सहारनपुर: सहारनपुर के शिवालिक वन क्षेत्र को उत्तराखण्ड के राजा जी नेशनल पार्क की तर्ज पर बनाने तैयारियां शुरू हो गई है. शिवालिक वन क्षेत्र को टाइगर रिजर्व बनाने पर विचार किया जा रहा है, वहीं पेड़ों की अवैध कटान को रोकने के लिए गश्त भी बढ़ा दी गई है. जानकारी के मुताबिक शिवालिक वन क्षेत्र में लगातार हाथियों और बाघों की संख्या बढ़ती जा रही है. इसके चलते मंडलायुक्त ने टाइगर रिजर्व विकसित करने के लिए न सिर्फ वन संरक्षकों को स्टडी करने के निर्देश दिए हैं, बल्कि इसके लिए वन संपदा मंत्रालय को भी पत्र लिखा है.
क्या खासियत है सहारनपुर के शिवालिक वन क्षेत्र की
सहारनपुर के शिवालिक की छोटी पहाड़ियों के बीच 35000 हेक्टेयर में फैला शिवालिक जंगल उत्तराखण्ड से सटा हुआ है. इसकी खास बात यह है कि ये जंगल राजाजी नेशनल पार्क से बिल्कुल मिला हुआ है. जिससे आए दिन यहां जंगली जानवरों की संख्या बढ़ती जा रही है. जिसके चलते भविष्य में हाथी और बाघ शिवालिक वन क्षेत्र का रुख कर सकते हैं, जबकि वर्तमान में शिवालिक के जंगलों में 15 किलोमीटर दूर तक राजाजी पार्क से आने वाले बाघ और हाथी देखे जा रहे है. यही वजह है कि शिवालिक वन क्षेत्र को टाइगर रिजर्व के रूप में विकसित करने के लिए वन विभाग के अधिकारियो को रिपार्ट तैयार करने के निर्देश दे दिए हैं.
मंडलायुक्त ने क्या कहा
ईटीवी से बातचीत में मंडलायुक्त संजय सिंह ने बताया कि यह जंगल पूरी तरह से राजाजी नेशनल पार्क से सटा हुआ है. शिवालिक वन क्षेत्र और राजाजी पार्क के बीच मे केवल 10 मीटर की सड़क है, जिसके चलते लगातार जंगली जानवर राजाजी पार्क से सहारनपुर के शिवालिक वन क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि यहां विशेष तौर पर चीतल, सांभर, हिरण, हाथी, और तेंदुए आते-जाते रहते हैं. उन्होंने कहा कि राजाजी नेशनल पार्क में टाइगर भी है जिनकी संख्या में बढ़ोतरी हुई है. आशंका जताई जा रही है कि आने वाले कुछ सालों में शिवालिक जंगल टाइगर का गढ़ बन जायेगा. इसी को देखते हुए पहले से ही मांग होती आ रही है कि या तो शिवालिक जंगल को राजाजी नेशनल पार्क टाइगर रिजर्व विकसित घोषित किया जाए या फिर इसको एक अनुशोधन एवं टाइगर रिजर्व के रूप में विकसित किया जाए. इसके लिए वन संरक्षकों एवं आलाअधिकारियों से स्टडी करके रिपोर्ट बनाने के निर्देश दिए गए हैं.
उन्होंने बताया कि इसके लिए वर्ल्ड वाइड फंड और भारतीय वन्य जीव संस्थान ने रिसर्च किया है. मंडलायुक्त संजय सिंह का कहना है कि इन सबके स्टडी करने के बाद जो तथ्य निकल कर सामने आए हैं उनके आधार पर शासन को आख्या भेजी जाएगी. उसके बाद प्रक्रिया के आधार पर पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से इसकी मांग की जाएगी.