मनाया गया. सहारनपुर में सैकड़ों वर्षों से लगातार लगती आ रही रामलीला को करने की परमिशन भी नहीं दी गई. क्योंकि बड़ी रामलीलाओं में अधिक भीड़ हो जाती है, इसलिए पूरे शहर में केवल चार जगह पर रामलीला को करने की ही परमिशन दी गई थी. जबकि सहारनपुर में आकर्षण का केंद्र बनने वाले रावण, मेघनाथ, कुंभकर्ण के पुतलों को भी इस बार नहीं बनाया गया.

सहारनपुर के मनोहरपुर में सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार ही राम बारात निकाली गई और रावण का दहन किया गया. लेकिन जिस तरीके से हर वर्ष हजारों की संख्या में लोगों की भारी भीड़ देखने को मिलती थी, इस बार ऐसी भीड़ देखने को नहीं मिली.

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