सहारनपुर: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पालतू सुअरों की हो रही अचानक मौत से से पालकों में दहशत का माहौल बना हुआ है. सुअरों की मौत को लेकर स्वास्थ्य विभाग में भी हड़कंप मचा हुआ है. मेरठ और सहारनपुर मंडल के 9 जिलों में पिछले एक महीने के भीतर अब तक 500 से ज्यादा सुअरों की मौत हो चुकी है. बड़ी संख्या में हुई मौत के बाद सुअर पालकों को स्वाइन फ्लू का खतरा सताने लगा है. पशु चिकित्सा अधिकारी मृतक सुअरों के शवों की पोस्टमार्टम का इंतजार कर रहे हैं. साथ ही स्वाइन की आशंका को खारिज कर रहे हैं.
मेरठ, गाजियाबाद, बागपत, शामली, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, हापुड़ में अज्ञात बीमारी की चपेट में आने से बड़ी संख्या में सुअरों की मौत हो रही है. सहारनपुर मंडल के तीन जिलों में करीब 150, जबकि मेरठ मंडल में 400 से ज्यादा सुअरों की मौत हो चुकी है.
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पशु पालकों के मुताबिक शुरुआत सामान्य मौत प्रतीत हुई. लेकिन लगातार मौत का आंकड़ा बढ़ा तो सुअरों में बीमारी फैलने का अंदेशा हुआ. सुअर पालक अजय कुमार ने बताया कि सहारनपुर जेल चुंगी के पास अब तक 50 से ज्यादा सुअर अज्ञात बीमारी की चपेट में आने से मौत हो चुकी है. जबकि जिले के कई जगहों से भी सुअरों के मरने की सूचना मिल रही है. सुअर पालक मृतक सुअरों के शवों को ढमोला नदी में फेंक रहे हैं, जिसके आसपास में रहने वाले परिवारों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजीव सक्सेना ने बताया कि सहारनपुर में अभी तक स्वाइन फ्लू का कोई लक्षण नहीं है. सुअरों की मौत बुखार और खांसी के बाद हुई है. जिसकी जांच कराई जा रही है. जांच के लिए मृतक सुअरों के शवों का पोस्टमार्टम कराया गया है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल पाएगा कि सुअरों की मौत का सही कारण क्या है.
डॉ. राजीव सक्सेना बताते हैं कि सुअरों में फैले स्वाइन फ्लू से मनुष्य को किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं है. हालांकि स्वस्थ पशुओं को बचाने के लिए उन्हें बीमार पशुओं से दूर रखना जरूरी है. एहतियातन प्रिकॉशन के साथ ही ऐसे पशुओं की देखभाल करनी चाहिए. उन्होंने बताया कि बीमार पशुओं की जांच के लिए 4 डॉक्टरों की टीम बीमारी प्रभावित क्षेत्रों भेजी गई है. सुअरों में बुखार, खांसी और जुकाम मिल रहा है, जो अफ्रीकन स्वाइन फ्लू के लक्षण नहीं हैं. मौत के असली कारण का पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल पाएगा.
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