सहारनपुर: नगर के माता अन्नपूर्णा मंदिर में दर्शन करने वाले के लिए श्रद्धालु पहुंच रहें हैं. साल में एक दिन माता अन्नपूर्णा की विशेष पूजा होती है और लोग अपनी फसल का पहला भोग लगाकर अन्नपूर्णा की पूजा करते हैं.
साल में एक बार कार्तिक पूर्णिमा से अगहन की शुक्ल पक्ष के 14 दिन तक माता के विशेष व्रत किए जाते हैं. इन दिनों में भक्त 21 दिन का व्रत रखकर उद्यापन करते हैं और माता अन्नपूर्णा की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं.
विद्वानों के अनुसार माता अन्नपूर्णा ने सृष्टि को खाने के लिए अन्न प्रदान किया था. जब पृथ्वी पर लोगों का कंद मूल फल से गुजारा न हुआ तो ऋषि-मुनियों ने भगवान शंकर से अन्न प्रदान करने को कहा, तब भगवान शंकर ने माता अन्नपूर्णा से भिक्षा के रूप में अन्न प्राप्त किया. उसके बाद ही सृष्टि को अन्न प्राप्त हुआ. किसी भी कार्यक्रम में जहां खाना बनता है, वहां पर माता अन्नपूर्णा के नाम से दीपक जलाया जाता है.
मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित द्वारका नाथ शर्मा की बेटी रूपाली शर्मा ने बताया कि यह व्रत साल में एक बार इन विशेष दिनों में ही किए जाते हैं. यह व्रत कार्तिक की पूर्णिमा से प्रारंभ होकर अगहन की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तक 1 महीने तक होते हैं. इन 1 महीने में कुल 21 व्रत रखने होते हैं.
उन्होंने बताया कि 21 व्रत रखने के बाद मां अन्नपूर्णा को अन्न का भोग लगाया जाता है. मंदिर में दर्शन करने आई श्रद्धालु अनिता भाटिया ने बताया कि मां अन्नपूर्णा की पूजा इन दिनों बहुत की विधि विधान से की जाती है. वहीं श्रद्धालु सविता वर्मा ने बताया कि मां अन्नपूर्णा की पूजा का बहुत की महत्व है.