सहारनपुर: सहारनपुर के पूर्व बसपा एमएलसी भाइयों व खनन माफिया की मुश्किलें दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. जहां छोटे भाई पूर्व एमएलसी महमूद अली को नोटिस भेजा गया है तो वहीं, बड़े भाई व खनन माफिया हाजी इकबाल पर पुलिस का शिकंजा कसता ही जा रहा है. आए दिन एक के बाद एक न सिर्फ खुलासे हो रहे हैं, बल्कि हाजी इकबाल बाला के सहयोगियों की गिरफ्तारी से हड़कंप मच गया है. सीबीआई, ईडी समेत कई एजेंसियां पहले से ही इस अवैध खनन को लेकर पृथक जांच कर रही हैं. वहीं, SIT की टीम परत दर परत खुलासे कर सबको चौका रही है. ऐसे में आलम यह है कि हाजी इकबाल के लेफ्ट हैंड रहे उनके पार्टनर ने अब उनका साथ छोड़ दिया है और वो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की शरण में हैं. पुलिस ने अवैध खनन से अर्जित की गई खनन माफिया इकबाल बाला की 21 करोड़ से अधिक कीमत 50 बेनामी संपत्तियों को जब्त करने की तैयारी कर ली है. हैरानी की बात तो यह है करोड़ों की ये संपत्ति इकबाल बाला ने अपने चहेते नौकर नसीम के नाम कर रखी थी. वहीं, गैंगस्टर एक्ट के मामले में नसीम बीते 21 अप्रैल को जेल जा चुका है. जबकि हाजी इकबला बाला अंडर ग्राउंड चल रहा है.
...और बन गया बेनामी संपत्ति का बेताज बादशाह: बता दें कि हाजी इकबाल ने बसपा सरकार में अवैध खनन का ऐसा खेल खेला कि कुछ ही दिनों में हजारों करोड़ की बेनामी संपत्ति का बेताज बादशाह बन गया. खैर, एक वक्त था जब सहारनपुर से लेकर राजधानी लखनऊ तक इकबाल बाला की तूती बोलती थी. अधिकारी तो अधिकारी खनन मंत्री और मुख्यमंत्री मायावती तक उसके इशारों पर काम किया करते थे. जिसके चलते हाजी इकबाल ने न सिर्फ ग्रामीणों की खेती की जमीन हड़प ली, बल्कि ओने-पौने दाम देकर सबको चलता कर दिया. इतना ही नहीं सफेद रेत की काली कमाई से माफिया ने अपने मिर्जापुर स्थित गांव में ग्लोकल विश्वविद्यालय (Glocal University) तक बना दिया.
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सामने आई बाला के करोड़पति नौकर की सच्चाई: वहीं, अपनी काली कमाई को छुपाने के मकसद से माफिया हाजी इकबाल ने अपनी संपत्तियों को अपने करीबी नौकरों और चहेतों के नाम कर दिया था. ताकि जांच होने पर उसकी छवि बेदाग निकले. लेकिन कहावत है कि 'बकरे की मां कब तक खैर मनाएगी' कुछ ऐसा ही हुआ हाजी इकबाल के साथ भी. SIT की जांच में हाजी इकबाल के खिलाफ तमाम साक्ष्य मिल गए. जिसके चलते हाजी इकबाल के खिलाफ दर्जनों मुकदमे दर्ज हैं. ऐसे में गिरफ्तारी के डर से माफिया हाजी इकबाल फरार चल रहा है.
निर्देश की ताक में पुलिस: इस पूरे मामले में एसएसपी आकाश तोमर ने बताया कि अवैध खनन से अर्जित की गई तहसील बेहट इलाके में इकबाल बाला की बेनामी संपत्तियों को चिन्हित कर लिया गया है. जिसमें 600 बीघा खेती की जमीन भी शामिल है. जिसकी कीमत 21 करोड़ से अधिक बताई जा रही है. इन सभी संपत्तियों को जल्द ही गैंगस्टर एक्ट 14 (1) के तहत जब्त करने के निर्देश दिए जाएंगे. एसएसपी के मुताबिक खनन माफिया के खिलाफ प्रदेश में यह सबसे बड़ी जब्ती की कार्यवाई होने जा रही है. खनन माफिया ने चहेते नौकर नसीम पुत्र अब्दुल गफ्फार को अरबों की संपत्ति का मालिक बना रखा है. जिसके नाम गोरखपुर, सीतापुर और लखीमपुर खीरी में चीनी की मिले हैं.
नौकर नसीम के पास कहां से आई 600 बीघा जमीन: इतना ही नहीं गोल्डन एग्रीकल्चर के नाम से आधा दर्जन गांवों में 600 बीघा खेती की जमीन भी नसीम के नाम पर किया गया है. हालांकि, पुलिस की इस कार्यवाई से इकबाल खेमे में हड़कंप मच गया है तो वहीं, चीनी मिलों के दूसरे जिलों में होने के चलते फिलहाल स्थानीय संपत्तियों पर कार्यवाई की जाएगी.
अब सीएम की शरण में इकबाल के साथी: हाजी इकबाल पर कसते पुलिस के शिकंजे को देखते हुए उसके कुछ साथी अब उससे अपने सारे रिश्ते तोड़कर सीधे सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की शरण में चले आए हैं. बताया जा रहा है कि कुछ लोग कार्यवाई के डर से सीएम की शरण में चले गए हैं. वहीं, सीएम की शरण में आने वालों में एक नाम अमित जैन उर्फ दादू का भी हैं, जो कभी खनन माफिया का दायां हाथ हुआ करता था. बताया गया कि खनन का सारा कारोबार अमित जैन ही देखता था. इकबाल बाला के साथ मिलकर अमित जैन उर्फ दादू ने न सिर्फ खूब नाम कमाया, बल्कि अकूत संपत्ति भी अर्जित किया.
बाबा के बुलडोजर का खौफ: हालांकि, बाबा के बुलडोजर के डर से चुनाव से पहले ही अमित जैन उनकी शरण में चला आया. लेकिन खनन माफिया का मुख्य कर्ताधर्ता होने और मुश्किल में साथ छोड़ने के बाद अब उसे इकबाल बाला से जान का खतरा सता रहा है. जिसके चलते उसने सीएम योगी को शिकायती पत्र भेजकर न सिर्फ इकबाल बाला पर अपना नाम इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है, बल्कि इकबाल बाल से जान का खतरा भी बताया है. ऐसे में अगर पुलिस निष्पक्ष जांच कर कार्यवाई करें तो कई सफेदपोश भी इकबाल के काले कारोबार में शामिल मिल सकते हैं, जो कुछ ही सालों में अकूत संपति के मालिक बन गए थे.
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