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ढाई करोड़ कांवड़ियों पर धरती से लेकर आसमान तक रहेगी निगरानी : डीआईजी सुधीर कुमार

कोरोना काल के दो साल बाद एक बार फिर से कांवड़ यात्रा शुरू हो गई है. कांवड़ियों को किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो इसकी पूरी व्यवस्था की गई है. इस संबंध में ईटीवी भारत की टीम ने डीआईजी सुधीर कुमार सिंह से खास बातचीत की.

कांवड़ यात्रा
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Published : Jul 16, 2022, 11:00 AM IST

Updated : Jul 16, 2022, 1:00 PM IST

सहारनपुर: कोरोना काल के दो साल बाद सावन महीना आते ही कांवड़ यात्रा का आगाज हो चुका है. कोरोना के बाद अनलॉक होने पर इस बार कांवड़ियों की संख्या में भी इजाफा होने की संभावना है. कांवड़ यात्रा को सफल संपन्न कराने के लिए पुलिस अधिकारियों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई दे रही हैं. यही वजह है कि डीजीपी और मुख्य गृह सचिव अवनीश अवस्थी कांवड़ यात्रा को लेकर पश्चमी उत्तर प्रदेश का भ्रमण कर अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दे चुके हैं. खास बात ये है कि हरिद्वार का पड़ोसी मंडल होने के चलते सबसे ज्यादा कांवड़ियां सहारनपुर मंडल के तीनों जिलों से होकर गुजरते हैं. हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर से करोड़ों की संख्या में कांवड़ियां कांवड़ में गंगा जल भरकर अपने गंतव्य को जाते हैं. कांवड़ियों की सुरक्षा के लिए प्रशासन और पुलिस अधिकारियों ने कमर कस ली है.
सावन का महीना आते ही कांवड़ मेला शुरू हो जाता है. देश भर के विभिन्न राज्यों से करोड़ों शिव भक्त हर की पैड़ी हरिद्वार से गंगाजल भर कर अपने गंतव्य को प्रस्थान करते हैं. वे महाशिवरात्रि के दिन अपने आराध्य देवों के देव महादेव को जलाभिषेक कर धर्म लाभ उठाते हैं. हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश आदि राज्यों से करोड़ों की संख्या में कांवड़िए सहारनपुर समेत मंडल के मुजफ्फरनगर, शामली तीनों जिलों से होकर अपने गंतव्यों को जाते हैं. पिछले दो साल कोरोना महामारी की वजह से कांवड़ यात्रा पर प्रतिबंद होने के बाद इस बार कांवड़ यात्रियों की संख्या में इजाफा होने की संभावना जताई जा रही है. कांवड़ियों की भीड़ पुलिस प्रशासन के लिए चुनौती बन सकती है.

डीआईजी सुधीर कुमार सिंह से खास बातचीत

ETV भारत से EXCLUSIVE बातचीत में डीआईजी सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि कांवड़ यात्रा की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. कोरोना महामारी की वजह से दो साल बाद कांवड़ यात्रा शुरू हो रही है. इसके चलते इस बार शिव भक्त यानि कांवड़ियों की भीड़ भी ज्यादा होने की संभावना है. इस बार मौसम भी बहुत अच्छा है. बीच-बीच में बारिश भी हो रही है. लगातार बारिश की वजह से भीषण गर्मी से निजात मिली है. हरिद्वार से कांवड़ में गंगाजल लेकर अपने गंतव्य को आसानी से जा सकेंगे.

DIG सुधीर कुमार ने बताया कि पिछले सालों में करीब डेढ़ करोड़ कांवड़ियां सहारनपुर मंडल से होकर अपने गंतव्य को जाते थे. लेकिन, इस बार यह संख्या बढ़कर ढाई करोड़ से ऊपर जाने की संभावना है. सहारनपुर, मुजफ्फरनगर जिले उत्तराखंड की सीमा से लगे हुए हैं. हरिद्वार के पड़ोसी जिले होने के नाते सबसे ज्यादा कांवड़िए इन्हीं जनपदों से अपने गंतव्य को जाते हैं. कांवड़ यात्रा शुरू होने से पहले कई बैठके हुई हैं. बैठकों में संबंधित विभागों को आवश्यक निर्देश दिए गए थे. सभी विभागों ने अपनी तैयारियां पूरी कर ली हैं.

DIG ने बताया कि कांवड़ मार्ग को शिवभक्तों के लिए खाली करा दिया गया है. रूट डायवर्ट कर सभी वाहनों को दूसरे रास्तों से निकाला जा रहा है. सड़कों के गड्ढे मिट्टी से भरवा दिए गए हैं. कांवड़ियों के लिए हरिद्वार से आने वाले रास्ते को वन वे कर दिया गया है. कांवड़ मार्ग पर किसी भी हल्के भारी वाहन को जाने की अनुमति नहीं है. सुरक्षा की बात करें तो स्थानीय पुलिस के साथ पीएसी औऱ पैरामिलिट्री फोर्स को लगाया गया है. बाहरी जिलों से भी अतिरिक्त पुलिस बल मंगवाया गया है. कांवड़ मार्ग पर हरिद्वार बॉर्डर से हरियाणा बॉर्डर तक सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं. कांवड़ मार्ग को जोन और सेक्टर में बांटा गया है. हर जोन में जोनल मजिस्ट्रेट और सेक्टर में सेक्टर मजिस्ट्रेट तैनात किए गए हैं.

कांवड़ियों के साथ किसी तरह की कोई सड़क दुर्घटना न हो उसके लिए हल्के-भारी वाहनों का रूट डायवर्ट कर दिया गया है. ड्रोन से कांवड़ मार्ग की निगरानी की जाएगी. एलआईयू और इंटेलिजेंस की टीमों को सतर्क कर दिया गया है. डॉग स्क्वॉयड टीम को बस स्टेंड और रेलवे स्टेशनों के साथ होटल ढाबों की चेकिंग के निर्देश दिए गए हैं. DIG सुधीर कुमार ने बताया कि मंडल के तीनों जिलो में सबसे ज्यादा कांवड़िए मुजफ्फरनगर से होकर गुजरते हैं. उसके बाद सहारनपुर का नम्बर है. हरिद्वार से मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, नोएडा, दिल्ली, राजस्थान को जाने वाले करोड़ों कांवड़िए मुजफ्फरनगर के रास्ते जाते हैं, जबकि हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश के कांवड़ियों को सहारनपुर से जाना होता है. इस बार खास बात ये भी है कि फोर लाइन हाई-वे बनने से एक साइड पर ट्रैफिक और एक साइड पर कांवड़ियों के लिए खोला जा सकता है. कुल मिलाकर इस बार पिछले सालों की अपेक्षा सुविधा ज्यादा मिल रही है.

DIG सुधीर कुमार ने कहा कि हरिद्वार से गाजियाबाद तक एक कांवड़ मार्ग नहर की पटरी से होकर जाता है. नहर किनारे के इस मार्ग पर 13 स्थानों पर कांवड़ियों के रुकने और नहाने की व्यवस्था भी रहती है. ऐसे में किसी भी प्रकार की अनहोनी से बचने के लिए सभी स्थानों पर गोताखोरों को तैनात किया गया है. नहर किनारे पर खड़ी झाड़ियों और गुल्लर के पेड़ों की छंटाई करा दी गई है, ताकि रास्तें में कांवड़ियों को किसी प्रकार का कीट-पतंगा न काट ले. हर 4 किलोमीटर की दूरी पर स्वास्थ्य शिविर लगाए गए हैं.

यह भी पढ़ें: आज कर्क संक्रांति और संकष्टी चतुर्थी का है पर्व, इन मंत्रों का करें जाप, जानिए इनका महत्व

कांवड़ सेवा शिविर संचालकों के लिए एक प्लान तैयार किया गया है. जिस साइड से शिव भक्त कांवड़ में जल लेकर आएंगे उसी साइड में कांवड़ सेवा शिविर लगाने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे सड़क पार करते समय कोई भी कांवड़ियां किसी वाहन की चपेट में ना आए. महिला एवं पुरुष शौचालय को उचित स्थान पर बनाने के साथ-साथ प्रसाद और खाना बनाने वाले स्थान को साफ-सुथरा रखने को कहा गया है. रसोई को मेन पंडाल से अलग रखने को कहा गया है. फूड चेकिंग और विद्युत की उचित व्यवस्था की गई है, ताकि कांवड़ शिविर में किसी के साथ घटना घटित ना हो. उन्होंने बताया कि बीच रास्तें में किन्हीं कारणवश कांवड़िए की कांवड़ खंडित हो जाती है या फिर गुम हो जाती है तो उनके लिए हरिद्वार से स्पेशल कांवड़ और गंगाजल की सुविधा की गई है.

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सहारनपुर: कोरोना काल के दो साल बाद सावन महीना आते ही कांवड़ यात्रा का आगाज हो चुका है. कोरोना के बाद अनलॉक होने पर इस बार कांवड़ियों की संख्या में भी इजाफा होने की संभावना है. कांवड़ यात्रा को सफल संपन्न कराने के लिए पुलिस अधिकारियों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई दे रही हैं. यही वजह है कि डीजीपी और मुख्य गृह सचिव अवनीश अवस्थी कांवड़ यात्रा को लेकर पश्चमी उत्तर प्रदेश का भ्रमण कर अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दे चुके हैं. खास बात ये है कि हरिद्वार का पड़ोसी मंडल होने के चलते सबसे ज्यादा कांवड़ियां सहारनपुर मंडल के तीनों जिलों से होकर गुजरते हैं. हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर से करोड़ों की संख्या में कांवड़ियां कांवड़ में गंगा जल भरकर अपने गंतव्य को जाते हैं. कांवड़ियों की सुरक्षा के लिए प्रशासन और पुलिस अधिकारियों ने कमर कस ली है.
सावन का महीना आते ही कांवड़ मेला शुरू हो जाता है. देश भर के विभिन्न राज्यों से करोड़ों शिव भक्त हर की पैड़ी हरिद्वार से गंगाजल भर कर अपने गंतव्य को प्रस्थान करते हैं. वे महाशिवरात्रि के दिन अपने आराध्य देवों के देव महादेव को जलाभिषेक कर धर्म लाभ उठाते हैं. हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश आदि राज्यों से करोड़ों की संख्या में कांवड़िए सहारनपुर समेत मंडल के मुजफ्फरनगर, शामली तीनों जिलों से होकर अपने गंतव्यों को जाते हैं. पिछले दो साल कोरोना महामारी की वजह से कांवड़ यात्रा पर प्रतिबंद होने के बाद इस बार कांवड़ यात्रियों की संख्या में इजाफा होने की संभावना जताई जा रही है. कांवड़ियों की भीड़ पुलिस प्रशासन के लिए चुनौती बन सकती है.

डीआईजी सुधीर कुमार सिंह से खास बातचीत

ETV भारत से EXCLUSIVE बातचीत में डीआईजी सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि कांवड़ यात्रा की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. कोरोना महामारी की वजह से दो साल बाद कांवड़ यात्रा शुरू हो रही है. इसके चलते इस बार शिव भक्त यानि कांवड़ियों की भीड़ भी ज्यादा होने की संभावना है. इस बार मौसम भी बहुत अच्छा है. बीच-बीच में बारिश भी हो रही है. लगातार बारिश की वजह से भीषण गर्मी से निजात मिली है. हरिद्वार से कांवड़ में गंगाजल लेकर अपने गंतव्य को आसानी से जा सकेंगे.

DIG सुधीर कुमार ने बताया कि पिछले सालों में करीब डेढ़ करोड़ कांवड़ियां सहारनपुर मंडल से होकर अपने गंतव्य को जाते थे. लेकिन, इस बार यह संख्या बढ़कर ढाई करोड़ से ऊपर जाने की संभावना है. सहारनपुर, मुजफ्फरनगर जिले उत्तराखंड की सीमा से लगे हुए हैं. हरिद्वार के पड़ोसी जिले होने के नाते सबसे ज्यादा कांवड़िए इन्हीं जनपदों से अपने गंतव्य को जाते हैं. कांवड़ यात्रा शुरू होने से पहले कई बैठके हुई हैं. बैठकों में संबंधित विभागों को आवश्यक निर्देश दिए गए थे. सभी विभागों ने अपनी तैयारियां पूरी कर ली हैं.

DIG ने बताया कि कांवड़ मार्ग को शिवभक्तों के लिए खाली करा दिया गया है. रूट डायवर्ट कर सभी वाहनों को दूसरे रास्तों से निकाला जा रहा है. सड़कों के गड्ढे मिट्टी से भरवा दिए गए हैं. कांवड़ियों के लिए हरिद्वार से आने वाले रास्ते को वन वे कर दिया गया है. कांवड़ मार्ग पर किसी भी हल्के भारी वाहन को जाने की अनुमति नहीं है. सुरक्षा की बात करें तो स्थानीय पुलिस के साथ पीएसी औऱ पैरामिलिट्री फोर्स को लगाया गया है. बाहरी जिलों से भी अतिरिक्त पुलिस बल मंगवाया गया है. कांवड़ मार्ग पर हरिद्वार बॉर्डर से हरियाणा बॉर्डर तक सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं. कांवड़ मार्ग को जोन और सेक्टर में बांटा गया है. हर जोन में जोनल मजिस्ट्रेट और सेक्टर में सेक्टर मजिस्ट्रेट तैनात किए गए हैं.

कांवड़ियों के साथ किसी तरह की कोई सड़क दुर्घटना न हो उसके लिए हल्के-भारी वाहनों का रूट डायवर्ट कर दिया गया है. ड्रोन से कांवड़ मार्ग की निगरानी की जाएगी. एलआईयू और इंटेलिजेंस की टीमों को सतर्क कर दिया गया है. डॉग स्क्वॉयड टीम को बस स्टेंड और रेलवे स्टेशनों के साथ होटल ढाबों की चेकिंग के निर्देश दिए गए हैं. DIG सुधीर कुमार ने बताया कि मंडल के तीनों जिलो में सबसे ज्यादा कांवड़िए मुजफ्फरनगर से होकर गुजरते हैं. उसके बाद सहारनपुर का नम्बर है. हरिद्वार से मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, नोएडा, दिल्ली, राजस्थान को जाने वाले करोड़ों कांवड़िए मुजफ्फरनगर के रास्ते जाते हैं, जबकि हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश के कांवड़ियों को सहारनपुर से जाना होता है. इस बार खास बात ये भी है कि फोर लाइन हाई-वे बनने से एक साइड पर ट्रैफिक और एक साइड पर कांवड़ियों के लिए खोला जा सकता है. कुल मिलाकर इस बार पिछले सालों की अपेक्षा सुविधा ज्यादा मिल रही है.

DIG सुधीर कुमार ने कहा कि हरिद्वार से गाजियाबाद तक एक कांवड़ मार्ग नहर की पटरी से होकर जाता है. नहर किनारे के इस मार्ग पर 13 स्थानों पर कांवड़ियों के रुकने और नहाने की व्यवस्था भी रहती है. ऐसे में किसी भी प्रकार की अनहोनी से बचने के लिए सभी स्थानों पर गोताखोरों को तैनात किया गया है. नहर किनारे पर खड़ी झाड़ियों और गुल्लर के पेड़ों की छंटाई करा दी गई है, ताकि रास्तें में कांवड़ियों को किसी प्रकार का कीट-पतंगा न काट ले. हर 4 किलोमीटर की दूरी पर स्वास्थ्य शिविर लगाए गए हैं.

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कांवड़ सेवा शिविर संचालकों के लिए एक प्लान तैयार किया गया है. जिस साइड से शिव भक्त कांवड़ में जल लेकर आएंगे उसी साइड में कांवड़ सेवा शिविर लगाने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे सड़क पार करते समय कोई भी कांवड़ियां किसी वाहन की चपेट में ना आए. महिला एवं पुरुष शौचालय को उचित स्थान पर बनाने के साथ-साथ प्रसाद और खाना बनाने वाले स्थान को साफ-सुथरा रखने को कहा गया है. रसोई को मेन पंडाल से अलग रखने को कहा गया है. फूड चेकिंग और विद्युत की उचित व्यवस्था की गई है, ताकि कांवड़ शिविर में किसी के साथ घटना घटित ना हो. उन्होंने बताया कि बीच रास्तें में किन्हीं कारणवश कांवड़िए की कांवड़ खंडित हो जाती है या फिर गुम हो जाती है तो उनके लिए हरिद्वार से स्पेशल कांवड़ और गंगाजल की सुविधा की गई है.

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Last Updated : Jul 16, 2022, 1:00 PM IST
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